“गाँधी जी ने कहा था कि धर्म को राजनीति से अलग नहीं किया जा सकता” इसका क्या अभिप्राय है ?
“गाँधी जी ने कहा था कि धर्म को राजनीति से अलग नहीं किया जा सकता” इसका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर- गाँधी जी ने अपने इस बयान में किसी एक धर्म अथवा संप्रदाय को राजनीति से जोड़ने की बात नहीं की थी, बल्कि उनका यह मानना था कि भारतीय राजनीति का आधार धार्मिक विचारों से मिलने वाले नैतिक मूल्य होने चाहिए न कि अलगाववाद। उनका मानना था कि राजनीति का संचालन धर्म के द्वारा स्थापित सुविचारों एवं नैतिक मूल्यों के द्वारा होनी चाहिए ताकि एक लोक कल्याणकारी सत्ता की स्थापना हो सके।
भारतीय संविधान निर्माताओं ने इसका पूरा ख्याल रखा और संविधान के भाग-4 में वर्णित नीति-निर्देशक तत्त्वों में इसकी झलक देखने को मिलती है।