विशिष्ट शिक्षा की आवश्यकता के कारण बताइये ।
विशिष्ट शिक्षा की आवश्यकता के कारण बताइये ।
उत्तर – विशिष्ट शिक्षा की आवश्यकता के निम्न कारण हैं—
(1) बालकों को विशेष कार्य क्षेत्रों में कुशलता प्रदान करने के लिए भी विशिष्ट शिक्षा की आवश्यकता होती है।
(2) विशिष्ट कक्षाओं में बुद्धिमान बालकों को अग्रसर होने का अवसर प्राप्त होता है जबकि सामान्य कक्षा में यह सम्भव नहीं हो पाता है।.
(3) सामाजिक एवं वैयक्तिक आवश्यकताओं को ग्रहण करने हेतु प्रतिभाशाली बालकों को अतिरिक्त साधनों एवं सुविधाओं की आवश्यकता होती है। ऐसी सुविधाएँ प्रतिभाशाली बालकों को उनकी कार्य करने की क्षमता में सहयोग करती है ।
(4) विशिष्ट कक्षा शारीरिक रूप से बाधित बालकों में उनके दोषों को कम करने का प्रयास करती है ताकि बालक अपनी प्रतिभा के अनुरूप उत्कृष्ट कार्य करने में सफल हो सकें।
(5) विशिष्ट बालक सामान्य विद्यालयों की सामान्य कक्षाओं से लाभ नहीं उठा पाते हैं, अतः उनके लिए विशेष शिक्षण विधियों, पाठ्यक्रमों एवं शिक्षकों की आवश्यकता होती है। यदि उनकी ओर ध्यान न दिया जाए तो वे समस्यात्मक बालक बन जाते हैं। इसलिए विशिष्ट बालकों के लिए विशेष कक्षा की व्यवस्था एक अनिवार्य आवश्यकता बन जाती है।
(6) सामान्य शिक्षण संस्थाओं में प्रतिभाशाली बालकों में सामाजिक कुप्रबन्ध उग्र रूप में पाया जाता है क्योंकि उन पर कार्य का बोझ नहीं होता है या वे कार्य शीघ्र समाप्त कर लेते हैं। ऐसी परिस्थिति में उनका व्यक्तिगत व्यवहार स्वीकार्य करने योग्य नहीं होता है। अतः इस समस्या का समाधान मात्र विशिष्ट शिक्षा के माध्यम से ही किया जा सकता है।
(7) विशिष्ट बालक अपनी योग्यताओं और क्षमताओं के अनुसार विकास कर सकें, इसके लिए विशिष्ट शिक्षा की आवश्यकता होती है।
(8) विशिष्ट रूप से बाधित बालकों हेतु विशिष्ट कक्षाएँ आवश्यक हैं क्योंकि ऐसे बालकों को विशिष्ट विधियों एवं प्रविधियों के माध्यम से शिक्षा देना आवश्यक है ।
(9) विशिष्ट शिक्षा के माध्यम से विभिन्न सरकारी एवं गैरसरकारी संस्था में उन्हें चयनित किया जाता है इससे बालकों को उनकी योग्यता के अनुसार कार्य एवं व्यवसाय प्राप्त हो जाता है। अतः इसलिए भी विशिष्ट शिक्षा आवश्यक होती है।
(10) मानसिक व शारीरिक रूप से विकलांग बालक परिवार एवं . समाज में समायोजित होने में कठिनाई का अनुभव करते हैं। यदि इन बालकों पर ध्यान न दिया जाए तो ये बालक कुण्ठा तथा भग्नाशा से ग्रसित होकर मानसिक दृष्टि से रोगी हो जाएँगे और समाज के ऊपर बोझ बन जाएँगे, अतः उन्हें विशेष शिक्षा देकर उनमें आत्मविश्वास जाग्रत करना चाहिए तथा उन्हें आत्मनिर्भर बनाना चाहिए।
(11) प्रतिभाशाली बालकों के लिए विशिष्ट शिक्षा आवश्यक है क्योंकि ऐसे बालकों का बौद्धिक स्तर, सामान्य बालकों की तुलना में बहुत ऊँचा होता है। अतः सामान्य बालकों के लिए तैयार पाठ्यक्रम प्रतिभाशाली बालकों के लिए नीरस हो जाता है जिससे वे शिक्षण में रुचि नहीं लेते हैं। इस प्रकार प्रतिभाशाली बालकों को कार्य एवं अध्ययन के प्रति प्रेरित करने हेतु विशिष्ट शिक्षा आवश्यक है ।
(12) नेत्रहीन बालकों हेतु भी विशिष्ट शिक्षा अति आवश्यक एवं उपयोगी है क्योंकि इस प्रकार की शिक्षा के अन्तर्गत पूर्ण रूप से नेत्रहीन बालकों के लिए ब्रेल या इससे सम्बन्धित संसाधन उपलब्ध कराना, यात्रा के माध्यम से प्रशिक्षण एवं विचार-विमर्श द्वारा समझाना आदि विशिष्ट शिक्षा के माध्यम से ही सम्भव है ।
(13) सामान्य कक्षाओं में आने वाली समस्याएँ (चाहे वह शिक्षक से सम्बन्धित हो या बालकों से) को कम करने के लिए भी विशिष्ट शिक्षा आवश्यक है।
(14) विशिष्ट शिक्षा अभिभावकों, शिक्षकों तथा शैक्षिक प्रबन्धकों को विशिष्ट बालकों की समस्याओं को समझने में सहायता प्रदान करती है। इसके द्वारा विशिष्ट बालक समाज में समायोजन स्थापित कर लेते हैं ।
(15) विशिष्ट बालकों की शैक्षिक, सामाजिक और शारीरिक आवश्यकताएँ सामान्य बालकों से भिन्न होती हैं। उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए विशिष्ट शिक्षा की आवश्यकता होती है ।
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