शैक्षिक आंकलन की प्रमुख चुनौतियाँ लिखिए।
शैक्षिक आंकलन की प्रमुख चुनौतियाँ लिखिए।
अथवा
आंकलन की चुनौतियों पर संक्षिप्त नोट लिखिए।
उत्तर- किसी भी छात्र/छात्रों का आंकलन करना शिक्षक, विशेषक, परीक्षणकर्त्ता एवं माता-पिता के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होता है। छात्र के आंकलन या मूल्यांकन का मुख्य उद्देश्य उसकी कमियों का पता लगाना, अधिगम समस्याओं का पता लगाना, व्यक्तिगत समस्याओं का पता लगाना, सामूहिक समस्याओं का पता लगाना, सामाजिक समस्याओं का पता लगाना एवं विद्यालयी समस्याओं का पता लगाना इत्यादि । इन समस्याओं को पता कर छात्र को उनके समाधान के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश देना तथा सकारात्मक पृष्ठपोषण प्रदान किया जाता है। पृष्ठपोषण प्रदान करना भी आंकलन के समान एक जटिल कार्य है क्योंकि कोई अभिभावक या माता-पिता अपने बच्चों के प्रति नकारात्मक पृष्ठपोषण नहीं चाहते हैं। इसी दृष्टि को ध्यान में रखते हुए आंकलन के समक्ष आने वाली चुनौतियों का आंकलन किया जाता है।
शैक्षिक आंकलन की चुनौतियाँ (Challenges of Educational Assessment)– शैक्षिक आंकलन में शिक्षक को निम्नलिखित चुनौतियों का सामना करना पड़ता है—
(1) सभी पाठ्यक्रम सम्बन्धी विश्वसनीय, वैध एवं उचित अधिगम मूल्यांकन के तरीकों एवं उपकरणों का मिलान करना जिससे स्पष्ट एवं प्रासंगिक उद्देश्यों को प्राप्त करने की चुनौती ।
(2) उचित, निष्पक्ष एवं छात्र तथा शिक्षक अनुकूल आंकलन उपकरण का निर्माण करना या प्राप्त करना शिक्षक के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। ये उपकरण अत्यधिक महँगे तथा अस्थायी प्रकृति के होते हैं जिसके परिणामस्वरूप कई विद्यालयों में इनके होने के बावजूद शिक्षक इनका उपयोग नहीं करते हैं।
(3) आंकलन से सम्बन्धित अवधारणाओं एवं व्यावहारिक समझ का शिक्षकों में अभाव। जैसे आंकलन से सम्बन्धित प्रश्नावली को कैसे तैयार किया जाए, प्रश्नावली में किस प्रकार के प्रश्नों को रखा जाए, छात्रों को उचित निर्देशन किस प्रकार से दिया जाए इत्यादि। ये ऐसे तथ्य हैं जिससे अधिकांश शिक्षक अनदेखी करते हैं परन्तु इसका दुष्परिणाम छात्रों के आंकलन पर पड़ता है।
(4) योगात्मक मूल्यांकन, जैसे—मौखिक या लिखित परीक्षा, समस्या को सुलझाने के अनुप्रयोग इत्यादि को छात्रों के ऊपर ठीक से लागू न कर पाने की समस्या या इनके माध्यम से छात्रों का परीक्षण किस प्रकार से किया जाएगा? ये ऐसे तथ्य हैं जिससे शिक्षकों को अत्यधिक समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।
(5) शिक्षकों को मूल्यांकन या आंकलन के लिए प्रशिक्षित नहीं किया जाता है या उनके प्रशिक्षण की उचित व्यवस्था नहीं होती है जिससे शिक्षक ठीक प्रकार से छात्रों का आंकलन नहीं कर पाते हैं।
(6) शिक्षकों को शिक्षण अधिगम की बहुत कम विधियों का ज्ञान होता है जिससे शिक्षक छात्रों को परम्परागत तरीके से ही ज्ञान प्रदान करते हैं और उसी के आधार पर मूल्यांकन करते हैं, जिससे छात्र के व्यक्तित्व के समस्त पहलुओं का आंकलन नहीं हो पाता है और छात्र अपने वास्तविक ज्ञान एवं अधिगम के बारे में सटीक जानकारी नहीं प्राप्त कर पाता है।
(7) समय एवं संसाधनों का अभाव। देश के अधिकांश राजकीय विद्यालयों में संसाधनों का अभाव रहता है या फिर समय पर संसाधनों का उपलब्ध न होना एक प्रमुख समस्या है इन आवश्यक संसाधनों के अभाव के कारण छात्रों का अधिगम प्रभावित होता है। इससे छात्रों का आंकलन ठीक प्रकार से नहीं हो पाता है।
(8) देश के अधिकांश विद्यालयों में योग्य शिक्षकों एवं विशेषज्ञों की कमी है जिसके कारण शिक्षण कार्य प्रभावित होता है। इससे विद्यार्थियों तथा माता-पिता का शिक्षा के प्रति उदासीनता की भावना में वृद्धि होने लगती है तथा विद्यार्थी स्कूल जाना बन्द कर देते हैं। इससे अपव्यय एवं अवरोधन की समस्या तो आती ही है, साथ ही छात्रों का मूल्यांकन भी ठीक प्रकार से नहीं हो पाता है।
(9) नवीन पाठ्चर्या के अनुसार छात्रों को ज्ञान प्रदान करना तथा उसके अनुसार स्वयं को तैयार करना जिससे आंकलन करने में किसी प्रकार की समस्या न उत्पन्न हो ।
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