आंकलन के लिए किए जाने वाले कार्य क्या-क्या है ? समझाइए।
आंकलन के लिए किए जाने वाले कार्य क्या-क्या है ? समझाइए।
उत्तर—आंकलन के लिए कार्य (Tasks for Assessment ) – अध्यापक ज्ञान को बालकों में हस्तान्तरित करने के लिए तथा बालकों की समझ को विकसित करने के लिए कक्षा-कक्ष में शिक्षण के माध्यम से अधिगम / बोध कराता है और प्रदत्त ज्ञान का मूल्यांकन करने के लिए विभिन्न प्रकार की पद्धतियों को उपयोग में लाने का काम करते हैं। बालकों के अधिगम मूल्यांकन करने के लिए आंकलन सम्बन्धित जितने भी कार्य अध्यापक द्वारा अपनाये जाते हैं उसे ही आंकलन के लिए कार्य (Task for Assessment) कहा जाता है। इसके द्वारा भिन्न-भिन्न प्रकार के बालकों की विभिन्न क्षमताओं/दक्षताओं/विभिन्नताओं का पता चलता है। अध्यापक विद्यार्थी का आंकलन मौखिक और लिखित परीक्षण/ निरीक्षण के द्वारा करते हैं जिन्हें शैक्षिक जगत में लोग इकाई परीक्षण, प्रारम्भिक परीक्षण, मध्यवर्ती परीक्षण और वार्षिक परीक्षण के नाम से जानते हैं। लिखित परीक्षाओं में अध्यापक किसी इकाई से कई अध्यायों से और समस्त विषय वस्तु से कुछ प्रश्न देकर विद्यार्थियों द्वारा एक निर्धारित समय में दिए गए प्रश्नों के उत्तरों से यह आंकलन करने की कोशिश करते हैं कि उनके द्वारा कक्षा-कक्ष शिक्षण में विद्यार्थियों ने कितनी समझ विकसित की है। अपेक्षित समझ विकसित हो पायी है अथवा नहीं। सामान्य रूप से इन परीक्षण परीक्षाओं में अंक अथवा ग्रेड दोनों दिये जाते हैं, बच्चों को प्रथम, द्वितीय, तृतीय औसत सफल (पास) घोषित किया जाता है।
आंकलन के लिए शिक्षक द्वारा निम्न पद्धतियों का प्रयोग किया जाता है —
(i) प्रायोजना (Project) – इसके लिए लघूत्तरात्मक प्रश्न संख्या 7 का उत्तर देखें |
(ii) दत्त कार्य (Assignment ) – दत्त कार्य शैक्षिक क्रिया का वह भाग है, जिसे विद्यार्थियों को पूरा करने के लिए दिया जाता है। प्रत्येक विद्यालय में प्रायः इसका प्रयोग किया जाता है। शिक्षण स्व अध्ययन पर आधारित होता है और अधिक विस्तृत होने के कारण अध्यापक को उसी अनुदेशन पर निर्भर रहना पड़ता है। यदि अध्यापक विद्यार्थी की गलतियों तथा कठिनाइयों के बारे में जानना चाहता है तो उसे इस बात का अधिक ध्यान रखना होगा कि वह छात्रों से किस काम की अपेक्षा रखता है और उसी से सम्बन्धित दत्त कार्य छात्रों को दिया जाना चाहिए। दत्त कार्य के द्वारा छात्रों को व्यक्तिगत रूप से सीखने के पाठ्यवस्तु की व्यवस्था तथा संगठन के अधिक अवसर मिलते हैं। इसके अतिरिक्त सीखी हुई पाठ्यवस्तु पर पुनः छात्र को सोचने तथा नवीन तरीकों से करने के अवसर मिलते हैं।
दत्तकार्य की निर्माण प्रक्रिया (Construction Process of Assignment) — दत्त कार्य की निर्माण प्रक्रिया निम्नलिखित बिन्दुओं को ध्यान में रखकर की जानी चाहिए—
(1) अधिगम के लक्ष्य को ध्यान में रखकर इसका निर्माण करना चाहिए। “
(2) इसकी रचना रोचक तथा चुनौतीपूर्ण होनी चाहिए।
(3) इसका नामांकन यथार्थ रूप से करना चाहिए।
(4) इसका निर्माण छात्र की क्षमता / साध्यता के आधार पर करना चाहिए।
(5) निर्माण के पश्चात् इसे भली-भाँति जाँच लेना चाहिए।
(6) इसके बनाने के बाद यह निश्चित होना चाहिए कि अध्यापक छात्र को दत्त कार्य के माध्यम से क्या सिखाना चाहते हैं।
(7) इस कार्य के लिए स्पष्ट निष्पादन तथा मानदण्ड होना चाहिए।
(8) दत्त कार्य का विशिष्ट प्रयोजन होना चाहिए।
(9) इसके विभिन्न प्रकार के मापदण्ड उल्लेखित होने चाहिए।
(10) दत्त कार्य पूर्ण होने के बाद इसका उचित आंकलन/ मूल्यांकन होना चाहिए।
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