पर्यावरण स्वच्छता से आप क्या समझते हैं? इसका महत्त्व लिखिये ।

 पर्यावरण स्वच्छता से आप क्या समझते हैं? इसका महत्त्व लिखिये । 

                                     अथवा
रोगों को नियंत्रित करने हेतु आप क्या प्रबंध करेंगे।
उत्तर—  पर्यावरण स्वच्छता (Environment Sanitation) विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, “मानव के भौतिक विकास, स्वास्थ्य एवं जीवन पर दुष्परिणाम डालने वाले कारकों, जो कि मानव के भौतिक वातावरण में विद्यमान रहते हैं, पर नियंत्रण पाने की कला को ‘पर्यावरण’ की स्वच्छता कहते हैं । “
स्वच्छता (Sanitation) का शब्दकोशीय आशय “स्वास्थ्य की सुरक्षा का विज्ञान” (The science of Safe guarding health) से लगाया जाता है। अमेरिका की राष्ट्रीय स्वच्छता संस्था के अनुसार, “Sanitation is a way of life, it is the quality of living that is expressed in the clean home, the clean farm, the clean business, the clean neighbourhood and the clean community. Being way of life it must come from with in the people, it is nourished by knowledge and grows as an obligation and an ideal in human relations.”
                                                                                                   —National Sanitation Foundation of U.S.A.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ‘पर्यावरण’ और ‘स्वच्छता’ दोनों में घनिष्ठ सम्बन्ध को बताते हुए निम्न परिभाषा प्रस्तुत की है, “मानव के भौतिक विकास, स्वास्थ्य एवं जीवन पर दुष्परिणाम डालने वाले कारकों जो कि मानव के भौतिक वातावरण में विद्यमान रहते हैं, पर नियंत्रण पाने की कला को पर्यावरण स्वच्छता कहते हैं।”
स्वच्छता का श्रेय रोगों की रोकथाम करना तथा सामान्यजन के स्वास्थ्य में सुधार लाना है। इसकी पूर्ति के लिए मानव को जल, आहार, मकान, वस्त्र तथा बाह्य स्वच्छता आदि कारकों पर नियंत्रण करने की आवश्यकता है। मानव जाति अभी इस समस्या के निवारण के पूर्ण योग्य नहीं हो सकी है। पुरानी समस्याओं के समाधान होने से पूर्व नई समस्याएँ सामने आ खड़ी होती है। आज परमाणु विज्ञान के कारण वातावरण रेडियो एक्टिव (Radio-active) पदार्थों की अधिकता के कारण अत्यधिक प्रदूषित हो रहा है। अतः पर्यावरण की स्वच्छता पर नियंत्रण और जटिलतम विषय हो गया है। ‘पर्यावरण की स्वच्छता का नाम बदलकर’ आजकल ‘पर्यावरण स्वास्थ्य’ (Environment Health) रख दिया गया है।
पर्यावरण स्वच्छता का महत्त्व (Importance of Environment Sanitation) – पर्यावरण का हमारी शारीरिक संरचना, स्वास्थ्य और मन पर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है। पर्यावरण के प्राकृतिक साधन जितने स्वच्छ, निर्मल तथा अप्रदूषित होंगे हमारा शरीर और मन भी उतने ही स्वस्थ और अच्छे होंगे। इसके विपरीत प्रदूषित पर्यावरण में निवास करने पर स्वास्थ्य तथा विचारों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इस प्रकार मनुष्य एवं अन्य जीवधारियों तथा प्रकृति में परस्पर प्रगाढ़ सम्बन्ध है। उपर्युक्त सभी कथनों से स्पष्ट होता है कि पर्यावरण स्वच्छता मानव जीवन के लिए कितनी आवश्यक है। निम्न बिन्दुओं से व्यक्ति, समुदाय एवं राष्ट्र के लिए पर्यावरण की उपयोगिता को समझाया जा सकता है—
(1) स्वस्थ एवं सुखी जीवन की सम्भावनाओं का विकास – स्वस्थ एवं सुखी सार्वजनिक जीवन हेतु खाली, हवादार, दुर्गन्ध रहित, गन्दे पानी की समुचित निकास वाली आवासीय बस्तियों के विकास की आवश्यकता है। समय-समय पर डी. डी. टी. पाउडर का छिड़काव, बगीचों का रख-रखाव आदि व्यवस्थाओं से समाज में स्वस्थ एवं सुखी जीवन की संभावना का विकास किया जा सकता है।
(2) भीषण रोगों से मुक्ति — गन्दे, तंग और अन्धेरे से परिपूर्ण आवासीय क्षेत्रों में अनेकानेक भीषण रोग पनपते हैं, ऐसी गन्दी बस्तियों में रहने वालों का जीवन नरक हो जाता है। प्रायः प्रदूषित वातावरण में निर्मित आवासीय क्षेत्रों में ही संक्रामक रोगों का निवास होता है। आवासीय क्षेत्रों में गन्दे पानी के निकास, धुएँ, गैस तथा अन्य अस्वास्थ्यकारी तत्वों के निकास की समुचित व्यवस्था से सार्वजनिक स्वास्थ्य की उपलब्धि सम्भव है। अनेक व्यक्ति आलीशान भवनों में रहकर स्वच्छता एवं साफसफाई के प्रति लापरवाह देखे गये हैं। स्वच्छता के लिए कीमती वस्तओं और आलीशान मकानों की जरूरत नहीं होती, मिट्टी से लिपे-पुते कच्चे घरों में भी पूर्ण स्वस्थ जीवन जीने की पूर्ण संभावनाएँ हैं। पर्यावरण स्वच्छता हैजा, मलेरिया, डेंगू, पेट की खराबी आदि भीषण रोगों से मुक्ति दिलाने में सहायक है।
(3) उपयोगी साधनों की उपलब्धता — मनुष्य के जीवन के लिए उपयोगी साधनों की उपलब्धता पर्यावरण से ही सम्भव है। मनुष्य की आवश्यकताओं के साथ-साथ पदार्थों की मांग बढ़ती जा रही है । पर्यावरण में सन्तुलन बनाकर वनों और भूमि से खाद्य पदार्थ प्राप्त किये जाते हैं। वनों के विनाश, घटते वन्य जीव, कृषि रसायन, विकिरण के जैविक दुष्प्रभाव से प्राकृतिक सन्तुलन बिगड़ जाता है, इससे कृषि, वन्य पदार्थों, जलापूर्ति, वायु आदि का अभाव उत्पन्न होने से रोकने के लिए पर्यावरण स्वच्छता पर ध्यान देने की आवश्यकता आज सभी अनुभव करने लगे हैं।
(4) आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ बनाने में सहायक – पर्यावरण स्वच्छता से देश में प्राकृतिक साधनों के विकास की संभावनाएँ बढ़ती है। इससे रोजगार के अवसरों में वृद्धि होना स्वाभाविक है, परिणामस्वरूप एक सीमा तक निर्धनता को समाप्त किया जा सकता है। देश की आर्थिक स्थिति में सुधार आता है ।
(5) अनुकूल मौसम की संभावनाओं का विकास–पर्यावरण स्वच्छता के अन्तर्गत वनों का विकास, जलापूर्ति, भूमि के कटाव से सुरक्षा आदि को भी सम्मिलित किया जाता है। पिछले कुछ दशकों से वनों को निर्ममततापूर्वक कटाई पर प्रतिबन्ध लगाया गया है। वन सम्पदा के विनाश से मानसून की अनियमितता जैसे दुष्परिणाम सामने आए हैं। पर्यावरण सुरक्षा सम्बन्धी नीतियाँ बनाकर वनों के विनाश को रोककर वर्षा की संभावना विकसित होती है जिससे अकाल जैसी समस्याओं से सुरक्षा मिल सकती है।
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