कक्षा में विशेष आवश्यकता वाले अधिगमकर्त्ताओं की व्यक्तिगत आवश्यकताओं पर अनुक्रियाओं को देने हेतु विभिन्न शिक्षा शास्त्री व्यूह रचनाओं की चर्चा कीजिए।

कक्षा में विशेष आवश्यकता वाले अधिगमकर्त्ताओं की व्यक्तिगत आवश्यकताओं पर अनुक्रियाओं को देने हेतु विभिन्न शिक्षा शास्त्री व्यूह रचनाओं की चर्चा कीजिए।

उत्तर–समावेशी शिक्षा अपने अन्दर विस्तृत पाठ्यक्रम, समायोजन हेतु कक्षागत परिस्थितियों के साथ-साथ समावेशन में सहायता प्रदान करने वाली शिक्षण रणनीतियाँ भी समाए हुए हैं। विशिष्टता पूर्ण बालकों की आवश्यकता की पूर्ति हेतु सामान्य शिक्षण के दायरे से ऊपर उठकर निम्न मुख्य बातों का ध्यान रखना आवश्यक हैं-
(1) समावेशी वातावरण के अन्तर्गत सामान्य व विशिष्ट बालकों को सामान्य एवं साधन सम्पन्न शिक्षकों के द्वारा समूह शिक्षण के पढ़ाने की व्यवस्था करनी चाहिए।
(2) शुरुआती दौर में ही बालकों की विशिष्ट आवश्यकताओं को पहचानकर उन्हें उपयुक्त वातावरण की व्यवस्था की जानी चाहिए।
(3) विशिष्ट बालकों के अभिभावकों के साथ शिक्षकों को हमेशा सम्पर्क एवं तालमेल बना कर रखना चाहिए।
(4) दक्षतापूर्ण शिक्षकों व स्वास्थ्य केन्द्रों से समावेशी विद्यालयों को नियमित रूप से सम्पर्क में रहना चाहिए।
(5) उपकरणों व संसाधनों के मामले में समावेशी संगठनों (शैक्षिक व गैर-शैक्षिक) को समय-समय पर परिष्कृत करते रहना चाहिए।
(6) शिक्षकों को नवाचार को स्वीकार कर नई-नई शिक्षण रणनीतियाँ आपसी समझ से तैयार करनी चाहिए, जो कि समावेशी शिक्षा को बढ़ावा दें।
(7) अधिगम हेतु वातावरण को सभी की आवश्यकताओं हेतु नियोजित करना चाहिए।
(8) समावेशी विद्यालय में समावेशन हेतु शिक्षण रणनीतियों को स्पष्ट होना चाहिए।
(9) समावेशी वातावरण हेतु विभिन्न प्रकार की विशिष्टताओं वाले बालकों के लिए उनकी विशिष्टता की श्रेणी के अनुसार यदि आवश्यक हो तो Individual Programme (व्यक्तिगत कार्यक्रम) को भी प्रयोग में लाना चाहिए।
(10) समावेशी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए समय-समय पर Workshop, Seminar, Group Discussions, दक्षता पूर्ण व्यक्तियों द्वारा व्याख्यान की व्यवस्था कर शिक्षकों के कौशलों, ज्ञान व अभिभावकों की जागरूकता को बढ़ावें व उनके व्यवहार को समावेशी शिक्षा के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण में बदलें।
(11) सामान्य व विशिष्ट बालकों को कक्षाओं के अन्तर्गत अध्ययन कार्य में एक-दूसरे का सहयोग करने हेतु प्रोत्साहित करते रहना चाहिए।
(12) विद्यालयों, महाविद्यालयों व अन्य शैक्षिक संस्थानों में विशिष्ट आवश्यकता वाले बालकों के सर्वांगीण विकास हेतु खेल व अन्य पाठ्य सहगामी क्रियाओं की व्यवस्था करनी चाहिए।
(13) कक्षागत परिस्थितियों में या विद्यालयों के अन्दर बालकों की विशिष्टता की आवश्यकता के अनुसार उन्हें किसी भी प्रकार की उपयुक्त सहायता प्रदान की जानी चाहिए।
 (14) पाठ्यक्रम के अन्तर्गत अध्ययन करते समय कठिन प्रत्ययों को आसान प्रत्ययों में तोड़कर विशिष्ट बालक की समझ व सृजनात्मकता को विकसित करना चाहिए।
(15) कथागत अन्तःक्रिया पर विशेष ध्यान देते हुए सामान्य व विशिष्ट बालक के समायोजन को बढ़ावा देना चाहिए ।
 (16) कक्षा का भौतिक परिवेश या व्यवस्था ऐसी होनी चाहिएं कि विशिष्ट बालकों को अभियोग्यता (Accessibility) प्रदान कर सके।
(17) विशिष्ट आवश्यकता वाले बालकों के लिए यातायात के कथायुक्त साधन उपलब्ध कराने चाहिए।
(18) परीक्षण सामग्री इस प्रकार की होनी चाहिए जिसने कि उन्हें कोई श्रवण व दृष्टि सम्बन्धित समस्या न हो।
(19) किसी प्रकार की प्रकरण सम्बन्धी सामग्री को Large Print Audio tape आदि के रूप में दिया जा सकता है।
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