राष्ट्रीय विकलांग जननीति 2006 को समझाइये ।

राष्ट्रीय विकलांग जननीति 2006 को समझाइये ।

उत्तर— राष्ट्रीय विकलांग जन-नीति, 2006 राष्ट्रीय विकलांग जन – नीति, 2006 भारतीय संविधान में इंगित पदों जैसे समता, स्वतन्त्रता, न्याय और सम्मान पर जोर देते हुए जन-जन के बीच इस उद्देश्य को पूरा करना है कि चाहे कोई भी व्यक्ति निर्योग्य हो या नहीं, क्षमताएँ अपने आप में अनूठी होती हैं और इनका क्षेत्र अत्यधिक विस्तृत है तथा इनको सीमाओं में नहीं बाँधा जा सकता है। अतः निर्योग्य व्यक्तियों को अगर आप पूरा अवसर और पुनर्वास की सुविधाएँ प्रदान करें तो यह लोग भी सामान्य व्यक्तियों की तरह आगे बढ़कर भारत के सर्व शिक्षा अभियान के स्वप्न को पूरा करने में सहयोग दे सकते हैं। आवश्यकता है केवल एक सकारात्मक सोच की ।
राष्ट्रीय जन विकलांग नीति 2006 का पुनर्गठन वर्ष 2006 में मीरा कुमार द्वारा किया गया। इसमें भारत में निर्योग्य व विकलांग व्यक्तियों के पुनर्वास हेतु अन्य अधिनियमों, शैक्षिक व चिकित्सकीय प्रशिक्षण प्रदान करने वाले संस्थानों का उल्लेख किया गया है ।
समावेशी शिक्षा के सन्दर्भ में विकलांग व्यक्तियों के लिये शिक्षा प्रदान करने के लिये राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2006 में निम्नलिखित प्रावधान हैं—
(1) विकलांग बच्चों की पहचान, सम्मिलित स्कूलों में इनका दाखिला तथा इनकी शिक्षा जारी रखने के लिये सरकार की ओर से नियमित सर्वेक्षणों द्वारा सफल प्रयास किये जाते हैं । सरकार विकलांग बच्चों के लिये उपयुक्त तरीके से शिक्षण सामग्री तथा पुस्तकों, प्रशिक्षित शिक्षकों तथा स्कूल भवनों आदि की उपलब्धता निश्चित करती है ।
(2) भारत सरकार विकलांग छात्रों को स्कूल स्तर के बाद अध्ययन करने के लिये छात्रवृत्तियाँ प्रदान करती है ।
(3) विकलांग व्यक्तियों को उच्च व व्यावसायिक शिक्षा हेतु विश्वविद्यालय तकनीकी संस्थाओं तथा उच्च शिक्षा की अन्य संस्थाओं में अनेक सुविधाएँ प्रदान की जाती हैं।
(4) सामाजिक तथा आर्थिक विकास के लिये शिक्षा सबसे उपयोगी माध्यम है। संविधान के अनुसार अनुच्छेद में शिक्षा को मूलभूत अधिकार माना गया है तथा निःशक्त व्यक्ति अधिनियम, 1995 की धारा 26 के अनुसार, कम से कम 18 वर्ष की आयु के सभी विकलांग बच्चों को निःशुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा उपलब्ध करायी जानी है। वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार लगभग 55 प्रतिशत विकलांग व्यक्ति अनपढ़ हैं । विकलांग व्यक्तियों की समावेशी शिक्षा के माध्यम से सामान्य शिक्षा पद्धति की मुख्य धारा में लाये जाने की आवश्यकता है ।
(5) सुविधारहित तथा अल्प सुविधा वाले क्षेत्रों में विद्यमान संस्थाओं को अनुकूल बनाकर या संस्थाओं को शीघ्र स्थापना करके विभिन्न प्रकार के उत्पादकारी क्रियाकलापों के अनुरूप विकलांग व्यक्तियों में कौशल विकास बढ़ाने के लिये तकनीकी तथा व्यावसायिक शिक्षा की सुविधाओं को प्रोत्साहित किया जाता है। व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करने के लिये गैर-सरकारी संगठनों को भी प्रोत्साहित किया जाता है।
(6) विकलांग महिलाओं की विशेष जरूरतों का ध्यान रखते हुए उनके लिए शिक्षा, रोजगार तथा अन्य पुनर्वास सेवाएँ प्रदान करने हेतु विशेष कार्यक्रम बनाये गये हैं। विकलांग महिलाओं के लिये विशेष शैक्षिक एवं व्यावसायिक प्रशिक्षण सुविधाओं की व्यवस्था की जाती है ।
(7) सरकार द्वारा सर्व शिक्षा अभियान शुरू किया गया है जिसका उद्देश्य 6 से 14 वर्ष तक की आयु के सभी बच्चों के लिये 2010 तक 8 वर्ष की प्राथमिक शिक्षा प्रदान करना है । इन बच्चों में विकलांग बच्चे भी सम्मिलित हैं। 15-18 वर्ष की आयु वर्ग के विकलांग बच्चों को एकीकृत दिशा योजना (आई.ई.डी.सी.) के अन्तर्गत निःशुल्क शिक्षा दी जायेगी।
(8) राज्य सरकारों, स्वायत्तं निकायों तथा स्वैच्छिक संगठनों द्वारा कार्यान्वित की जाने वाली आई.ई.डी.सी. योजना के अन्तर्गत विशेष शिक्षकों, पुस्तकों और स्टेशनरी, वर्दी, परिवहन दृष्टि, विकलांगों के लिये रीडर भत्ता, अनुदेशन सामग्री या उत्पादन सामान्य शिक्षकों का प्रशिक्षण आदि विभिन्न सुविधाओं के लिये वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
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