आत्मविकास का अर्थ बताते हुए आत्मविकास किस प्रकार किया जा सकता है, सुझाव दीजिए |
आत्मविकास का अर्थ बताते हुए आत्मविकास किस प्रकार किया जा सकता है, सुझाव दीजिए |
उत्तर– आत्मविकास का अर्थ – व्यक्तिगत विकास का अर्थ केवल ऊर्ध्वगामी गति (यानि पदोन्नति) ही नहीं होता। वरन् इसका तात्पर्य अपने विद्यालय का नेतृत्व करने में, अपने कार्य प्रदर्शन का सुधार करने में अपने आपको सक्षम करना है।
अतः स्वयं का विकास आपके कौशलों तथा ज्ञान को विकसित करने, आकार देने और सुधार करने की जीवनपर्यन्त प्रक्रिया है जिससे विद्यालय में अधिकतम प्रभावकारिता और सकारात्मक आत्म अवधारणा का विकास सुनिश्चित किया जा सके।
प्रिन्स मॉर्टन के अनुसार, “व्यक्तित्व व्यक्ति के समस्त जन्मजात संस्थानों, आवेगों, प्रवृत्तियों, झुकावों एवं मूल प्रवृत्तियों और अनुभवों के द्वारा अर्जित संस्कारों एवं प्रवृत्तियों का योग है ।”
आत्मविकास हेतु सुझाव– अपने सम्पूर्ण जीवन को स्व-विकास करके व्यक्ति बदल सकता है तथा प्रत्येक क्षेत्र में सफलता भी प्राप्त कर सकता है अर्थात् जो भी वह चाहता है, उसे कर सकता है तथा जो कुछ भी वह बनना चाहता है, बन सकता है। अतः व्यक्ति के आत्मविकास को जारी रखने के लिए तथा उन्हें जीवन में लागू करने के लिए सकारात्मक सुझाव निम्न प्रकार से हैं—
(1) व्यक्ति को अपने स्व-विकास के लिए अपनी जिम्मेदारियों को स्वीकार करना चाहिए क्योंकि दूसरा व्यक्ति
किसी के लिए क्या कर सकता है। आज जो करोगे वह तुम्हारी कल की तैयारी को निर्धारित करेगा।
(2) व्यक्तिगत एवं व्यावसायिक विकास के विषयों पर वार्तालाप करनी चाहिए।
(3) भविष्य को देखते हुए स्वयं अपने कार्यों को नियंत्रित करना चाहिए तथा जो कार्य स्वयं को करना हो उसे भविष्य के लिए नहीं छोड़ना चाहिए।
(4) अन्य लोगों के अनुभव से ही सभी कार्य करने का प्रयत्न नहीं करना चाहिए बल्कि स्वयं के अनुभवों को भी सकारात्मकता देनी चाहिए।
(5) स्वयं की समस्याओं से निपटने के लिए धैर्य एवं प्रबन्धन कौशल को मजबूत बनाना चाहिए जिससे अच्छी तरह से दिमागी कसरत भी हो जाएगी।
(6) स्वयं की सन्तुष्टि के लिए व्यक्ति को रोजाना अच्छे कार्य करने चाहिए।
(7) विश्व जगत तीव्रता से परिवर्तित हो रहा है स्वयं को बदलाव प्रबन्धन के प्रचलन से बचाने के लिए विशेषज्ञता के प्रचलित क्षेत्र में सीखने के लिए कक्षाएँ लेनी चाहिए। इसी सन्दर्भ में विल रोजर्स ने कहा है कि- “यदि आप सही रास्ते पर है लेकिन परिवर्तनशील वातावरण में बैठते है तो आप में परिवर्तन खुद आ जाता है। “
(8) सीखने के अनुभवों को अपने जीवन में आत्मसात करके लागू करना चाहिए जिससे स्वयं अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायता मिलेगी।
(9) चार-पांच लोगों का समूह हो जिसमें खुलकर गैरआलोचनात्मक तरीके से कुछ विचारों पर चर्चा करनी चाहिए जिसमें मास्टर माइन्ड समूह का विकास होगा।
(10) दूसरों की सहायता के लिए स्वयं को संसाधन के रूप में विकसित करना चाहिए। किसके लिए, कब, क्या करना है? इसकी जानकारी रखनी चाहिए। स्वयं को भविष्य की आवश्यकताओं के लिए तथा दूसरों की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए सदैव उत्कृष्ट रहना चाहिए ।
(11) एक से अधिक ‘स्व संशय’ का कहना है कि आप अपने कार्य कर सकते हैं। यह एक प्रकार का स्व-विकास का सुझाव है।
(12) एक रजिस्टर में अपने प्रतिदिन के विचारों, भावनाओं एवं व्यक्तिगत विकास को दर्ज करना चाहिये ।
(13) प्रश्न पूछना, सुनना, अधिक प्रश्न करना स्व-विकास में सहायक होता है ।
(14) व्यक्ति को कभी-कभी स्व-विकास के लिए स्वयं से पूछना चाहिए कि-‘‘मैं अपने भाग्य में हेरफेर कर सकता हूँ।”
(15) स्वजीवन में पारिवारिक, वित्तीय, व्यावसायिक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक लक्ष्यों में सन्तुलन के लिए कार्य करना चाहिए।
(16) अपने लक्ष्यों को साकार रूप देने के लिए हमेशा मन में नयी क्रियाविधियों पर विचार करना चाहिए।
(17) सभी व्यक्तियों को समान रूप से कार्य करने के लिए एक दिनमें 24 घण्टे होते हैं। उन लोगों पर ध्यान देना चाहिए जो आपसे अधिक कर रहे हैं शायद आपको अपने कार्यों में सुधार के मार्ग प्राप्त हो जाएँ।
(18) स्व-विकास के लिए कुछ मॉडलों की पहचान करके उनकी कार्य-शैली का निरीक्षण करना चाहिए लेकिन उसकी नकल न करके उनके अनुभवों से सीखना चाहिए।
(19) सभी से सम्मानपूर्वक बातें करना स्वयं के विकास में सहायक होगा तथा बातचीत के द्वारा आप बहुत कुछ सीख सकते हैं।
(20) नवीन जानकारी के लिए हर समय नवीन परियोजनाओं की जानकारी रखनी चाहिए।
(21) कम से कम पुस्तक के एक अध्याय को रोजना पढ़ना चाहिए ।
(22) एक माह में एक पुस्तक अवश्य पढ़नी चाहिए।
(23) वास्तविक जीवन में क्या करने की इच्छा है क्या कर सकते हैं ? इसका निर्णय जरूर लेना चाहिए।
(24) किसी के साथ व्यापार एवं नौकरियाँ करके अनुभव प्राप्त करना चाहिए जिससे अतिरिक्त अनुभव प्राप्त किया जा सके ।
(25) अपनी गलतियों को देखते हुए दूसरों की सफलताओं से सीखना चाहिए।
(26) व्यक्ति अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए स्वप्न देखता है। ये स्वप्न लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सहयोग करते हैं।
(27) एक गैर आलोचनात्मक समर्थक के द्वारा अपनी प्रतिक्रिया, सुझाव, चुनौती एवं समर्थन के लिए सहयोग लेना चाहिए।
(28) अपने मन को सकारात्मक विचारों एवं प्रेरणाओं से भर देना चाहिए जिससे आपके मन में नकारात्मकता के लिए कोई स्थान ही न छूटे।
(29) व्यक्तिगत बुरी प्रवृत्तियों पर नियंत्रण रखना चाहिए जैसेधूम्रपान, मदिरापान, अधिक खाना, अधिक गपशप आदि ।
(30) अपने व्यवहार को लचीला तथा अनुकूली बनाना चाहिए ।
(31) अपने पिछले दिन या सप्ताह का पूरा रिकार्ड रखना चाहिए ताकि जो कार्य आपका पिछली अवधि में पूरा न हुआ हो उसे आगे की अवधि में बेहतर किया जा सके ।
(32) प्रतिदिन कुछ नया सीखने के लिए स्वयं को चुनौतीपूर्ण बनाना चाहिए।
(33) एक ‘विचार फाइल’ को नोटबुक ऐप होना चाहिए जिसमें अपने सभी नए विचारों को रिकार्ड करके रखा जा सके जिसके आधार पर अपने विचारों की समीक्षा सप्ताह में एक बार स्वयं अवश्य करनी चाहिए ।
हमसे जुड़ें, हमें फॉलो करे ..
- Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
- Facebook पर फॉलो करे – Click Here
- Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
- Google News ज्वाइन करे – Click Here