पर्यावरण संरक्षण में विद्यालयों की भूमिका बताइए |
पर्यावरण संरक्षण में विद्यालयों की भूमिका बताइए |
उत्तर— पर्यावरण संरक्षण में विद्यालयों की भूमिका (Role of Schools in Environmental Conservation) –विद्यालय पर्यावरण शिक्षा के केन्द्र होते हैं। पर्यावरण शिक्षा पर्यावरण संरक्षण के लिए महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। पर्यावरण शिक्षा के द्वारा भावी नागरिक छात्रों को पर्यावरण का ज्ञान प्रदान किया जाता है। उसमें दक्षताओं का विकास किया जाता है और सबसे बढ़कर उसमें दृष्टिकोण निर्माण और सहभागिता की भावना का विकास करके शिक्षण पर्यावरण संरक्षण में समर्थ नागरिकों का निर्माण करती हैं। विद्यालय विभिन्न कार्य करके पर्यावरण संरक्षण में योगदान करते हैं—
(1) विद्यालय का आन्तरिक कार्य (Internal Function of School) – विभिन्न स्तर के विद्यालय अपनी सीमाओं के अन्दर पर्यावरण संरक्षण सम्बन्धी अनेक महत्त्वपूर्ण कार्य कर सकते हैं, जो निम्नवत् हैं—
(i) पर्यावरण संरक्षण के सरकारी, गैर-सरकारी तथा विद्यालय स्तर के कार्यक्रमों को नियमित रूप से संचालित करके।
(ii) पर्यावरण शिक्षा एवं संरक्षण को एक विषय के रूप में पाठ्यक्रम में सम्मिलित करके छात्र-छात्राओं को शिक्षण प्रदान करना ।
(iii) पर्यावरण प्रदूषा एवं असन्तुलन सम्बन्धी समस्याओं पर शोध कार्य करना ।
(iv) प्रतिवर्ष 5 जून को पर्यावरण दिवस, 21 मार्च को विश्व वन्य दिवस, 3 अक्टूबर को विश्व प्राकृतिक दिवस तथा 22 अप्रैल को पृथ्वी दिवस का व्यापक आयोजन करके।
(v) विद्यालय पर्यावरण प्रशिक्षण सम्बन्धी कार्यक्रम आयोजित करके जन सामान्य को प्रशिक्षण प्रदान करना ।
(2) विद्यालय के बाह्य कार्य ( External Functions of School)– बाह्य परिसर कार्यों के अन्तर्गत निम्न कार्य किए जा सकते हैं—
(i) नगर, गाँव तथा मोहल्ले में स्वच्छता अभियान चलाकर।
(ii) छात्रों को पर्यटन एवं पर्यावरण सम्बन्धी विधियों को प्रत्यक्ष रूप से दिखाकर ।
(iii) पर्यावरण संरक्षण सम्बन्धी नारे और चित्र लिखकर प्रदर्शित करना ।
(iv) वृक्षारोपण कार्यक्रमों तथा वन महोत्सव कार्यक्रम आयोजित करना ।
(3) पर्यावरण मानक एवं सूचक सम्बन्धी कार्य (Function related to Environmental Standards and Indices ) – पर्यावरण के मानक निर्धारण में सूचकों की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। हानिकारक प्रदूषकों का स्तर सूचकों द्वारा ज्ञात किया जाता है। सूचक शब्द उच्च होने पर पर्यावरण संकट ग्रस्त माना जाता है। सूचकों से पर्यावरण का सहिष्णुता स्तर (Tolerence Level) भी ज्ञात किया जाता है।
(4) विद्यालय का पर्यावरण सूचना तंत्र के रूप में कार्य. (Function of School as Environment Information System) – पर्यावरण सूचना तंत्र के अन्तर्गत सूचनाएँ एकत्र करना, उनकी प्रक्रिया एवं विश्लेषण सम्मिलित हैं। इन्हीं सूचनाओं एवं आँकड़ों के आधार पर योजनाओं का निर्माण किया जाता रहा है। पर्यावरण सम्बन्धी सूचनाएँ राष्ट्रीय स्तर पर एकत्र करने के लिए पर्यावरण सूचना तंत्र (National Environment Information System) की स्थापना आवश्यक है। प्राप्त सूचनाओं और आँकड़ों को एकत्र करके उनका मानचित्र तैयार किया जाए और उसे जन सामान्य तक पहुँचाया जाए। इस प्रकार से भौगोलिक सूचना तंत्र (Geographical Information System) भी इसमें अत्यन्त सहयोगी हो सकता है।
(5) पर्यावरण मूल्यांकन सम्बन्धी कार्य (Function related to Environmental Evaluation) – पर्यावरण प्रबन्धन एवं संरक्षण और पूर्वानुमान पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन द्वारा ही संभव है। निगरानी (montoring) द्वारा आँकड़ों का एकत्रण तथा विभिन्न तकनीकों द्वारा उनका विश्लेषण करके उसके प्रभाव का मूल्यांकन किया जाना । पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन के परिणाम जनमानस तक पहुँचाकर पर्यावरण संरक्षण सम्बन्धी जागरूकता उत्पन्न की जा सकती है।
(6) विद्यालय के कार्य विभिन्न पर्यावरणीय संरक्षण के रूप में (Funcitons of School and as Various Environmental Forms) – बालकृष्ण जोशी के शब्दों में विद्यालय आध्यात्मिक संगठन है, जिसका अपना स्वयं का विशिष्ट व्यक्तित्व है। विद्यालय गतिशील सामुदायिक केन्द्र है जो चारों ओर जीवन और शक्ति का संचार करता है । विद्यालय एक आश्चर्यजनक भवन है, जिसका आधार सद्भावना हैलोगों की सद्भावना, माता-पिता की सद्भावना, छात्रों की सद्भावना।”
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