समावेशी शिक्षा हेतु शिक्षण रणनीतियाँ बताइये।
समावेशी शिक्षा हेतु शिक्षण रणनीतियाँ बताइये।
अथवा
‘समावेशी शिक्षा अधिगम के ही नहीं बल्कि विशिष्ट अधिगम के नए आयाम खोलती है ।” इस कथन की समीक्षा कीजिए।
उत्तर – समावेशी शिक्षा हेतु शिक्षण रणनीतियाँ –समावेशित शिक्षा में विशेष आवश्यकता वाले बच्चों व सामान्य बच्चों का तालमेल बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण स्थान है। समावेशित शिक्षा वास्तव में विशेष क्षमता वाले बच्चों को शिक्षा का उपयुक्त वातावरण देता है जिसमें उनकी सीखने की प्रक्रिया को इस तरह आसान बनाया जाता है जिससे उनके सीखने की प्रक्रिया सामान्य बच्चों की भाँति हो सके और विशेष क्षमता उनके विकास में बाधक न बने ।
” सामान्य अनुभव आधारित तथ्य यह है कि कक्षा में बच्चों के सीखने सम्बन्धी योग्यता का स्तर पृथक्-पृथक् होता है । कक्षा में कुछ ऐसे बच्चे भी होते हैं जिन्हें सिखाने के लिए विशेष शिक्षण सामग्री तथा अध्यापकों से विशेष सहायता की आवश्यकता होती है। मानसिक योग्यता का निम्न स्तर, विकास में विलम्ब देखने, सुनने, बोलने में कठिनाई, माँसपेशियों की क्षति, अंग की विकृति आदि विशेष आवश्यकताएँ इन बच्चों में होती हैं।
सामान्य समावेशित शिक्षा व्यवस्था में विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को सामान्य बच्चों के साथ शिक्षा देने का प्रावधान है। इस व्यवस्था में समान व एक जैसी पाठ्य-पुस्तक और वही शिक्षक होता है जो सभी को एक साथ पढ़ाता है।
इसे प्रभावी बनाने के लिए उपयुक्त कक्षा व्यवस्था का आकलन व निर्धारण, शिक्षण सहायता सामग्री एवं उचित दृष्टिकोण का विकास करना जिससे इन बच्चों को शिक्षा के समान अवसर उपलब्ध हो सकें एवं इन बच्चों का कक्षा, विद्यालय एवं समाज में अच्छा सामंजस्य स्थापित हो सके। अतः समावेशित शिक्षा में विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को सामान्य बच्चों के साथ ही शिक्षण देने का प्रावधान है।
विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को ऐसा वातावरण प्रदान करना चाहिए जिसमें इनकी सीखने की प्रक्रिया में कम-से-कम बाधाएँ रह जाएँ ताकि वे कक्षा के अन्य बच्चों की भाँति ही सीख, समझकर आगे बढ़ें और उनका समुचित विकास हो ।
अतः समावेशी शिक्षा में एक ऐसी उदार पाठ्यचर्या अपनाई जानी चाहिए जो सभी विद्यार्थियों के लिए सुलभ हो। इस पाठ्यचर्या में उचित चुनौती और पर्याप्त अवसर हों ताकि वे अध्ययन में सफलता पा सकें और अपनी सम्भावनाओं का पूर्ण विकास कर सकें।
विशिष्ट अधिगम के नए आयाम खुलने के लिए आवश्यक बातें निम्न हैं—
(1) शिक्षण सामग्री का कक्षा-कक्ष में उपयोग – त्रिआयामी शिक्षण सामग्री जैसे—मॉडल विशेष क्षमता वाले बच्चों की समझ विकसित करने में बहुत मददगार होते हैं। बड़े आकार की लिखावट वाली और उभरी हुई आकृतियों वाली शिक्षण सामग्री ऐसे बच्चों का ध्यान आकर्षित करने और सीखने में बहुत सहायक सिद्ध हुई है।
(2) विषयगत शिक्षण – विषय की जानकारी और सीखने में सहायक अनेक प्रकार के उपकरणों की व्यवस्था से पाठ्यक्रम में यथोचित अनुकूलन किया जा सकता है।
(3) प्रवेश के समय – विद्यालय में प्रवेश के समय प्रत्येक बच्चे की विशेष आवश्यकताओं की जाँच कर जानकारी प्राप्त की जाए, कि उसकी विशेष आवश्यकता किस प्रकार की है। जानकारी प्राप्त करते समय सम्बन्धित बच्चे को यह अहसास नहीं होना चाहिए कि उसकी अक्षमता को देखा जा रहा है। ऐसा करने से कक्षा में विशेष क्षमता वाले बच्चों की पहचान हो जाएगी एवं उनके लिए कक्षा में बैठने की समुचित व्यवस्था की जा सकेगी। प्रवेश पत्रिका में भी बच्चे के नाम के सामने उसकी विशेष क्षमता का उल्लेख कर दिया जाए, जिसका पता सम्बन्धित विद्यार्थी को न हो ।
(4) समावेशित शिक्षा में विशेष आवश्यकता वाले बच्चों का अलग से शिक्षण नहीं होगा। उन्हें सामान्य बच्चों के साथ ही समान पाठ्यक्रम एवं एक समान पुस्तक से शिक्षण करवाया जाएगा।
(5) कक्षा में श्यामपट्ट एवं शैक्षिक उपकरण – शिक्षक द्वारा श्यामपट्ट पर मोटे अक्षरों व सुपाठ्य शब्दों को लिखा जाना चाहिए । श्यामपट्ट एवं अन्य शैक्षिक उपकरणों तक हर प्रकार की अक्षमता वाले बच्चों की पहुँच आसान हो ।
(6) बैठक व्यवस्था – दृष्टिकोण एवं श्रवण वंचित बच्चों को अग्रिम पंक्ति में अन्य बच्चों के साथ बिठाया जाए ताकि वे श्यामपट्ट पर लिखित बातों को सुगमता से पढ़ सकें तथा शि क के निर्देशों का सरलता और सहजता से पालन कर सकें । अन्य प्रकार की विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को सामान्य की तरह उचित क्रम एवं उपयुक्त स्थान पर बिठा दिया जाए।
(7) अन्य सहायक सामग्री – विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को उनकी आवश्यकता के अनुसार अध्ययन सामग्री उपलब्ध करवाना आवश्यक है। अस्थि दोष वाले बच्चों को ट्राई साईकिल या व्हीलचेयर उपलब्ध करवाई जानी चाहिए, जिससे उनकी गतिशीलता सम्भव हो सके।
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