निर्योग्य बालकों के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 1986 के लाभ बताइये ।
निर्योग्य बालकों के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 1986 के लाभ बताइये ।
उत्तर – निर्योग्य बालकों के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 के लाभ निम्न हैं – वर्ष 1986 में शासन द्वारा लागू “नवीन शिक्षा नीति” में विकलांग बच्चों का परिचय, परिभाषाएँ एवं उनको आने वाली समस्याएँ आदि तत्त्वों का विशेष उल्लेख किया गया। इसमें विकलांग विद्यार्थियों को शैक्षणिक सुविधाएँ देने के लिए निम्नलिखित महत्त्वपूर्ण प्रावधान किये गये—
(1) प्राथमिक शिक्षा के स्तर के लिए शिक्षण-प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाये जायें तथा उनमें सुधार करने का प्रयास किया जाये।
(2) गम्भीर विकलांग बच्चों हेतु कम से कम जिला स्तर पर आवासीय विशेष विद्यालय का प्रबंध किया जाये।
(3) विकलांगों के व्यावसायिक प्रशिक्षण हेतु पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराए जायें ।
(4) जहाँ तक सम्भव हो अल्प मानसिक विकलांगता एवं अन्य विकलांगताओं से प्रभावित बच्चों को सामान्य बच्चों के साथ शिक्षा दी जाए।
नई शिक्षा नीति 1986 में विकलांग व्यक्तियों को ध्यान में रखते हुए कई अतिरिक्त प्रावधान किये गये तथा उनसे सम्बन्धित शिक्षण संस्थाओं को भी कई प्रकार की योजनाओं और सुविधाएँ प्रदान की गई तथा इस कार्य से शिक्षकों के भी महत्त्वपूर्ण बिन्दु निम्नलिखित हैं—
(1) सामान्य विद्यालयों के प्रधान अध्यापकों, प्राचार्यों तथा प्रवेश व्यवस्था से जुड़े अधिकारियों आदि सभी को इस प्रकार का प्रशिक्षण दिया जाए कि वे विकलांगता के कारण आने वाली समस्याओं एवं उनके अध्ययन के महत्त्व से अवगत हो सकें । .
(2) अधिकारियों को सहायक उपकरण सम्बन्धी जानकारी प्रदान करने के लिए प्रशिक्षण दिया जाए ।
(3) यह प्रावधान भी किया गया है कि सामान्य स्कूलों में छोटी एकल इकाई स्थापित की जाए, जिससे विकलांगों को विशेष सहायता प्राप्त हो सके।
(4) गम्भीर एवं अति गम्भीर विकलांगता से ग्रस्त बच्चों के लिए भी शिक्षा प्रदान करने की व्यवस्था की जाए।
(5) ऐसे विशेष विद्यालय खोले जाएँ जिनमें विशेष शिक्षा प्राप्त शिक्षक विकलांगों को शिक्षा प्रदान कर सकें ।
(6) जो बच्चे 60 डेसिबल या उससे कम श्रवण दोष से प्रभावित हैं उन्हें श्रवण यंत्र देकर और उनके माता-पिता को मार्गदर्शन देना है।
(7) सामान्य विद्यालयों में सीधे प्रवेश दिया जा सकता है सामान्य स्कूलों के शिक्षकों के लिए अल्पकालीन सेवारत प्रशिक्षण प्रदान किया जाए। जिससे उन्हें विकलांग विद्यार्थियों की समस्याओं से परिचय कसया जा सके ।
(8) समेकित शिक्षा का प्रबंध करने के लिए भारत सरकार राज्य सरकारों को आवश्यक धन प्रदान करेगी।
(9) प्रशिक्षण का कार्य केन्द्र सरकार तथा राज्य सरकारों द्वारा मिलकर किया जाए। जिन विद्यालयों में समेकित शिक्षा के लिए प्रावधान किया गया है, उन्हें विकलांगों के हितार्थ अतिरिक्त धन प्रदान किया जाए।
उच्च शिक्षा तथा तकनीकी शिक्षा में भी विकलांग व्यक्तियों को कई प्रकार की सुविधाओं का लाभ प्रदान किया गया है। अगर वे सामान्य पाठ्यक्रम की अन्य शर्ते पूरी करते हैं तो उन्हें मात्र विकलांगता के आधार पर प्रवेश से वंचित नहीं किया जा सकता है।”
किसी भी प्रतियोगी परीक्षा में विकलांग प्रतियोगी अपने शैक्षणिक स्तर का प्रदर्शन करते हुए नजर आते हैं। शासन ने इनके लिए विशेष सहायता की व्यवस्था व प्रतियोगी परीक्षा में छूट आदि की सुविधाएँ भी प्रदान की हैं।
” “इसके अलावा सरकार तमाम स्वयंसेवी संस्थाओं को स्कूल खोलने, चलाने, विस्तार करने आदि के लिए आर्थिक व अन्य प्रकार की सहायता देती है। “
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