अच्छे सम्प्रेषण के लिए महत्त्वपूर्ण तत्त्वों की विवेचना कीजिए ।
अच्छे सम्प्रेषण के लिए महत्त्वपूर्ण तत्त्वों की विवेचना कीजिए ।
उत्तर— सम्प्रेषण एक उद्देश्य पूर्ण प्रक्रिया है। शिक्षण जगत में सम्प्रेषण सिद्धान्त के प्रवर्तक हरबर्ट महोदय को कहा जा सकता है।
हरबर्ट महोदय के अनुसार-“शिक्षण का प्रमुख कार्य विचारों तथ्यों एवं सूचनाओं को छात्रों को प्रदान करना है। शिक्षक जितने प्रभावशाली ढंग से सम्प्रेषण का कार्य करता है वह उतना ही सफल शिक्षक कहलाता है। शिक्षण प्रशिक्षण संस्थाओं में प्रशिक्षणार्थियों को जटिल नियमों, पद्धतियों तथा शिक्षण नीतियों के बारे में बताने के लिए अनेकों सम्प्रेषण तकनीकों का प्रयोग किया जाता है।”
सम्प्रेषण चक्र / प्रक्रिया में निम्नलिखित चार तत्त्वों का होना आवश्यक (i) संदेशवाहक या स्रोत अथवा एन कोडर। (ii) संदेश या सिंग्नल। (iii) सम्प्रेषण माध्यम या चैनल (iv) संदेश प्राप्तकर्ता या डिकोडर ।
(1) संदेशवाहक (स्रोत) – सम्प्रेषण प्रक्रिया संदेश स्रोत से प्रारम्भ होती है, जिसमें अभिष्ट संदेश किसी एक व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह द्वारा सम्प्रेषित या प्रसारित किया जाता है। संदेश भेजने वाला प्रारम्भिक अथवा द्वितीय स्रोत हो सकता है, यह सम्प्रेषण प्रक्रिया की प्रकृति पर निर्भर करेगा। संदेश अभिव्यक्ति हाव-भाव, मौखिक अथवा लिखित संकेतों के रूपमें हो सकता है। यह संदेशवाहक की योग्यता पर निर्भर करेगा कि वह संदेश को जिस प्रकार तैयार करें तथा सम्प्रेषित करें कि उसका सम्बन्धित श्रोताओं पर वांछित प्रभाव पड़े।
(ii) संदेश – संदेश एक उद्दीपक हैं जो संदेशवाहक द्वारा संदेश प्राप्तकर्ता के लिए प्रेषित किया जाता है। ये संदेश किसी एक सिंग्नल (पोस्टर द्वारा) या व्यापक सूचनायें पम्पलेट द्वारा सूचना पैकेज द्वारा प्रेषित की जाती है। अधिकांशतः संदेशों में प्रायः मौखिक तथा लिखित अभिव्यक्ति होती है।
(iii) सम्प्रेषण माध्यम या चैनल – चैनल से अभिप्राय उस साधन से है जिसके द्वारा कोई संदेश, संदेशवाहक से संदेश ग्राहक तक पहुँचाता है। यह वह पथ है जिसमें संदेश भौतिक रूप से प्रेषित होता है जैसे टेलीग्राम में वह वायर जिस पर संदेश भेजा है, रेडियो वार्ता में ये रेडियो स्टेशन तथा स्टुडियो हैं। इसी प्रकार किसी लेख के लिए समाचार पत्र या मैगजीन सम्प्रेषण माध्यम होते हैं।
(iv) ग्रहणकर्त्ता / श्रोता दर्शक– सम्प्रेषण ग्रहण करने वाला व्यक्ति एक भी हो सकता है अनेक भी हो सकते हैं। जैसे यदि संदेश पत्र के माध्यम से भेजा जाता है, तो यह एक व्यक्ति का नाम होता है। यदि लेख द्वारा संदेश प्रेषित किया गया है, तो यह जन संचार माध्यमों जैसे समाचार-पत्र, मैगजीनों आदि द्वारा पाठकों तक पहुँचता है। सम्प्रेषण प्रक्रिया का यह सबसे महत्वपूर्ण पद है। अतः संदेश इस प्रकार से तैयार किया जाये और उसका प्रेषण माध्यम ऐसा हो कि वह पाठक या संदेश ग्राहक के समक्ष में आ जाये अर्थात् वह कूट को खोल सकें और उसको समझदार संदेश के प्रति अपनी वांछित प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकें, तभी सम्प्रेषण का अभीष्ट उद्देश्य पूर्ण हो सकेगा अन्यथा नहीं।
इस प्रकार सम्प्रेषण प्रक्रिया के प्रमुख चार तत्त्वों के साथ-साथ संदेश के लिए कूट संकेत (इन कोड) बनाना, कूटानुवाद करना तथा प्रतिमुष्टि की प्रक्रिया भी किसी सम्प्रेषण की गत्यात्मकता एवं प्रभावकता के लिए आवश्यक होते हैं।
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