समावेशी शिक्षा की अवधारणा स्पष्ट कीजिए तथा इसकी विशेषताएँ लिखिए।

समावेशी शिक्षा की अवधारणा स्पष्ट कीजिए तथा इसकी विशेषताएँ लिखिए।

उत्तर — समावेशी शिक्षा का अर्थ (Meaning of Inclusive Education)– समावेशी शिक्षा का आशय सामान्य रूप से उस शिक्षा व्यवस्था से सम्बन्धित है, जिसमें सामान्य छात्र एवं अक्षम छात्र एक ही कक्षा-कक्ष में एक-दूसरे को सम्मिलित करके अध्ययन करते हैं। इस व्यवस्था में सभी प्रकार के अक्षम छात्र एक साथ मिलकर सामान्य छात्रों के साथ शिक्षा ग्रहणं करते हैं। इससे एक ओर अक्षम छात्रों को अपनी अक्षमता के प्रति हीनभावना का बोध नहीं होता क्योंकि वे सामान्य छात्रों के साथ शिक्षा ग्रहण करते हैं वहीं दूसरी ओर सामान्य छात्रों को यह बोध होता है कि उनको अक्षम छात्रों की सहायता करनी चाहिए। इसके साथसाथ इस शिक्षा व्यवस्था में अधिगमकर्त्ता, अभिभावक, समुदाय, शिक्षक एवं प्रशासकों को सम्मिलित किया जा सकता है।

शिक्षा के क्षेत्र में अक्षम व्यक्तियों को शिक्षा व्यवस्था के लिए अधिनियम 1995 पारित किया गया तथा नेशनल ट्रस्ट अधिनियम 1999 पारित किया। इसी क्रम में राष्ट्रीय शिक्षा नीति में अक्षम व्यक्तियों को शिक्षा के बारे में विचार किया गया। वर्तमान संविधान 93वें संशोधन में भी यह व्यवस्था की गई कि 6 से 14 वर्ष के सभी बालकों को शिक्षा प्राप्त करने का संवैधानिक अधिकार प्राप्त है। इसमें अक्षम बालकों को भी सम्मिलित किया गया। इसी क्रम में राष्ट्रीय पाठ्यक्रम संरचना सन् 2000 में सम्मिलित शिक्षा वाले विद्यालयों (inclusive schools) की गणना करने का प्रस्ताव किया, जिसमें कि विशेष आवश्यकता वाले बालकों को शिक्षा प्रदान करने में सुविधा हो सके।
परिभाषाएँ (Definitions ) –
(i) प्रो. एम. के दुबे के अनुसार, “समावेशी शिक्षा का आशय उस शिक्षा व्यवस्था से है जिसमें सामान्य एवं अक्षम छात्रों के एक साथ शिक्षण प्रदान करते हुए उच्च अधिगम स्तर से सम्बन्धित क्रियाओं को सम्मिलित किया जाता है तथा समुदाय, अभिभावक, शिक्षक एवं प्रशासन का सक्रिय सहयोग प्राप्त किया जाता है। “
(ii) डॉ. ए. बरौलिया के अनुसार, “समावेशी शिक्षा का आशय शिक्षा के सार्वजनीकरण हेतु अधिगमकर्ता, शिक्षक, अभिभावक, समुदाय, प्रशासन एवं शैक्षिक नीति निर्माताओं के संयुक्त प्रयासों से है जिनमें अक्षमता से युक्त सभी प्रकार के छात्रों की शिक्षा सुविधाओं पर विशेष केन्द्रीकरण किया जाता है।”
उपर्युक्त विवेचन से यह स्पष्ट होता है कि समावेशी शिक्षा का प्रमुख सम्बन्ध अक्षमता से युक्त छात्रों से है, जिनको विभिन्न प्रयासों के माध्यम से शिक्षा की मुख्य धारा में सम्मिलित किया जाता है। इस प्रकार समावेशी शिक्षा विभिन्न संसाधनों को समन्वित रूप में प्रस्तुतीकरण है जो कि अक्षमता से युक्त छात्रों के अधिगम स्तर पर सुधार करता है।
समावेशी शिक्षा की विशेषताएँ निम्न है—
(i) समावेशी शिक्षा को एक उपागम के रूप में स्वीकार किया जाता है, जिसके माध्यम से छात्रों को अधिगम सम्बन्धी आवश्यकताओं को जानकर उसे पूर्ण करने का प्रयास किया जाता है।
(ii) समावेशी शिक्षा के अन्तर्गत सामान्य छात्रों की अपेक्षा अक्षमता से युक्त छात्रों की शिक्षा व्यवस्था पर अधिक ध्यान दिया जाता है, जिससे कि अक्षमता से युक्त छात्रों द्वारा भी सामान्य छात्रों की भांति शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में भाग लिया जा सकें।
(iii) समावेशी शिक्षा व्यवस्था के अन्तर्गत उन बालकों की शिक्षा को भी स्थान दिया जाता है जिन्हें समाज द्वारा बहिष्कृत तथा शिक्षा के अयोग्य समझा जाता है ।
(iv) समावेशी शिक्षा व्यवस्था के अन्तर्गत सामान्य एवं अक्षमता से युक्त छात्रों को सम्मिलित रूप से शिक्षा प्रदान की जाती है तथा यह ध्यान दिया जाता है कि दोनों को ही समान रूप से शिक्षा प्राप्त हो ।
(v) समावेशी शिक्षा व्यवस्था में संयुक्त प्रयासों का प्रयोग किया जाता है अर्थात् इसमें सामाजिक एकता एवं सामाजिक कौशलों के विकास हेतु सामुदायिक सहयोग एवं अभिभावकों का सहयोग लिया जाता है।
(vi) समावेशी शिक्षा व्यवस्था में समुदाय, प्रशासन, अभिभावक, शिक्षक एवं नीति निर्माणकर्त्ताओं का पूर्ण सहयोग प्राप्त किया जाता है, जिससे छात्रों को उनकी आवश्यकता के अनुरूप शिक्षा प्राप्त हो सके ।
(vii) इसमें अधिगमकर्त्ता की मनोदशा को ध्यान में रखते हुए नीतियाँ का निर्धारण किया जाता है क्योंकि जब तक अधिगमकर्त्ता की रुचि शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में नहीं होगी तब तक उसके अधिगम स्तर को उच्च नहीं बनाया जा सकता ।
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