विद्यालय के प्रकारों की विवेचना कीजिये।

विद्यालय के प्रकारों की विवेचना कीजिये।

उत्तर-विद्यालय के कुछ प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं
(1) राजकीय विद्यालय—ये विद्यालय केन्द्र सरकार या राज्य सरकार, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम या स्वायत्त संगठनों द्वारा संचालित किए जाते हैं तथा पूर्ण रूप से सरकार द्वारा वित्त पोषित होते हैं। भारत में अधिकांश विद्यालय सरकार द्वारा चलाए जा रहे हैं किन्तु फिर भी उन्हें विभिन्न चुनौतियों जैसे— बुनियादी आवश्यकताओं, धन अभाव, कर्मचारियों की कमी आदि का सामना करना पड़ रहा है। भारत के कुछ प्रमुख राजकीय विद्यालय निम्नलिखित हैं—
(i)   राज्य सरकार के विद्यालय ।
(ii) केन्द्रीय विद्यालय ।
(iii) आश्रम विद्यालय ।
(iv) नवोदय विद्यालय ।
(v) सैनिक स्कूल ।
(vi) मिलेट्री स्कूल ।
(vii) एअर फोर्स स्कूल, नेवल स्कूल।
( 2 ) विशिष्ट आवश्यकता वाले विद्यालय – इस प्रकार के विद्यालयों में शारीरिक रूप से अक्षम बालकों को गैर-औपचारिक शिक्षा एवं व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। छात्रों की आवश्यकता के अनुसार विद्यालय का निर्माण किया जाता है। जैसे—पाठयोजना, विभिन्न प्रकार की अधिगम शैली एवं उनके समर्थन हेतु विभिन्न सेवाएँ ।
( 3 ) सहायता प्राप्त निजी विद्यालय-इन विद्यालयों का प्रबन्धन निजी रूप से किया जाता है तथा नियमित रख-रखाव के लिए अनुदान सरकार, स्थानीय निकाय या अन्य सार्वजनिक प्राधिकरण द्वारा प्राप्त होता है। इनमें सार्वजनिक विद्यालयों के नियमों का ही अनुपालन किया जाता है। प्रत्येक कक्षा के लिए पाठ्यचर्या, अध्ययन सामग्री, पाठ्यक्रम, परीक्षाएँ आदि राजकीय नियमों के अनुसार निर्धारित की जाती हैं। यहाँ तक कि हाईस्कूल की परीक्षा भी राजकीय विद्यालयों की भाँति होती है। इन विद्यालयों में सभी प्रकार के छात्रों को शिक्षा प्रदान की जाती है। सरकार द्वारा सभी विद्यालयों के लिए जो शुल्क संरचना, पी.टी.ए. फंड आदि निर्धारित किया गया है वही शुल्क संरचना, पी.टी.ए. फंड आदि इन विद्यालयों में छात्रों द्वारा एकत्र किया जाता है तथा विद्यालय में शिक्षकों एवं कर्मचारियों की भर्ती भी राजकीय विद्यालय के मानदण्ड के आधार पर होती है। इन विद्यालयों में छात्रों के प्रवेश के लिए कोई विशेष मानदण्ड नहीं होते हैं।
(4) राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय-इन विद्यालयों के निर्माण का उद्देश्य ऐसे छात्रों को शिक्षा प्रदान कराना है जिन्होंने अपनी पढ़ाई किसी  कारण बीच में छोड़ दी है या उच्च शिक्षा हेतु कॉलेजों में नहीं पहुँच पाते हैं। राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय की स्थापना मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा शिक्षा की राष्ट्रीय नीति, 1986 के अन्तर्गत एक स्वायत्त संस्था के रूप में नवम्बर, 1989 में हुई थी। इसमें माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक स्तर पर व्यावसायिक, जीवन संवर्धन और इसके अतिरिक्त सामान्य और अकादमिक पाठ्यक्रमों को छात्रों को प्रदान किया जाता है।
(5) स्थानीय निकाय विद्यालय-इन विद्यालयों का संचालन नगरपालिका समितियों/ निगमों/ एन.ए.सी./ जिला परिषद्/ पंचायत समितियों/ छावनी बोर्ड आदि के द्वारा किया जाता है। स्थानीय निकाय के विद्यालय किसी क्षेत्र की स्थानीय स्वायत्त संस्थाओं द्वारा चलाए जाते हैं। इस प्रकार के विद्यालय प्राय: छोटे गाँवों, कस्बों या शहरों में संचालित किए जाते हैं।
(6) निजी और बिना सहायता प्राप्त विद्यालय–इन विद्यालयों का प्रबन्धन किसी एक व्यक्ति या निजी संगठन द्वारा प्रबन्धित होती है । इन विद्यालयों को सरकार, स्थानीय निकाय या सार्वजनिक प्राधिकरण द्वारा कोई अनुदान नहीं प्राप्त होता है। छात्रों की शुल्क संरचना सरकारी विद्यालयों से भिन्न होती है। इन विद्यालयों में छात्रों का प्रवेश विशेष मानदण्डों के आधार, जैसे- प्रवेश परीक्षा, साक्षात्कार आदि पर होता है और यह सब पूर्ण रूप से निजी प्रबन्धन के नियन्त्रण में रहता है।
 ( 7 ) अन्तर्राष्ट्रीय विद्यालय – इन विद्यालयों का उद्देश्य छात्रों में अन्तर्राष्ट्रीय शिक्षा को बढ़ावा देना है। प्राय: इन विद्यालयों के पाठ्यक्रम का निर्माण अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के अनुरूप या कैम्ब्रिज अन्तर्राष्ट्रीय परीक्षा के अनुरूप दिया जाता है। इन विद्यालयों का प्रमुख उद्देश्य दूसरे देश के स्थानीय छात्रों को अन्तर्राष्ट्रीय विद्यालयों की भाषा सिखाना एवं उन्हें विदेश में रोजगार एवं उच्च शिक्षा के लिए योग्य बनाना होता है।
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