उत्पत्ति के आधार पर प्राकृतिक संसाधनों के वर्गीकरण को समझाइए ।
उत्पत्ति के आधार पर प्राकृतिक संसाधनों के वर्गीकरण को समझाइए ।
उत्तर— उत्पत्ति के आधार पर प्राकृतिक संसाधनों के वर्गीकरण — विभिन्न प्रकार के संसाधन अलग-अलग अवस्थाओं में उत्पन्न होते हैं। इस प्रकार उत्पत्ति के आधार पर निम्न श्रेणियों में वर्गीकरण किया गया है- प्रथम भौतिक व अजैविक तथा द्वितीय जैविक संसाधन । भौतिक तथा जैविक संसाधन परस्पर एक-दूसरे से सम्बन्धित है स्वयं मानव एक जैविक संसाधन है, जो पृथ्वी के स्थलीय स्वरूपों में परिवर्तित करते हुए क्रियाशील रहता है ।
(1) अजैविक संसाधन – इस श्रेणी के अन्तर्गत अजैविक या आकार्बनिक संसाधन आते हैं, जिनमें जीवन-क्रिया नहीं होती है तथा इनका नवीनीकरण सम्भव नहीं है। ये एक बार उपयोग में लेने के उपरान्त समाप्त प्रायः हो जाते हैं । अत: इनके समाप्त संसाधनों की श्रेणी में होने के कारण पोषणीय या अनुपात दोहन ही अनिवार्य है। अतः जमीन तथा खनिज इसके उदाहरण हैं। अजैविक संसाधनों के वितरण में असमानता पायी जाती है। कुछ संसाधन जैसे— लोहा, एल्युमिनियम, आदि विस्तृत क्षेत्रों में वितरित हैं। जबकि सोना, चाँदी, आणविक खनिज सीमित क्षेत्रों में वितरित हैं। ये सभी संसाधन प्रकृति प्रदत्त हैं, जो पृथ्वी पर विभिन्न स्वरूपों में विभिन्न मात्रा में पाये जाते हैं। मानवीय सभ्यता के अभ्युदय में इनका विभिन्न रूपों में उपयोग होता है। भौतिक संसाधनों को मानव ने अनेक रूपों में परिवर्तित किया है । यह परिवर्तन ऐसे स्थानों पर नहीं पाया गया जहाँ मानव ने प्रकृति के साथ समायोजन कर लिया है ।
(2) जैविक संसाधन — जैविक मण्डल में स्थित अपने निश्चित जीवन-चक्र वाले संसाधन जैविक संसाधन कहलाते हैं । वन, वन्यप्राणी, पशु, पखी, वनस्पति तथा अन्य छोटे सूक्ष्मजीव जैव संसाधनों के उदाहरण है। जीवाश्मों के कायान्तरण के परिणामस्वरूप उत्पन्न होने के कारण कोयला तथा खनिज तेल को भी जैविक संसाधन ही कहते हैं । पशुपालन, मत्स्यपालन, वृक्षारोपण आदि कार्यों से जैविक संसाधनों को बढ़ा सकते हैं जबकि वनोन्मूलन संकटापन्न जीवों का शिकार करके कमी लायी जाती है। जैविक संसाधनों के दोहन में तकनीकी ज्ञान तथा उपयोग
के ढंग का प्रभाव पड़ता है। ये चल संसाधन माने जाते हैं। जैविक संसाधनों के वितरण में भौतिक घटकों की प्रमुख भूमिका रहती है। उदाहरण के लिए उष्ण कटिबंधीय आर्द्र जलवायु में सघन वनस्पति मिलती है जबकि टुण्ड्रा क्षेत्रों में इसका अभाव पाया जाता है । जैविक संसाधनों की तुलना में अधिक विविधता मिलती है, लेकिन ये कम कठोर होते हैं । भौतिक संसाधनों की मात्रा निश्चित होती है तथा इसे घटा-बढ़ा नहीं सकते। लेकिन जैविक संसाधनों की मात्रा में वृद्धि कर सकते हैं। मनुष्य मृदा या जल का निर्माण नहीं कर सकता जबकि वह वृक्षारोपण कर सकता है। जीवों की संख्या में वृद्धि या कमी कर सकता है। इस प्रकार भौतिक एवं जैविक संसाधनों का आधार एक ही पृथ्वी होते हुए भी इनमें अनेक भिन्नताएँ पायी जाती है ।
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