Bihar Board Class 9Th Science chapter  14 ध्वनि (Sound) Solutions | Bseb class 9Th Chapter 14 ध्वनि (Sound) Notes

Bihar Board Class 9Th Science chapter  14 ध्वनि (Sound) Solutions | Bseb class 9Th Chapter 14 ध्वनि (Sound) Notes

प्रश्न- निम्न माध्यमों में ध्वनि की चाल बताएँ ?
(i) हवा        (ii) जल        (iii) लोहा
उत्तर— हवा–346 m/sec (सामान्य ताप पर)
जल–1498 m/sec
लोहा–5950 m/sec
प्रश्न- सामान्य मनुष्य की भव्यता परास (Audible Range) कितना है ? 
उत्तर— 20 हर्ट्ज से 20,000 हर्ट्ज (Hertz) तक ।
प्रश्न- पराध्वनि एवं अवश्रव्य ध्वनि में अंतर स्पष्ट करें ।
उत्तर— पराध्वनि–20,000Hz से अधिक आवृति वाले ध्वनि को पराध्वनि या पराश्रव्य ध्वनि कहते है। इसे मनुष्य नहीं सुन सकते परन्तु डॉलफिन, चमगादड़ आदि जीव सुन सकते हैं ।
अवश्रव्य ध्वनि–20 Hz से कम आवृति वाले ध्वनि को अवश्रव्य ध्वनि कहते है। इसे हम नहीं सुन सकते परन्तु नवजात शिशु सुन सकते है।
प्रश्न- प्रतिध्वनि (Echo) क्या है ?
उत्तर— ध्वनि का किसी ठोस सतह से टकराकर पुनः हमारे कानो तक पहुँचने की युक्ति प्रतिध्वनि कहलाती है।
नोट :- स्पष्ट प्रतिध्वनि सुनने के लिए ठोस सतह व व्यक्ति की न्यूनतम दूरी 17.2m होनी चाहिए ।
प्रश्न- एक ध्वनि तरंग की आवृति 2000 Hz है वतरंगदैर्घ्य 0.175 m है। यह तरंग 2.1 km की दूरी तय करने में कितना समय लेगी।
उत्तर— ध्वनि की चाल = आवृति x तरंगदैर्घ्य = 2000 × 0.175 m/s = 350m/sec
अतः समय = दूरी / चाल =2.1 x 1000m / 350m/sec = 6 sec
प्रश्न-  किसी माध्यम में ध्वनि द्वारा उत्पन्न विक्षोभ आपके कानों तक कैसे पहुँचता है ?
उत्तर— ध्वनि के माध्यम से कण विस्थापित होते हैं जो कि अपने समीप के कणों पर एक बल लगाते हैं । अतः समीप के कण विरामावस्था से विस्थापित होते हैं और प्रारंभिक कण अपनी मूल अवस्था में वापस लौट आते हैं। यह प्रक्रिया तब तक चलती है जब तक ध्वनि हमारे कानों तक नहीं पहुँच जाती ।
प्रश्न- ध्वनि तरंगों को यांत्रिक तरंगें क्यों कहते हैं ?
उत्तर— ध्वनि तरंगें माध्यम के कणों की गति द्वारा कानों तक पहुँचती हैं । अतः यह यांत्रिक तरंगें कहलाती हैं।
प्रश्न- मान लीजिए आप अपने मित्र के साथ चंद्रमा पर गए हुए हैं। क्या आप अपने मित्र द्वारा उत्पन्न ध्वनि को सुन पाएँगे ?
उत्तर— नहीं, क्योंकि ध्वनि के लिए माध्यम का होना आवश्यक है. जो कि सामान्यतया वायु होती है। चंद्रमा पर वायु नहीं है ।
प्रश्न- तरंग का कौन-सा गुण निम्नलिखित को निर्धारित करता है ?
(a) प्रबलता, (b ) तारत्व ।
उत्तर— (a) प्रबलता–ध्वनि प्रबलता अथवा मृदुता मूलतः इसके आयाम से ज्ञात की जाती है ।
(b) तारत्व–ध्वनि की आवृत्ति जितनी अधिक होती है उसका तारत्व उतना ही अधिक होता है ।
प्रश्न- किसी ध्वनि तरंग की तरंगदैर्घ्य, आवृत्ति, आवर्त काल तथा आयाम को परिभाषित करें ?
उत्तर— (i) तरंगदैर्घ्य दो क्रमागत संपीडनों (c) अथवा विरलनों (R) के बीच की दूरी तरंगदैर्घ्य कहलाती है। तरंगदैर्घ्य को सामान्यत (¥) से निरूपित किया जाता है। इसका SI मात्रक मीटर (m) है।
(ii) आवृत्ति–एकांक समय में दोलनों की कुल संख्या ध्वनि तरंग की आवृत्ति कहलाती है। इसे सामान्यतया n (न्यू) से प्रदर्शित किया जाता है। इसका SI मात्रक हट्ज ( hertz, प्रतीक Hz) है ।
(iii) आवर्त काल–दो क्रमागत संपीडनों या क्रमागत विरलनों को किसी निश्चित बिंदु से गुजरने में लगे समय को तरंग का आवर्त काल कहते हैं। इसे T से प्रदर्शित करते हैं ।
T = 1/n            (यहाँ n = frequency)
(iv) आयाम–किसी माध्यम में मूल स्थितिज के दोनों ओर अधि कतम विक्षोभ को तरंग का आयाम कहते हैं। ध्वनि प्रबलता या मृदुलता मूलतः इसके आयाम से ज्ञात की जाती है।
प्रश्न- ध्वनि की प्रबलता तथा तीव्रता में अंतर बताइए। 
उत्तर— तीव्रता किसी एकांक क्षेत्रफल से, एक सेकंड में गुजरने वाली ध्वनि ऊर्जा को ध्वनि की तीव्रता कहते हैं ।
प्रबलता–प्रबलता ध्वनि के लिए कानों की संवेदनशीलता की माप है। उदाहरण के लिए, दो ध्वनियाँ समान तीव्रता की हो सकती हैं परन्तु हम एक को दूसरे की अपेक्षा अधिक प्रबल ध्वनि के रूप में सुन सकते हैं। क्योंकि हमारे कान इसके लिए अधिक संवेदनशील हैं ।
प्रश्न- कंसर्ट हॉल की छतें वक्राकार क्यों होती हैं ? 
उत्तर— कंसर्ट हॉल की छतें वक्राकार इसलिए बनाई जाती हैं जिससे कि परावर्तन के पश्चात् ध्वनि हॉल के सभी भागों में पहुँच जाए।
प्रश्न- ध्वनि क्या है और यह कैसे उत्पन्न होती है ?
उत्तर— ध्वनि ऊर्जा का एक प्रकार है जो सामान्यतः कानों में सुनने की अनुभूति उत्पन्न करता है ।
ध्वनि विभिन्न प्रकार से उत्पन्न की जा सकती है। ये हैं–
(a) प्रहार द्वारा (b) खींचने द्वारा (c) फूंकने द्वारा (d) रगड़ द्वारा
इस प्रकार, हम देखते हैं कि कोई वस्तु ध्वनि तभी उत्पन्न करती है जब उसमें कंपन होता है।
प्रश्न- एक चित्र की सहायता से वर्णन कीजिए कि ध्वनि स्रोत के निकट वायु में संपीडन तथा विरलन कैसे उत्पन्न होते हैं? 
उत्तर—
कपित स्वरित्र, माध्यम में सम्पीडनों (C) और विरलनों (R) की खला उत्पन्न करता है ।
प्रश्न- ध्वनि तरंगों की प्रकृति अनुदैर्घ्य क्यों है ?
उत्तर— जब ध्वनि तरंगें संचरण करती हैं, तो हवा के अणु तरंग की गति की दिशा के अनुदिश गति करते हैं। इसीलिए ध्वनि तरंगें अनदैर्घ्य तरंगें होती हैं ।
प्रश्न- अनुरणन क्या है ? इसे कैसे कम किया जा सकता है ?
उत्तर— ध्वनि के बार-बार दीवारों से टकराकर बार-बार परावर्तन जिसके कारण ध्वनि निर्बाध होती है, अनुरणन कहलाती है।
अनुरणन को कम करने के लिए सभा भवन की छतों तथा दीवारों पर ध्वनि अवशोषक पदार्थों जैसे संपीडित फाइबर बोर्ड, खुरदरे प्लास्टर अथवा पर्द लगा देते हैं।
प्रश्न- ध्वनि की प्रबलता से क्या अभिप्राय है ? यह किन कारकों पर निर्भर करती है ?
उत्तर— किसी ध्वनि की प्रबलता हमारे कानों के लिए संवेदनशीलता का माप है ।
यह निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करती है—
(i) आयाम पर (ii) ऊर्जा पर (iii) तीव्रता पर (iv) तरंग के वेग पर।
प्रश्न- चमगादड़ अपना शिकार पकड़ने के लिए पराध्वनि का उपयोग किस प्रकार करता है ? वर्णन कीजिए।
उत्तर— चमगादड़ की आँखें कमजोर होती हैं, इसीलिए वे अपना शिकार देख नहीं पाते। अपनी उड़ान के दौरान वे उच्च आवृत्ति वाली पराश्रव्य तरंगें छोड़ते हैं। ये तरंगें अवरोध या शिकार द्वारा ि होकर चमगादड़ के कान तक वापस पहुँचती हैं। इन परावर्तित तरंगों की प्रकृति से चमगादड़, अवरोध या शिकार की स्थिति व आकार जान हैं।
प्रश्न- वस्तुओं को साफ करने के लिए पराध्वनि का उपयोग कैसे करते हैं?
उत्तर— पराध्वनि का उपयोग ऐसे भागों को साफ करने के लिए किया जाता है जो पहुँच से परे होती हैं जैसे-सर्पिलाकार नली, विषम आकार के पुर्जे आदि। इन्हें साफ करने के लिए उन्हें साफ करने वाले वस्तु विलयन में रखते हैं। इस विलयन में पराध्वनि की तरंगें भेजी जाती हैं । उच्च आवृत्ति के कारण धूल, चिकनाई तथा गंदगी के कण अलगहोकर नीचे गिर जाते हैं। इस प्रकार वस्तु पूर्णतया साफ हो जाती है।
प्रश्न- सोनार की कार्यविधि तथा उसके उपयोगों का वर्णन कीजिए।
उत्तर— सोनार एक ऐसी युक्ति है जिसे जल में स्थित पिंडों की दूरी, दिशा तथा चाल मापने के लिए किया जाता है। सोनार में एक प्रेषित्र तथा एक संसूचक होता है। प्रेषित्र पराध्वनि उत्पन्न करता है, ये तरंगें जल में चलती हैं तथा जल तल टकराकर संसूचक द्वारा ग्रहण कर ली जाती हैं। संसूचक पराध्वनि तरंगों को विद्युत संकेतों में बदल देता है जिसकी उचित व्याख्या करके अनेक चीजों की जानकारी हासिल की जाती है।
सोनार के उपयोग—
(i) सोनार का उपयोग समुद्र की गहराई ज्ञात करने में किया जाता है।
(ii) इसका उपयोग जल के अन्दर स्थित चट्टानों या घाटियों को ज्ञात करने में किया जाता है ।
(iii) इसका उपयोग डूबी हुई बर्फ या डूबे हुए जहाज आदि की। जानकारी प्राप्त करने में किया जाता है ।
प्रश्न- एक पनडुब्बी पर लगी एक सोनार युक्ति, संकेत भेजती है और उनकी प्रतिध्वनि 5s पश्चात् ग्रहण करती है। यदि पनडुब्बी से वस्तु की दूरी 3625m हो तो ध्वनि की चाल की गणना कीजिए ।
उत्तर— वस्तु की दूरी = 3625m,  समय = 5.s
ध्वनि की चाल = ?
2 x दूरी = चाल × समय
2 × 3625.    = v x 5, 5v = 2 × 3625
v = 2 x 3625 / 5 , v = 1450m/s s
अतः ध्वनि की चाल 1450m/s
प्रश्न- किसी धातु के ब्लॉक में दोषों का पता लगाने के लिए पराध्वनि का उपयोग कैसे किया जाता है? वर्णन कीजिए।
उत्तर— पराध्वनि का उपयोग धातुओं से बने ब्लॉकों के दोषों का पता लगाने के लिए किया जाता है। धातु के ब्लॉकों में विद्यमान दरार या छिद्र बाहर से दिखाई नहीं देते हैं। पराध्वनि तरंगें धातु के ब्लॉक से गुजारी जाती हैं और प्रेषित तरंगों का पता लगाने के लिए संसूचकों का उपयोग किया जाता है। यदि जरा-सा भी दोष आता है तो पराध्वनि तरंगें परावर्तित हो जाती हैं जो दोष की उपस्थित को दर्शाती हैं ।
प्रश्न- मानव कान का नामांकित चित्र बनाकर इसके क्रियाविधि को समझावें ? 
उत्तर— हमारा कान आस-पास की ध्वनियाँ ग्रहण करता है । यह ध्वनि फिर श्रवण तंत्रिका से गुजरती है । श्रवण तंत्रिका के अंत में एक पतली झिल्ली होती है जिसे कान का पर्दा या कर्णपट्ट कहते हैं । जब वस्तु में उत्पन्न विक्षोभ के द्वारा माध्यम का संपीडन कर्णपट्ट तक पहुँचता है, तो यह कर्णपट्ट को अंदर की ओर धकेलता है। इसी प्रकार, विरलन कर्णपट्ट को बाहर की ओर खींचता है। इस प्रकार कर्णपट्ट में कंपन उत्पन्न होता है । ये कंपन मध्यवर्ती कान में स्थित तीन हड्डियों (हथौड़ा, निघात और वलयक) की सहायता से कई गुना प्रवर्धित किया जाता है। फिर यह प्रवर्धित दबाव मध्यवर्ती कान द्वारा अंदरूनी कान तक पहुँचाया जाता है । अंदरूनी कान में यह प्रवर्धित दबाव कर्णावर्त के द्वारा विद्युत संकेतों में परिवर्तित किया जाता है। फिर श्रवण नाड़ी के द्वारा ये विद्युत संकेत मस्तिष्क तक पहुँचते हैं और मस्तिष्क इन्हें ध्वनि के रूप में परिवर्तित करता है।
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