राजस्थान में महिला सशक्तीकरण के लिए किये जा रहे प्रयासों का वर्णन कीजिए।
राजस्थान में महिला सशक्तीकरण के लिए किये जा रहे प्रयासों का वर्णन कीजिए।
उत्तर – राजस्थान में महिला सशक्तीकरण के प्रयास राजस्थान में महिला सशक्तीकरण के लिए निम्नलिखित प्रयास किये जा रहे हैं—
(1) महिलाओं के लिए नीतियाँ – राष्ट्रीय योजनाओं के आधार पर राजस्थान में भी पंचवर्षीय योजनाओं को बनाया गया है। राज्य की पाँचवीं पंचवर्षीय योजना में महिला एवं बच्चों के पोषण पर बल दिया गया तथा छठी पंचवर्षीय योजना में एक अध्याय महिलाओं एवं बच्चों के लिए विशेष रूप से जोड़ा गया।
नवीं पंचवर्षीय योजना में शिक्षा, स्वास्थ्य तथा रोजगार के क्षेत्र में महिलाओं तथा समाज के अन्य पिछड़े वर्ग के प्रति विशेष आग्रह द्वारा इनके सशक्तीकरण की दिशा में प्रयास किए गए। संगठित क्षेत्र जिनमें महिलाओं के लिए रोजगार के क्षेत्र सीमित होते हैं, इनमें उनके लिए विशेष प्रशिक्षण तथा पाठ्यक्रम की योजना बनाई गई। महिलाओं के लिए सम्पूर्ण योजना के कुल खर्च के 0.16 प्रतिशत संसाधनों का आवंटन किया गया था जो कि अन्य विभिन्न महिलोन्मुखी कार्यक्रमों के अतिरिक्त आवंटन था। दसवीं पंचवर्षीय योजना में महिला विकास, महिला मुद्दों तथा महिला कल्याण के लिए संसाधनों तथा कार्यक्रमों का विस्तार किया गया।
( 2 ) महिला विकास कार्यक्रम – राजस्थान में महिलाओं की सामाजिक-आर्थिक स्थिति सुदृढ़ कर उन्हें विकास की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों, योजनाओं की शुरुआत 1984 से हुई है। राज्य में महिला विकास तथा कल्य हेतु कई संस्थाओं का गठन, किया गया महिला एवं बाल विकास विभाग, राज्य महिला आयोग तथा समाज कल्याण विभाग।
राज्य में महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा महिला एवं बच्चों के कल्याण हेतु अनेक योजनाओं का संचालन किया जा रहा है। जिनमें कई योजनाएँ केन्द्र द्वारा संपोषित हैं। प्रमुख योजनाएँ निम्न हैं-
(i) महिलाओं के लिए विकास कार्यक्रम – 1984 से यह सभी जिलों में लागू है जिसका उद्देश्य महिलाओं में सूचना, शिक्षा तथा प्रशिक्षण द्वारा सामाजिक, आर्थिक सशक्तीकरण लाना है।
(ii) लाड़की योजना – यह योजना किशोर बालिकाओं को उनकी आवश्यकताओं, योग्यताओं, क्षमताओं द्वारा अपने हित में प्रयासों के जरिए सामाजिक विकास पर बल देती है। किशोर बालिकाओं को समूह के रूप में, मेले के आयोजन तथा परम्परागत क्षेत्रों में प्रशिक्षण द्वारा यह योजना क्रियान्वित की जा रही है। फरवरी, 2001 तक 19 जिलों की 18600 बालिकाएँ इस योजना से लाभान्वित हो चुकी हैं।
(iii) महिला रोजगार योजना – महिला एवं बाल विकास विभाग पंचायती राज विभाग, केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय तथा यूनिसेफ के संयुक्त प्रयासों से राज्य के दस जिलों में यह योजना क्रियान्वित की गई है। इसका उद्देश्य महिलाओं को गैर-परम्परागत क्षेत्रों में प्रवेश दिलाना है। बाद में इसका विस्तार 13 जिलों में कर दिया गया। अब यह पूर्ण हो चुकी है।
(iv) समन्वित बाल विकास योजना—यह योजना 1975 में विश्व बैंक की सहायता से शुरू की गई जिसका अब तीसरा चरण चल रहा है। यह राज्य के सभी जिलों में लागू है। इस योजना का उद्देश्य 0-6 वर्ष आयु के बच्चों, किशोर बालिकाओं, गर्भस्थ महिलाओं आदि का पोषण, स्वास्थ्य परीक्षण, आयरन फोलिक एसिड वितरण आदि हैं।
(v) स्वयं सहायता समूह (SHG) कार्यक्रम – इस कार्यक्रम का उद्देश्य गरीब ग्रामीण महिलाओं में बचत एवं सहकारिता की प्रवृत्ति विकसित करना और उन्हें बैंक, नाबार्ड आदि से ऋण लेने में सहायता करना है। फरवरी, 2001 तक राज्य में 2.82 लाख महिला सदस्यों द्वारा 18827 स्वयं सहायता समूहों का निर्माण हो चुका है।
(vi) समाज कल्याण विभाग की योजनाएँ – इस कार्यक्रम के तहत 2001 तक 33 होस्टल्स बनाए जा चुके हैं।
(vii) महिला आवास-शोषित एवं प्रताड़ित किशोरियों एवं महिलाओं जिन्हें समाज में उपेक्षा की दृष्टि से देखा जाता है, उनके लिए आवास सुविधाएँ प्रदान की जाती हैं।
(viii) सहायता कार्यक्रम – महिला विकास तथा कल्याण कार्यक्रम से जुड़े हुए संगठनों तथा संस्थाओं को सहायता एवं अनुदान भी दिया जाता है।
इन कार्यक्रमों के अतिरिक्त महिला सशक्तीकरण के प्रयासों को प्रोत्साहित करने हेतु वर्ष 1996 से अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस ( 8 मार्च) पर राज्यस्तरीय महिला शांति अवार्ड दिया जाता है। 1996 में मुख्यमंत्री ने सरकारी सेवाओं में बीस प्रतिशत सामान्य श्रेणी में तथा दस प्रतिशत पुलिस सेवाओं में महिलाओं के लिए आरक्षण की घोषणा की थी ।
(ix) समन्वित जनसंख्या विकास कार्यक्रम – इस कार्यक्रम को U.N.E.P. के सहयोग से राज्य के सात जिलों में लागू किया गया, जिसके अन्तर्गत प्रजनन एवं बाल स्वास्थ्य सेवाओं, किशोर बालिकाओं की आवश्यकताओं आदि पर बल दिया गया।
(x) समन्वित महिला रोजगार कार्यक्रम ( इंदिरा महिला योजना ) – यह योजना केन्द्र द्वारा संचालित है। इसका उद्देश्य विभिन्न सरकारी, गैर-सरकारी योजनाओं के बारे में महिलाओं में चेतना लाना एवं उन्हें उनके उपयोग की शिक्षा प्रदान करना है ।
द्वाकरा, नौराड, स्टेप, राष्ट्रीय महिला कोष, बालिका समृद्धि योजना — ये सभी योजनाएँ केन्द्र द्वारा राज्य में महिलाओं के विकास हेतु संचालित की जा रही हैं।
( xi ) जिला महिला सहायता समिति – शोषित एवं उत्पीड़ित महिलाओं को अविलम्ब सहायता, राहत देने तथा मार्गदर्शन प्रदान करने, शोषण के प्रकरणों का पुनरीक्षण कर शीघ्र कारवाई करने के उद्देश्य से सभी जिलों में 1997-98 में जिला सहायता समितियों की स्थापना की गई जिनमें फरवरी, 2001 तक 2740 विवाद आए जिनमें से 1961 को निपटाया गया।
(xil) महिला संसाधन केन्द्र यह महिलाओं पर अध्ययन को प्रोत्साहन तथा राज्य सरकार को इस संदर्भ में परिणाम एवं सिफारिशें प्रस्तुत करने हेतु बनाए गए हैं। ये प्रशिक्षण कार्यक्रम भी प्रदान करते हैं।
राज्य में महिला सशक्तीकरण की दिशा में विभिन्न विश्वविद्यालयों द्वारा महिला शिक्षा तथा सशक्तीकरण की शिक्षा प्रदान की जा रही है। महिला अध्ययन केन्द्रों तथा महिला अध्ययन पाठ्यक्रमों के माध्यम से महिला सशक्तीकरण की दिशा को गति प्रदान की जा रही है। इनके अतिरिक्त राज्य महिला आयोग तथा नारीवादी संगठनों के द्वारा व्यावहारिक रूप से नारी को प्रताड़ना, शोषण, उत्पीड़न से मुक्त कराकर उन्हें अपने अधिकार दिलाने तथा समाज में सम्मानित दर्जा प्रदान कर सबल रूप में खड़ा करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
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