बीवी ने शेयर बाजार में लिया कर्ज, तो चुकाना पति की जिम्मेदारी; सुप्रीम कोर्ट का फैसला

बीवी ने शेयर बाजार में लिया कर्ज, तो चुकाना पति की जिम्मेदारी; सुप्रीम कोर्ट का फैसला

शेयर बाजार में अगर बीवी ने कर्ज लिया हो, तो उसकी जिम्मेदारी पति पर भी आएगी। सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा कि अगर पति-पत्नी के बीच मौखिक समझौता हुआ हो, तो पति पर कर्ज चुकाने की जिम्मेदारी आ सकती है। ये मामला सुप्रीम कोर्ट की बेंच में जस्टिस पीएस नरसिंह और जस्टिस संदीप मेहता के सामने आया। मामला एक ऐसे जोड़े से जुड़ा था जो दोनों शेयर बाजार में निवेश करते थे।

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, पत्नी के खाते में भारी नुकसान हुआ और कर्ज चढ़ गया। मामला जब आर्बिट्रल ट्राइब्यूनल के पास पहुंचा, तो उसने पति-पत्नी दोनों को कर्जदार ठहराया। शौहर ने इस फैसले के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाया लेकिन वहां भी उसे राहत नहीं मिली। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि मौखिक समझौते के आधार पर भी पति को पत्नी के शेयर बाजार के कर्ज के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। कोर्ट ने बंबई स्टॉक एक्सचेंज के 1947 के एक कानून का हवाला देते हुए कहा कि ट्राइब्यूनल चाहे तो पति पर वित्तीय देनदारी डाल सकता है।

अदालत के सूत्रों के मुताबिक, इस जोड़े के अलग-अलग ट्रेडिंग अकाउंट थे, लेकिन वे दोनों मिलकर इन्हें ऑपरेट करते थे। पत्नी को हुए नुकसान की भरपाई शौहर के अकाउंट से की गई, जिससे उनका डेबिट बैलेंस बढ़ता गया। जब शौहर ने इसे चुनौती दी, तो ट्राइब्यूनल ने दो टूक कह दिया कि यह कर्ज दोनों की साझा जिम्मेदारी है। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पर अपनी मुहर लगा दी और आदेश दिया कि शौहर को 9 प्रतिशत सालाना ब्याज के साथ 1 करोड़ 18 लाख 58 हजार रुपये चुकाने होंगे।

सुप्रीम कोर्ट के इस अहम फैसले से साफ हो गया है कि शेयर बाजार में निवेश करने वाले दंपतियों के लिए मौखिक समझौते भी कानूनी रूप से मान्य हो सकते हैं और अगर पत्नी कर्ज में डूबती है, तो उसका बोझ शौहर को भी उठाना पड़ सकता है।

Source – Hindustan

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