प्राकृतिक संसाधनों के ह्रास में जनसंख्या वृद्धि का कितना हाथ है ?

प्राकृतिक संसाधनों के ह्रास में जनसंख्या वृद्धि का कितना हाथ है ?

उत्तर⇒जनसंख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है। जनसंख्या वृद्धि के साथ-साथ आवश्यकताओं भी उभर कर सामने आ रही हैं। इन आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए परकृतिक संपदाओं की कमी हो रही है। प्राकृतिक संपदाएँ अधिक मात्रा में सिमित हैं जबकि जनसंख्या चरम सीमा पर पहुँच गई है। बढ़ती हुई जनसँख्याओ आवश्यकताओं की पर्ति करने के लिए भी प्राप्त संसाधन सीमित दायरे सख्या वृद्धि का यह भूचाल अधिक बढ़ता ही गया तो प्राकृतिक ससाधना से प्राप्त संपदाएँ अपना संतूलन बनाए रखने में समर्थ नहीं होंगी ।

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