प्रायोजना कार्य का अर्थ स्पष्ट कीजिए तथा उसके आधारभूत सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।

प्रायोजना कार्य का अर्थ स्पष्ट कीजिए तथा उसके आधारभूत सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।

उत्तर–प्रायोजना कार्य का अर्थ-इसके लिए लघुत्तरात्मक प्रश्न संख्या 7 का उत्तर देखें।
प्रायोजना के आधारभूत सिद्धान्त ( Basic Principles of Project)– प्रायोजना के आधारभूत सिद्धान्त निम्नलिखित हैं—
(1) रोचकता का सिद्धान्त – इसमें बालक स्वयं प्रायोजना को चुनता है तथा रोचकता के साथ कार्य करता है।
(2) उद्देश्य का सिद्धान्त–प्रायोजना उद्देश्यपरक होता है, जो कार्य बालकों से पूर्ण करवाया जाता है वह उद्देश्यपरक होता है।
(3) वास्तविकता का सिद्धान्त – इस विधि में बालकों से जो कार्य कराया जाता है वह वास्तविक परिस्थितियों के अनुकूल होता है।
(4) उपयोगिता का सिद्धान्त – इस विधि में बालक उसी कार्य को चुनते हैं जिन्हें वे उपयोगी समझते हैं। वैसे भी प्रायोजना के कार्य उपयोगिता की दृष्टि पर आधारित होते हैं जिसमें बालक जो कुछ भी सीखता है, वह करके सीखता है यह व्यावहारिकता ही सामाजिक उपयोगिता का सबसे बड़ा आधार है।
(5) क्रियाशीलता का सिद्धान्त इसमें बालक स्वाभाविक रूप से निरन्तर क्रियाशील रहकर कार्य करते हैं।
(6) सामाजिकता का सिद्धान्त बालक समाज का अंग है, यही कारण है कि प्रायोजना कार्य के माध्यम से उसे सामाजिक सरोकार से सम्बन्धित कार्य करवाए जाते हैं जिससे उनमें सहयोग, सद्भाव, प्रेम, सहनशीलता, सहकारिता जैसे सामाजिक गुणों का विकास हो सके।
(7) स्वतंत्रता का सिद्धान्त – इस विधि में बालक को कार्य करने, चुनने की स्वतंत्रता होती है तथा वह स्वतंत्र होकर अपना कार्य करता है।
(8) व्यक्तिगत विभिन्नता का सिद्धान्त– एक ही कक्षा में विभिन्न स्तर के बालक पढ़ते हैं, उनकी रुचि, योग्यता, क्षमता तथा अन्य गुणों में भिन्नता पाई जाती है। ऐसी स्थिति में बालक को अपनी पसन्द व रुचि के अनुसार कार्य करने के लिए कार्य चुनने के लिए स्वतंत्र रूप से छोड़ दिया जाता है।
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