अधिगम का आंकलन एवं अधिगम के लिए आंकलन में अन्तर कीजिए ।

अधिगम का आंकलन एवं अधिगम के लिए आंकलन में अन्तर कीजिए ।

उत्तर – अधिगम का आंकलन एवं अधिगम के लिए आंकलन । में अन्तर निम्न प्रकार से है—
अधिगम का आंकलन—
(i) अधिगम के आंकलन से हमारा आशय छात्र द्वारा प्राप्त वास्तविक या व्यावहारिक ज्ञान से है जो वह विद्यालय, समुदाय तथा समाज आदि स्थानों से सीखता है।
(ii) इसका आरम्भ छात्र के औपचारिक शिक्षा के ग्रहण करने के साथ हो जाता है तथा ये प्रक्रिया जीवनपर्यन्त चलती रहती है ।
(iii) यह छात्रों को सैद्धान्तिक ज्ञान का उपयोग व्यावहारिक जीवन में कैसे करना है इसकी शिक्षा प्रदान करता है।
(iv) ये छात्र को व्यावहारिक एवं वास्तविक जीवन जीने का अनुभव प्रदान करता है ।
(v) इसका कोई भी व्यक्ति का सकता है अर्थात् इसमें साक्षर या निरक्षर का कोई भेद नहीं होता है।
(vi) छात्र द्वारा सफल जीवन जीने की कला व्यावहारिक ज्ञान से ही आती है अतः कोई छात्र अपना सामाजिक तथा भावी जीवन किस प्रकार व्यतीत कर रहा है। ये उसके अधिगम के आंकलन द्वारा प्राप्त किया जा सकता है।
(vii) अधिगम का आंकलन एक योगात्मक प्रक्रिया है जिसका प्रमुख उद्देश्य छात्रों की उपलब्धियों को प्रमाणित करना एवं ग्रेड प्रदान है।
(viii) अधिगम का आंकलन में अधिगम एवं शिक्षण प्रक्रिया के अन्त में आंकलन को सूचना को सम्मिलित किया जाता है।
(ix) इसके आंकलन की कोई निश्चित पद्धति नहीं है। प्रत्येक व्यक्ति अपने अनुभव एवं ज्ञान के आधार पर दूसरे के अधिगम का आंकलन करता है।
(x) इसका आंकलन वास्तव में छात्रों द्वारा सामाजिक गतिविधियों में भाग लेने, समस्याओं के समाधान आदि से पता चलता है।
(xi) इसके अन्तर्गत छात्रों को सामाजिक परम्पराओं का व्यावहारिक ज्ञान पाठ्येतर गतिविधियों के माध्यम से स्वतः ही प्राप्त हो जाता है।
(xii) छात्र द्वारा समाज के प्रति किया गया आचरण, समाज द्वारा अपने कर्णधारों को प्रदान किया जा रहा ज्ञान तथा अन्य पहलुओं की जानकारी स्वतः मिल जाती है।
अधिगम के लिए आंकलन—
(i) अधिगम के लिए आंकलन से हमारा आशय छात्रों के ज्ञानात्मक तथा अन्य पहलुओं की जानकारी के अभाव में तो पाठ्यक्रम का निर्माण करना तथा उन्हें सरल एवं सहज माध्यम से ज्ञान प्रदान करना है।
(ii) इसका प्रारम्भ औपचारिक शिक्षा की रूपरेखा निर्माण करते समय होता है।
(iii) इसमें मनोवैज्ञानिक या अनुसंधान कर्त्ता छात्र के ज्ञान को महत्त्व न देकर जो सभी के हित में होता है उन शिक्षण विधियों का निर्माण करता है।
(iv) इसमें सैद्धान्तिक पक्ष पर अधिक ध्यान दिया जाता है यद्यपि अब दोनों में सामंजस्य पर ध्यान दिया जाने लगा है।
(v) इसके आंकलन के लिए व्यक्ति का |साक्षर होने के साथ ज्ञानी और अन्वेषी प्रवृत्ति का होना आवश्यक  है।
(vi)  शैक्षिक गतिविधियों कैसे अच्छी | तरह कार्य करें तथा छात्र अधिक से अधिक ज्ञान प्राप्त कर सकें। ये उसकी वार्षिक अंक पत्र तालिका देखकर पता किया जा सकता है तथा अधिगम के लिए पाठ्यक्रम शिक्षण विधियों आदि में बदलाव भी किया जाता है।
(vii) अधिगम के लिए आंकलन एक संरचनात्मक प्रक्रिया है जिसका प्रमुख उद्देश्य छात्रों के अधिगम की प्रक्रिया को समायोजित किया जाना है।
(viii) अधिगम के लिए आंकलन में सूचनाएँ अधिगम एवं शिक्षण प्रक्रिया के मध्य में ही एकत्रित की जाती है।
(ix) इसके आंकलन के लिए कई पद्धतियों का निर्माण किया गया है तथा इन पद्धतियों में समयसमय पर परिवर्तन होते रहते हैं।
(x) इसमें छात्र द्वारा सैद्धान्तिक या पुस्तकीय अभ्यास, समस्याओं के समाधान, पाठ्यक्रम, शिक्षण विधियों आदि का आंकलन होता है।
(xi) इसमें छात्रों को सामाजिक नियम, परम्पराएँ, रीति-रिवाज आदि का ज्ञान सैद्धान्तिक रूप में प्रदान किया जाता है।
(xii) ये औपचारिक माध्यम से ज्ञान प्रदान करने का एक माध्यम है अतः समाज द्वारा परिवर्तन होने के काफी समय बाद पहलुओं की जानकारी प्राप्त होती है।
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