मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग – पंचायती राज

मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग – पंचायती राज

1. बलवंत राय मेहता समिति ने किस प्रकार की पंचायती राज व्यवस्था की अनुशंसा की थी ? 
(a) द्विस्तरीय
(b) त्रिस्तरीय
(c) ग्रामस्तरीय
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर – (b) बलवंत राय मेहता की अध्यक्षता सन् 1957 में एक समिति गठित की गई और इस समिति ने अपनी रिपोर्ट 1958 में प्रस्तुत की। इस समिति ने लोकतांत्रिक विकेन्द्रीकरण के सिद्धांत पर आधारित त्रिस्तरीय स्वरूप वाली पंचायती राज्य व्यवस्था की सिफारिश की। समिति ने सुझाव दिया कि त्रिस्तरीय व्यवस्था इस प्रकार होगी – ग्राम प्रचायत, गाँव स्तर पर, पंचायत समिति प्रखण्ड स्तर पर और जिला परिषद् जिला स्तर पर ।
2. भारत के संविधान में पंचायतों तथा नगर पालिकाओं से सम्बद्ध 73वें और 74वें संशोधन जब हुए, उस समय भारत के प्रधानमंत्री कौन थे ?  
(a) स्व. इंदिरा गाँधी
(b) स्व. राजीव गाँधी
(c) स्व. पी. वी. नरसिंहाराव
(d) स्व. वी.पी. सिंह
उत्तर – (c) भारतीय संविधान का 73 वाँ और 74 वाँ संशोधन 1992 में हुआ। इस समय भारत के प्रधानमंत्री स्व. पी. वी. नरसिंहाराव थे।
3. संविधान में कौन-सा संशोधन पंचायती राज व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए किया गया है ?  
(a) 73वाँ
(b) 42वाँ
(c) 81वाँ
(d) 44वाँ
उत्तर – (a) 73वाँ संविधान संशोधन विधेयक 1993 द्वारा भारतीय संविधान के भाग 9 में 16 नये अनुच्छेद और एक नई अनुसूची ( 11वीं अनुसूची) जोड़ी गई है। इसमें प्रावधान किया गया है कि नई पंचायती व्यवस्था त्रिस्तरीय होगी जिसमें सबसे नीचे ग्राम सभा होगी। यह राज्य विधान सभा द्वारा प्रदत्त दायित्वों का निर्वाह करेगी।
4. संविधान का कौन-सा संशोधन पंचायती राज व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए किया गया है ? 
(a) 73वां
(b) 56वां
(c) 68वां
(d) 81वां
उत्तर – (a) नरसिंहराव सरकार ने 16 दिसम्बर, 1991 को 73वां संविधान संशोधन विधेयक प्रस्तुत किया ( प्रस्तुत करते समय विधेयक का क्रमांक 72वाँ था बाद में 73 वाँ हो गया ) । इस अधिनियम में राज्यों में त्रिस्तरीय प्रणाली ( गांव, ब्लाक और जिला स्तर पर) परिकल्पना की गई। इस विधेयक को 20 अप्रैल, 1993 को राष्ट्रपति की स्वीकृति प्राप्त हुयी तथा 24 अप्रैल, 1993 से यह अधिनियम कार्यरूप में आ गया। 73वें संविधान संशोधन द्वारा संविधान में भाग 9 जोड़ा गया। इस भाग में 16 नये अनुच्छेद और एक नयी अनुसूची (ग्यारहवीं अनुसूची) जोड़ी गयी है। इस भाग में गांवों में पंचायतों के गठन, उनके निर्वाचन, शक्तियों एवं उत्तरदायित्वों के लिये पर्याप्त उपबन्ध किये गये हैं। ग्राम पंचायत, ब्लाक तथा जिला परिषद अर्थात् त्रिस्तरीय प्रणाली होगी। केवल वे राज्य जिनकी जनसंख्या 20 लाख से अधिक है, उन्हें मध्यम स्तर पर पंचायतों का गठन न करने का विशेषाधिकार होगा । संविधान के अनुच्छेद 243 घ( 1 ) के अनुसार प्रत्येक पंचायत में अनुसूचित जाति व जनजाति के लिए स्थान आरक्षित होंगे। ये आरक्षण चक्रानुसार आवंटित किए जाएंगे। इन आरक्षित स्थानों में एक-तिहाई स्थान अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति की स्त्रियों के लिए आरक्षित रहेंगे। चौहत्तरवें संशोधन (1992) अधिनियम के द्वारा नगरपालिकाओं के गठन को संवैधानिक मान्यता दी गई है। इस अधिनियम के द्वारा संविधान में एक नया भाग अर्थात् १ क जोड़ा गया। इस नवीन भाग में अनुच्छेद 243 त से 243 प तक के अनुच्छेद है। इस अधिनियम के द्वारा संविधान में 12वीं अनुसूची जोड़ी गई है। यह अधिनियम 1 जून, 1993 से प्रभावी हुआ ।
5. बलवन्त राय मेहता समिति की प्रजातान्त्रिक विकेन्द्रीकरण की सिफारिश के अनुसार – 
(a) जिला, ब्लॉक एवं ग्राम स्तरों पर त्रिस्तरीय प्रजातांत्रिक पंचायती राज संस्थाओं का गठन होना था
(b) केवल जिला एवं मंडल स्तर पर द्विस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं का गठन होना था
(c) केवल जिला स्तर पर जिला परिषद् का गठन प्रस्तावित किया गया था
(d) उपरोक्त से कोई भी नहीं
उत्तर – (a) बलवन्त राय मेहता समिति (1957) की सिफारिशों में पंचायती राज का ढांचा त्रिस्तरीय होना चाहिए – ग्राम स्तर पर पंचायत, ब्लाक स्तर पर पंचायत समिति तथा जिला स्तर पर जिला परिषद | पंचायतें पूरी तरह से निर्वाचित इकाइयाँ होनी चाहिए, जिनमें महिलाओं के दो और अनुसूचित जाति / जनजाति के एक- एक सदस्यों के प्रतिनिधित्व का प्रावधान होना चाहिए। जिला परिषद का गठन भी नीचे की इकाई द्वारा होना चाहिए। इसका अध्यक्ष जिलाधिकारी होगा। नेहरूजी की पहल पर अधिकतर राज्यों ने बलवन्त राय मेहता समिति के सुझाए प्रारूप को ही लागू किया। पंचायती राज के माध्यम से सत्ता के विकेन्द्रीकरण का कार्यक्रम सर्वप्रथम 1959 में राजस्थान के नागौर में आरम्भ हुआ। 73वें संविधान संशोधन द्वारा पंचायतों को संवैधानिक दर्जा प्रदान कर दिया गया है।
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