एक अच्छे अध्यापक में किन-किन गुणों का होना आवश्यक है ? स्पष्ट कीजिए ।

एक अच्छे अध्यापक में किन-किन गुणों का होना आवश्यक है ? स्पष्ट कीजिए ।

 उत्तर — अध्यापक के बिना शिक्षा की प्रक्रिया सफल रूप से नहीं चल सकती है। अध्यापक न केवल छात्रों को शिक्षण प्रदान करके ही अपने दायित्व से मुक्ति पा लेता है वरन् उसका उत्तरदायित्व तो इतना अधिक और महत्त्वपूर्ण है कि प्रत्येक व्यक्ति उन्हें पूर्ण करने में समर्थ नहीं है। अध्यापक की प्रत्येक क्रिया और व्यवहार का प्रभाव उसके विद्यार्थियों, विद्यालयों एवं समाज पर पड़ता है। इस दृष्टि से कहा जाता है कि अध्यापक राष्ट्र का निर्माता होता है। सामान्यतया एक अच्छे अध्यापक में निम्नलिखित गुणों का होना आवश्यक है—

( 1 ) शैक्षिक गुण — एक अध्यापक में अध्ययन के लिए स्तरानुसार न्यूनतम शैक्षिक योग्यता का होना आवश्यक है। साथ ही अध्यापक का प्रशिक्षित होना भी आवश्यक है। उदाहरणार्थ प्राइमरी कक्षाओं को पढ़ाने के लिए अध्यापक को कम से कम हायर सैकण्डरी कक्षा पास होना तथा एस.टी.सी. के रूप में शिक्षण कार्य का प्रशिक्षण प्राप्त किया होना चाहिए। इसी प्रकार सैकण्डरी कक्षाओं को पढ़ाने वाले अध्यापक के लिए कम से कम शैक्षिक योग्यता के रूप में स्नातक एवं बी. एड किया हुआ होना चाहिए। उच्च प्राथमिक कक्षा को पढ़ाने वाला अध्यापक सम्बन्धित विषयों में स्नातकोत्तर की डिग्री लिया हुआ होना चाहिये साथ ही बी. एड. की डिग्री भी उसके पास होना जरुरी है। कई विद्यालयों में अप्रशिक्षित अध्यापक अथवा अध्यापिकाओं को रख लिया जाता है जो उचित नहीं है। अतः अध्यापक का चयन करते समय इस बात को ध्यान में रखना चाहिए कि उसमें न्यूनतम योग्यता हो तथा प्रशिक्षित हो ।
( 2 ) व्यक्तित्व सम्बन्धी गुण— एक अच्छे अध्यापक का व्यक्तित्व भी प्रभावशाली होना आवश्यक है। अध्यापक का व्यक्तित्व प्रभावशाली तब ही हो सकता है जब उसमें निम्नलिखित गुण हों—
(1) बाह्य स्वरूप अध्यापक का व्यक्तित्व प्रभावशाली होने के लिए उसका बाह्य रूप अध्यापक के समान ही होना जरुरी है। अध्यापक के समान बाह्य रूप होने का अर्थ उसके सुन्दर या असुन्दर होने से न होकर, उसकी वेशभूषा आदि से है। अध्यापक को साफ-सुथरे प्रेस किये हुए तथा उचित कपड़े पहनने चाहिए, बालों को ढंग से संवारकर कक्षा में जाना चाहिए, इन सबसे शिक्षार्थी के ऊपर अच्छा प्रभाव पड़ता है।
(11) उत्तम स्वास्थ्य – एक अच्छे अध्यापक का शारीरिक रूप से स्वस्थ होना भी आवश्यक है। यदि अध्यापक स्वस्थ ही नहीं होगा तो वह कक्षा में क्या पढ़ायेगा। शारीरिक रूप से अस्वस्थ होने पर मानसिक रूप से भी अस्वस्थ रहेगा, कहा भी गया है कि “स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है। ” अतः कक्षा में वह भली-भाँति शिक्षण कार्य कर सके तथा विद्यालय के अन्य कार्यक्रमों में रुचि ले सके इसके लिए उसका शारीरिक एवं मानसिक रूप से स्वस्थ होना आवश्यक होता है।
(iii) नेतृत्व शक्ति – एक अच्छे अध्यापक में नेतृत्व शक्ति भी होनी चाहिए। उसे अपने विद्यार्थियों को प्रत्येक क्षेत्र शिक्षण-अधिगम, पाठ्य सहगामी प्रवृत्तियों, किसी विषय में विचार-विमर्श, अनुशासन बनाये रखने आदि में कुशल एवं प्रभावशाली नेतृत्व प्रदान करना चाहिए जिससे विद्यार्थी इन सभी क्षेत्रों में सफलतापूर्वक कार्य कर सकें ।
(iv) उच्च कोटि– एक अध्यापक को चारित्रिक रूप से दृढ़ होना चाहिए क्योंकि अध्यापक के चरित्र का प्रभाव उसके विद्यार्थियों पर शीघ्र ही पड़ता है। अतः अध्यापक को अपने विद्यार्थियों के समक्ष अपने आपको अच्छे रूप में प्रस्तुत करना चाहिए, कभी भी उनके सामने कोई गलत या अनैतिक हरकत नहीं करनी चाहिए ।
(v) निर्णय शक्ति – प्रभावशाली व्यक्तित्व वाले अध्यापक के लिए यह भी आवश्यक है कि वह किसी भी बात पर शीघ्र निर्णय लेने वाला हो । निर्णय के अभाव में विद्यालय के विभिन्न कार्य असमंजसता की स्थिति में बने रहेंगे जिसका विद्यार्थियों, प्रधानाध्यापक तथा समाज पर अच्छा प्रभाव नहीं पड़ेगा।
(vi) उत्साह — प्रभावशाली अध्यापक उत्साही होता है। जो भी कार्य उसे दिया जाता है उसे वह पूर्ण उत्साह के साथ करता है । इससे छात्रों में भी रुचि उत्पन्न होती है और वे भी अध्यापक का पूर्ण उत्साह के साथ सहयोग करते हैं जिससे कार्य में पूर्ण सफलता मिलने की संभावनाएँ बढ़ जाती है।
(vii) धैर्यवान – एक अच्छे अध्यापक में धैर्य का गुण होना आवश्यक है। छात्रों के प्रश्न पूछने पर उसे उखड़ना नहीं चाहिए, झुंझलाना नहीं चाहिए बल्कि धैर्य के साथ सोच-समझकर उनके प्रश्नों के उत्तर देकर उन्हें सन्तुष्ट करना चाहिए ।
(viii) विनोदप्रिय – अध्यापक यदि अपना चेहरा हमेशा कठोर मुद्रा में रखते हैं तो विद्यार्थी उस अध्यापक से अप्रसन्न ही रहते हैं। उससे बात करना पसन्द नहीं करते हैं और न ही उसे सहयोग देना पसन्द करते हैं अतः अध्यापक को विद्यार्थियों से सौहार्द्रपूर्ण और मधुर सम्बन्ध बनाने एवं कक्षा शिक्षण में रस और रुचि उत्पन्न करने के लिए विनोदप्रिय होना जरुरी है।
(ix) आत्म-सम्मान–जिस अध्यापक में आत्म-सम्मान की भावना नहीं होती है वे अध्यापक कहलाने के योग्य नहीं है। एक अच्छा और प्रभावशाली अध्यापक वह है जो विद्यार्थियों, प्रधानाध्यापक अथवा अन्य व्यक्तियों के सामने किसी गलत बात के लिए नहीं झुकता है, किसी प्रकार का अन्याय सहन नहीं करता है, गलत बात के लिए समझौता नहीं करता है। जो अध्यापक अपने कर्त्तव्यों और अधिकारों के प्रति सचेत रहता है वही अपने आत्म-सम्मान की रक्षा कर पाता है।
(x) कक्षा व्यवहार — कक्षा में अध्यापक को इस प्रकार का कार्य नहीं करना चाहिए जिसे देखकर विद्यार्थी उसकी हँसी उड़ाये। कई बार देखा जाता है कि कई अध्यापकों की शिक्षा के समय एक विशेष प्रकार की क्रिया करने की आदत पड़ जाती है जैसे पढ़ाते समय मुँह अथवा आँख मटकाना, पेन्ट की जेब में हाथ डालते रहना, पेन्ट बार-बार ऊपर खिसकाना, पैर हिलाना आदि । अध्यापक को अपने में किसी भी प्रकार की ऐसी आदत विकसित नहीं होने देनी चाहिए जिससे छात्र उसकी हँसी उड़ाये।
( 3 ) व्यावसायिक गुण— एक अच्छे अध्यापक में निम्नलिखित व्यावसायिक गुणों का होना आवश्यक है—
(i) व्यवसाय के प्रति निष्ठा—एक अध्यापक को अध्यापन व्यवसाय में रुचि और उसके प्रति निष्ठा होनी चाहिये । वह उसे केवल अपनी कमाई का ही साधन न समझे। अध्यापक यदि मजबूरी में अध्यापक बनता है तो वह वास्तव में अध्यापक बनने के योग्य नहीं है ।
(ii) विषय का पूर्ण ज्ञान — एक कुशल अध्यापक में इस गुण का होना अति आवश्यक है। विषय का पूर्ण ज्ञान नहीं होगा तो वह विद्यार्थियों की विषय सम्बन्धी समस्याओं का समाधान नहीं कर पायेगा जिससे छात्र उसका आदर सम्मान नहीं करेंगे और न ही उसे आत्म सन्तुष्टि हो पायेगी।
(iii) समुचित सहायक सामग्री का प्रयोग— वर्तमान समय में विषय-वस्तु की जटिलता की समाप्ति की दृष्टि से अध्यापन में शिक्षा तकनीकी के साधनों का प्रयोग किया जाने लगा है। एक अच्छा अध्यापक वही है जो छात्रों के स्तर, उनकी योग्यता एवं क्षमता तथा विषय-वस्तु की प्रकृति को ध्यान में रखकर, वस्तु को सरल और रुचिकर बनाने की दृष्टि से समुचित शिक्षण-सहायक सामग्री का प्रयोग करे।
(iv) मनोविज्ञान का ज्ञान— एक कक्षा में कई प्रकार के बालक होते हैं, उनकी भिन्न समस्याएँ होती हैं। वे अधिगम भली-भाँति कर सकें इसके लिए उनकी समस्याओं का समाधान होना आवश्यक है। एक शिक्षक उसी स्थिति में बालकों की समस्याओं का समाधान कर सकता है जब वह उनसे परिचित हो और समस्याओं के सम्बन्ध में जानने के  लिए शिक्षक को मनोविज्ञान का ज्ञान होना आवश्यक है। मनोविज्ञान का ज्ञान होने पर ही शिक्षक बालक की रुचि, योग्यता, क्षमता बुद्धि आदि को समझ सकता है और उसके आधार पर अपना शिक्षण और निर्देशन का कार्य सफलतापूर्वक कर सकता है।
(v) उचित शिक्षण विधियों का प्रयोग-अच्छे अध्यापक में यह गुण होना आवश्यक है कि छात्र उसकी बात को अच्छी तरह समझ सके। इसके लिए उसे छात्रों के स्तरानुसार एवं विषय की प्रकृति के अनुसार उचित शिक्षण विधि का प्रयोग करना चाहिए। उदाहरणार्थ छोटे बालक के लिए खेल विधि एवं प्रदर्शन विधि अथवा कहानी विधि का प्रयोग प्रभावशाली रहता है जबकि उच्च कक्षाओं में व्याख्यान विधि अथवा प्रयोगात्मक विधि उपयुक्त रहती है।
(vi) समय का पाबन्द–अच्छे अध्यापक का एक महत्त्वपूर्ण गुण उसका समय के प्रति पाबन्द होना है। वह समय पर विद्यालय में जाये, प्रार्थना सभा में उपस्थित हो तथा कालांश, प्रारम्भ होते ही कक्षा में जाये और कालांश समाप्ति के पूर्व कक्षा न छोड़े। अध्यापक यदि स्वयं समय का पाबन्द नहीं है तो उसके विद्यार्थी भी समय के पाबन्द नहीं हो सकते।
(vii) बालकों के प्रति प्रेम, सहानुभूति एवं रुचि–एक अध्यापक केवल अध्यापन के प्रति ही रुचि रखे यह पर्याप्त नहीं है। उसे अपने विद्यार्थियों में भी रुचि रखनी चाहिए। साथ ही विद्यार्थियों से प्रेम एवं सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार करना चाहिए। विद्यार्थियों के द्वारा पूछे गये प्रश्नों का संतोषप्रद ढंग से उत्तर देना चाहिए, उनकी समस्याओं का सहानुभूतिपूर्ण एवं प्रेमपूर्वक समाधान करना चाहिए, इससे विद्यार्थी भी अध्यापक का आदर करेंगे ।
 (viii) ज्ञान पिपासा- एक अच्छा अध्यापक वही है जिसमें हमेशा सीखने की ललक बनी रहती है। दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि “एक अच्छा अध्यापक वही है जो हमेशा विद्यार्थी बना रहता है।” इससे अध्यापक का स्वयं का ज्ञान तो गही है साथ ही साथ वह अपने विद्यार्थियों को भी लाभ दे ए
(ix) पाठ्य-सामग्री प्रवृत्ति में रुचि – एक अच्छे अध्यापक के लिए यह आवश्यक है कि वह विद्यालय में विभिन्न पाठ्य सहगामी क्रियाओं का आयोजन करने एवं उन्हें सफलतापूर्वक सम्पन्न कराने में रुचि लें। साथ ही इसके लिए उसे अपने विद्यार्थियों में रुचि विकसित करने के प्रयत्न करने चाहिए।
 (x) कुशल वक्ता — एक अध्यापक को अपनी बात को छात्रों तक पहुँचाने के लिए उसे रुचिपूर्ण, अच्छे स्तर तथा निश्चित अर्थ वाले शब्दों का प्रयोग करना चाहिए। साथ ही प्रवाहपूर्ण तरीके से बोलने में उसे झिझकना नहीं चाहिए, अत्यधिक गति से भी नहीं बोलना चाहिए। दूसरे शब्दों में उसे अपनी बात इस प्रकार कहनी चाहिए कि विद्यार्थियों पर उसका प्रभाव पड़े और वे उसे सुनने में रुचि लें।
(4) सम्बन्ध स्थापित करने का गुण— एक अच्छा अध्यापक वह है जो अन्य व्यक्तियों के साथ मधुर सम्बन्ध स्थापित करता है और बनाये रखता है। इस सन्दर्भ में उसे निम्नलिखित व्यक्तियों से सम्बन्ध बनाने होते हैं—
(1) विद्यार्थियों के साथ सम्बन्ध— अध्यापक का कार्य सिर्फ इतना ही नहीं है कि वह कक्षा में जाकर अपना पाठ पढ़ा दे। उसे यह भी देखना चाहिए कि विद्यार्थियों पर उसका कितना प्रभाव पड़ता है। वह इस बात को तब ही देख सकता है जब उसके विद्यार्थियों के साथ मधुर सम्बन्ध स्थापित हो। इसके लिए उसे प्रत्येक छात्र को ओर व्यक्तिगत रूप से ध्यान देना चाहिए, उनकी समस्याओं का उचित समाधान करना चाहिए, उनके साथ मित्रवत् व्यवहार करे।
(ii) समुदाय के साथ सम्बन्ध—जिस समुदाय में विद्यालय स्थित हैं अध्यापक को चाहिए कि वह उस समुदाय से भी अच्छे सम्बन्ध बनाये, इससे समुदाय के व्यक्ति विद्यालय की उन्नति में सहायक सिद्ध हो सकते हैं। समुदाय के साथ सम्बन्ध बनाने की दृष्टि से अध्यापक विद्यार्थियों का सहयोग ले सकता है।
(iii) अभिभावकों के साथ सम्बन्ध — एक अच्छा अध्यापक वह है जो विद्यार्थियों के साथ-साथ उनके माता-पिता से भी मधुर सम्बन्ध बनाता है। इसके लिये उसके विद्यार्थियों को माता-पिता को समयसमय पर बालक की प्रगति से परिचित कराते रहना चाहिए, बालक की समस्याओं के समाधान के लिए विचार-विमर्श करना चाहिए तथा विद्यालय में होने वाले विशिष्ट कार्यक्रमों में उन्हें आमंत्रित करना चाहिए। अध्यापक को शिक्षक-अभिभावक संघ बनाने में अधिकाधिक रुचि लेनी चाहिए।
(iv) साथी अध्यापकों के साथ सम्बन्ध—अध्यापक को अपने साथी अध्यापकों के साथ में भी मधुर सम्बन्ध बनाने चाहिए। अच्छा अध्यापक वही है जो अपने साथी अध्यापक के साथ प्रेम और सहयोग का व्यवहार करे, उनके विचारों का आदर करे उनकी निन्दा न करें ।
(v) प्रधानाध्यापक के साथ सम्बन्ध — एक अच्छा अध्यापक वही है जो प्रधानाध्यापक के साथ सहयोगपूर्ण व्यवहार करता है। विद्यालय में चलने वाली विभिन्न क्रियाओं को सफलतापूर्वक सम्पन्न कराने में अपना योगदान करता है ।
अतः स्पष्ट है कि एक अध्यापक में केवल अध्यापक का गुण होना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि उसमें उपर्युक्त सभी गुणों का होना आवश्यक है। उपर्युक्त सभी गुणों के होने पर ही कहा जा सकता है कि वह अध्यापक कुशल और प्रभावशाली है।
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