बालिका शिक्षा भारत में वर्तमान समय में क्यों ‘जरूरी है ?

बालिका शिक्षा भारत में वर्तमान समय में क्यों ‘जरूरी है ?

उत्तर  – भारत में स्त्री शिक्षा की आवश्यकता के कारणकिसी भी समाज या राष्ट्र में स्त्री-पुरुष दोनों की शिक्षा की आवश्यकता है। शिक्षा के अभाव में किसी भी व्यक्ति, समाज या राष्ट्र का विकास नहीं हो सकता है इसलिए भारत में स्त्री शिक्षा की आवश्यकता के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं
(1) परिवार के उत्थान के लिए – स्त्री किसी भी परिवार की धुरी होती है। स्त्रियों पर शिशुओं के लालन-पालन एवं उनकी शिक्षा तथा गृहस्थ जीवन के चलाने की पूरी जिम्मेदारी होती है। इन समस्त उत्तरदायित्वों के कुशलतापूर्वक निवर्हन के लिए उनको शिक्षित करना अत्यन्त आवश्यक है। माँ ही बालक की पहली शिक्षिका होती है। अतः एक स्त्री की शिक्षा का अर्थ है एक परिवार की शिक्षा। माँ शिक्षित होगी तो बालक शिक्षित होंगे, पूरा परिवार शिक्षित होगा। जिस परिवार के सभी सदस्य शिक्षित होंगे उस परिवार का उत्थान होगा।
(2) मानवाधिकार की रक्षा के लिए- आज विश्व का प्रत्येक प्राणी मानवाधिकार के प्रति सचेत है। मानवीय दृष्टि से स्त्री-पुरुष में किसी प्रकार का भेद नहीं होना चाहिए, उन्हें अपने-अपने विकास के समान अधिकार तथा समान अवसर प्राप्त होने चाहिए। ऐसा तभी सम्भव है जब स्त्री-पुरुष दोनों को शिक्षा के समान अवसर दिए जाएँ।
(3) समाज के उत्थान के लिए- जब हम समाज की बात करते हैं तो उसमें समाज के अन्तर्गत आने वाले सभी सामाजिक समूह शामिल होते हैं। परिवार सबसे छोटा एवं मूलभूत सामाजिक समूह होता है। इसके उत्थान में स्त्री-पुरुष दोनों की समान भूमिका होती है। हम सभी जानते हैं कि शिक्षित समाज की रहन-सहन एवं खान-पान की विधियाँ एवं उनके व्यवहार प्रतिमान अशिक्षित समाज से उच्च होते हैं—श्रेष्ठ होते हैं। हमारे देश में स्त्रियाँ इस मार्ग में बड़ी बाधक हैं। अशिक्षित होने के कारण वे रूढ़ियों, कुरीतियों, अंधविश्वासों एवं भय से ग्रसित हैं। यदि हमें भारतीय समाज का उत्थान करना है तो सर्वप्रथम हमें अपने देश की समस्त स्त्रियों को शिक्षित करना होगा।
(4) राष्ट्र के विकास के लिए –  प्राकृतिक संसाधन एवं मानव संसाधन इन्हीं दोनों तत्त्वों पर प्रत्येक राष्ट्र का विकास निर्भर करता है। प्राकृतिक संसाधन तो प्रकृति प्रदत्त है किन्तु मानव संसाधन का विकास शिक्षा पर निर्भर करता है। अतः प्रत्येक राष्ट्र के विकास के लिए स्त्रीपुरुष दोनों के लिए ही शिक्षा अत्यन्त आवश्यक व महत्त्वपूर्ण है।
(5) आर्थिक विकास के लिए- शोधों के परिणाम यह बताते हैं कि अशिक्षित व्यक्ति की तुलना में शिक्षित व्यक्ति की कार्यकुशलता एवं कार्य क्षमता दोनों ही अधिक होती हैं इस विषय में तथ्य यह है कि वह व्यवसाय एवं उत्पादन के क्षेत्र में अधिक सफल होता है, अत: इस दृष्टि से भी स्त्री एवं पुरुष सभी के आर्थिक विकास के लिए राष्ट्र को आज इस नारी शक्ति को शिक्षित करना आवश्यक है साथ ही व्यवसाय एवं उत्पादन के क्षेत्र में प्रशिक्षित करना आवश्यक है।
( 6 ) लोकतन्त्र की रक्षा के लिए –  हमारे देश भारत का लोकतन्त्र छ: मूल सिद्धान्तों पर आधारित है— स्वतन्त्रता, समानता, भ्रातृत्व, समाजवाद, धर्म निरपेक्षता एवं न्याय । उचित शिक्षा के अभाव में इन सिद्धान्तों का लोगों को स्पष्ट ज्ञान नहीं हो पाता है। अतः शिक्षा लोकतन्त्र की रीढ़ की हड्डी है, इसके अभाव में लोकतन्त्र सफल नहीं हो सकता है।
(7) संस्कृति के संरक्षण एवं उसके विकास के लिए –  बालक के पालने से ही संस्कृति की शिक्षा प्रारम्भ हो जाती है। ऐसे में यदि माताओं को ही अपनी संस्कृति का स्पष्ट ज्ञान नहीं होगा तो वे अपने बालकों को संस्कृति का ज्ञान कैसे करा सकती हैं। संस्कृति के मूल तत्त्वों को सुरक्षित ही नहीं रख सकती है तो उनमें विकास तो बहुत दूर की बात है। शिक्षा के अभाव में वे अच्छे व बुरे में भेद नहीं कर पाती है, परिणामस्वरूप वे बुराइयों को दूर नहीं कर पा रही हैं और न ही अच्छाइयों का विकास ही कर पर रही हैं अतः संस्कृति के संरक्षण एवं उसके विकास के लिए स्त्री शिक्षा की आवश्यकता है।
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