स्वास्थ्य के निर्धारक तत्त्वों की विवेचना सविस्तार कीजिए।
स्वास्थ्य के निर्धारक तत्त्वों की विवेचना सविस्तार कीजिए।
उत्तर— स्वास्थ्य के निर्धारक तत्त्व – स्वास्थ्य एक बहुआयामी धारणा है। स्वास्थ्य अनेक कारकों से प्रभावित होता है। शारीरिक, मानसिक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक कारकों के अतिरिक्त स्वास्थ्य पर अनेक निर्धारकों का भी महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।
स्वास्थ्य के कुछ महत्त्वपूर्ण निर्धारक वर्णित किए गए है—
पर्यावरणीय निर्धारक – पर्यावरण का व्यक्ति, परिवार एवं समुदाय के स्वास्थ्य पर सीधा प्रभाव पड़ता है। किसी भी व्यक्ति के मानसिक, सामाजिक एवं शारीरिक सुख तथा संतोष का पर्यावरण के दोनों पक्ष आंतरिक एवं बाहरी तथा भौतिक, जैविक एवं मनो-सामाजिक घटकों से बाह्य संबंध होता है। इस संदर्भ में पर्यावरण प्रदूषण विश्वव्यापी समस्या का रूप धारण कर चुका है।
राजनैतिक निर्धारक – राजनीतिक एवं राजनैतिक प्रणाली का सामाजिक वातावरण पर गहरा प्रभाव पड़ता है। स्वास्थ्य सहित, जीवन के सभी पक्षों का निर्धारण काफी हद तक राजनैतिक प्रणाली एवं सत्ता के द्वारा होता है। दृढ़ राजनैतिक इच्छा के बिना कोई भी स्वास्थ्य नीति अथवा स्वास्थ्य कार्यक्रम सुचारू तरीके से नहीं चलाया जा सकता है।
जैविक निर्धारक – व्यक्ति के शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य पर पैतृक एवं आनुवांशिकी निर्धारकों का गहर असर पड़ता है। मानसिक दुर्बलताओं अथवा मानसिक विमंदता, चयापचय सम्बन्धी विकार कुछ हद तक डाइबिटीज, क्रोमोसोस बीमारियों इत्यादि में आनुवांशिक निर्धारकों की महत्त्वपूर्ण भूमिका पाई जाती है। ऐसे मामलों में कम्यूनिटी हेल्थ नर्स को विशेष ध्यान देकर जैविक अथवा आनुवांशिकी रोगों से ग्रस्त व्यक्ति अथवा परिवारों को उचित परामर्श देना चाहिए ताकि भावी संतानों को संभावित रोगों अथवा विकारों से बचाया जा सके।
व्यवहारात्मक निर्धारक – व्यक्ति का स्वास्थ्य उसकी जीवनशैली का दर्पण है, अस्वस्थ एवं गंदी आदतों के कारण व्यक्ति की जीवन शैली का निर्धारण होता है तथा मनुष्य के दिन-प्रतिदिन के व्यवहार का स्वास्थ्य पर सीधा प्रभाव देखा जा सकता है। लापरवाही भरा व्यवहार अनावश्यक खतरों से खेलना या जोखिम उठाना अथवा यह सोचना कि कुछ नहीं होगा, अधिकतर मामलों में रोग या दुर्घटनाओं का कारण बन जाता है ।
सामाजिक-आर्थिक निर्धारक – किसी भी देश के नागरिकों का स्वास्थ्य स्तर, उस देश की सामाजिक, आर्थिक परिस्थितियों से निर्धारित होता है। स्वास्थ्य के संसाधनों एवं उनकी वितरण प्रणाली से, शिक्षा, आर्थिक स्थिति, व्यावसायिक अवसरों, आवास, पोषण स्तर, प्रति व्यक्ति आय, घरेलू उत्पाद आदि का सीधा सम्बन्ध है ।
अधिक अथवा समुचित वित्तीय प्रबंधन से अनेक रोगों का नियंत्रण अथवा रोकथाम कर स्वास्थ्य खतरों को कम किया जा सकता है।
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