चिन्तन स्तर के शिक्षण अधिगम प्रक्रिया के गुण व दोषों को लिखिये ।
चिन्तन स्तर के शिक्षण अधिगम प्रक्रिया के गुण व दोषों को लिखिये ।
अथवा
परावर्तन शिक्षण की महत्ता का वर्णन कीजिए ।
अथवा
चिन्तनशील शिक्षण के गुण-दोष लिखिये ।
उत्तर— परावर्तन या चिन्तन स्तर के शिक्षण की महत्ता —
(1) `सृजनात्मक कार्यों में सहायक होता है ।
(2) चिंतनशील शिक्षण अधिक विचार युक्त होता है।
(3) कार्य उत्पादन को बढ़ावा मिलता है ।
(4) इस स्तर का शिक्षण समस्या केन्द्रित होता है ।
(5) इसमें छात्रों द्वारा पाठ्य-वस्तु का गंभीरता से अध्ययन किया जाता है।
(6) चिंतनशील शिक्षण छात्रों को अग्रसरित करने व स्वतंत्र रूप से ज्ञान प्राप्त करने में सहायक होता है ।
(7) इस प्रक्रिया में छात्र तथ्यों के आधार पर सामान्यीकरण करते हैं व नए तथ्यों की खोज करते हैं ।
(8) मौलिक चिंतन पर बल दिया जाता है ।
चिन्तनशील शिक्षण के गुण– चिंतनशील शिक्षण के गुण निम्नलिखित हैं—
(1) यह ज्ञान में वृद्धि करता है।
(2) चिंतनशील शिक्षण आयोजन एवं नियोजन की दृष्टि से लचीला और गतिशील होता है।
(3) इस शिक्षण में समस्यापूर्ण स्थिति में किए जाने वाले व्यवहार तथा उसके समाधान का ज्ञान होता है।
(4) चिंतनशील शिक्षण के सभी विषयों तथा प्रकरणों के शिक्षण अधिगम के लिये प्रस्तुत किया जाता है।
चिंतनशील शिक्षण के दोष—इस शिक्षण के निम्नलिखित दोष है—
(1) इस शिक्षण से छात्र समस्या समाधान एवं मौलिक चिंतन ही कर सकेंगे ।
(2) यह केवल उच्च कक्षा के छात्रों के लिये ही उपयुक्त है।
(3) इसे सिर्फ पाठ्यवस्तु, पाठ्यक्रम एवं पाठ्य पुस्तकों तक ही सीमित नहीं किया जा सकता ।
(4) इसमें केवल सामूहिक वाद-विवाद व्यूहरचना ही प्रभावशाली मानी गई है।
(5) छात्र व शिक्षक निकट संबंध होने की वजह से अपने शिक्षक की आलोचना आसानी से कर सकता है।
(6) इसमें किसी निश्चित कार्यक्रम का अनुसरण नहीं किया जाता।
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