खुली पुस्तक परीक्षा क्या है ? परीक्षा प्रणाली सुधार में इसकी भूमिका समझाइए ।
खुली पुस्तक परीक्षा क्या है ? परीक्षा प्रणाली सुधार में इसकी भूमिका समझाइए ।
अथवा
खुली पुस्तक प्रणाली की प्रासंगिकता लिखिये ।
अथवा
खुली पुस्तक परीक्षा प्रणाली को समझाइये ।
उत्तर — खुली पुस्तक परीक्षा-शैक्षिक उपलब्धि के मापन और आंकलन को एक ऐसे रोग से ग्रस्त कर लिया है जिसका निदान बतलाने में शिक्षविद् गम्भीरता से विचार करते हैं। यह रोग है नकल। आज इस रोग ने भयावह रूप धारण कर लिया है। नकल को रोकने के लिए परीक्षा प्रणाली में सुधार के लिए अनेक विकल्प सुझाये गये हैं। उनमें से एक विकल्प खुली पुस्तक प्रणाली का है ।
खुली पुस्तक परीक्षा से तात्पर्य छात्रों को परीक्षा के समय पुस्तक अपने साथ रखने और उसे देखने की अनुमति देता है अर्थात् परीक्षा में प्रश्नों के उत्तर देते समय परीक्षार्थियों को पुस्तक से सहायता लेने की सुविधा प्रदान करना है। परन्तु इस प्रणाली में यह सावधानी रखनी होगी कि परीक्षा भवन में विद्यार्थी केवल पाठ्यपुस्तक या सन्दर्भ ग्रन्थ ही ले जा सकें। उन्हें प्रश्न उत्तर, गैस पेपर या अपने स्वयं के तैयार किये गये नोट्स ले जाने की अनुमति न हो। खुली पुस्तक परीक्षा प्रणाली की पृष्ठभूमि में तर्क यह है कि छात्र बिना पुस्तक को पढ़े परीक्षा भवन में प्रश्नों के उत्तर पुस्तक से ढूँढ नहीं सकेगा। दूसरी ओर परीक्षकों को प्रश्न निर्माण में भी सावधानी बरतनी होगी। इसमें पूछे जाने वाले प्रश्नों की प्रकृति प्रचलित परीक्षा में पूछे जाने वाले प्रश्नों से भिन्न होगी। खुली संश्लेषण पुस्तक परीक्षा के पूछे जाने वाले प्रश्न, विश्लेषण, कौशल, आदि पर आधारित होने चाहिए न कि वर्णात्मक जैसे कि वर्तमान में पूछे जाते हैं। प्रश्न-पत्र निर्माताओं को ऐसे प्रश्न निर्मित करने होंगे जिसके उत्तर पुस्तक में सीधे-सीधे न मिल सकें। इस प्रकार की परीक्षा प्रणाली से छात्रों में रटने की प्रकृति कम होगी तथा वे पाठ्य सामग्री को समझकर पढ़ेंगे और विषय-वस्तु का कौशलतापूर्वक व्यावहारिक जीवन में प्रयोग करेंगे, साथ ही नकल की प्रवृत्ति समाप्त हो जायेगी।
हमसे जुड़ें, हमें फॉलो करे ..
- Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
- Facebook पर फॉलो करे – Click Here
- Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
- Google News ज्वाइन करे – Click Here