ज्ञान मीमांसा को परिभाषित कीजिए।

ज्ञान मीमांसा को परिभाषित कीजिए।

उत्तर- मीमांसा के अनुसार ज्ञान — डॉ. एस. चटर्जी एवं डॉ. डी. एम. दत्ता ने अपनी पुस्तक ‘An Introduction to Indian Phiosophy में लिखा है—” अधिकार के समर्थन के प्रयत्न में मीमांसा ने ज्ञान की प्रकृति की विस्तारपूर्वक विवेचना, सत्य की प्रकृति तथा मानदण्ड तथा इसी प्रकार गलत की वैध ज्ञान के विभिन्न स्रोतों (परिणामों) तथा दूसरी ज्ञान की समस्याओं का विस्तारपूर्वक विवेचन किया है।” मीमांसा के अनुसार ज्ञान के दो प्रकार हैं- (1) मध्यस्थ, (2) तत्कालीन ।
तत्कालीन ज्ञान का पदार्थ केवल मत अर्थात् जो अस्तित्व में है, से होता है जबकि यह पदार्थ इन्द्रिय से सम्बन्धित हो। ऐसे समय में आत्मा में तत्कालीन ज्ञान पैदा होता है। हम पदार्थ है यह तो जान पाते हैं लेकिन ‘है क्या’ यह नहीं समझ पाते, इसे तात्कालिक कहते हैं।
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