चालक, अचालक, अर्द्धचालक एवं अति चालक से आप क्या समझते हैं ? सोदाहरण व्याख्या करें।

चालक, अचालक, अर्द्धचालक एवं अति चालक से आप क्या समझते हैं ? सोदाहरण व्याख्या करें।

उत्तर ⇒ चालक – ऐसा पदार्थ जिससे होकर विधुत आवेश एक जगह से दूसरी जगह आसानी से चले जाते हैं, चालक कहलाता है। दूसरे शब्दों में जिन पदार्थों की विशिष्ट चालकता काफी अधिक होती है, चालक कहलाता है। चालक पदार्थों में मुक्त इलेक्ट्रॉनों की संख्या काफी अधिक होती है। जैसे-सोना, चाँदी, ताँबा, लोहा, ऐल्युमिनियम, नमकीन घोल इत्यादि।
अचालक-ऐसे पदार्थ जिनसे होकर विधुत आवेश प्रवाहित नहीं हो सकते हैं, अचालक कहलाते हैं। दूसरे शब्दों में ऐसा पदार्थ जिनकी विशिष्ट चालकता बहुत ही कम होती है, अचालक कहलाता है। अचालक पदार्थ में मुक्त इलेक्ट्रॉन नहीं होते हैं। जैसे-सल्फर, काँच, रबड़, प्लास्टिक, सूखी लकड़ी आदि।

अर्धचालक – ऐसे पदार्थ जिनकी विशिष्ट चालकता अचालक तथा चालक पदार्थों की विशिष्ट चालकता के बीच होती है, इन पदार्थों में मुक्त इलेक्टॉनों की संख्या अल्प होती है अर्द्धचालक कहते हैं। उदाहरणः जर्मेनियम एवं सिलिकान। अर्द्धचालक का उपयोग ट्रांजिस्टर, ‘डायोड तथा कम्प्यूटर के लिए स्मरण युक्तियों के निर्माण में किया जाता है।

अतिचालक – ऐसे पदार्थ जिनमें अतिनिम्न ताप पर (निरपेक्ष शून्य के निकट) पर बिना किसी प्रतिरोध के विधुत का गमन होता है अति चालक कहलाते हैं तथा यह घटना अतिचालकता कहलाती है। जैसे-शीशा, जिंक, ऐल्युमिनियम, पारा आदि।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *