शारीरिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण सम्बन्धी क्रियाओं के मापन और मूल्यांकन की आवश्यकता एवं महत्त्व को समझाइये ।
शारीरिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण सम्बन्धी क्रियाओं के मापन और मूल्यांकन की आवश्यकता एवं महत्त्व को समझाइये ।
उत्तर— मापन एवं मूल्यांकन की आवश्यकता एवं महत्त्वविद्यालयों में शारीरिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण सम्बन्धी विभिन्न क्रियाओं का आयोजन कुछ निश्चित उद्देश्यों हेतु ही किया जाता है। इन उद्देश्यों की पूर्ति में इन क्रियाओं का क्या योगदान रहा है, इस बात का मापन एवं मूल्यांकन किया जाना भी काफी आवश्यक है। इस मापन एवं मूल्यांकन से जहाँ एक ओर हमें यह पता चलता है कि बालकों के विकास और व्यवहार परिवर्तन में हमें शारीरिक शिक्षा कार्यक्रमों द्वारा कितनी सहायता मिली तथा प्रत्येक बालक किस स्तर को छू सका वहाँ हमें इन कार्यक्रमों की अपनी कमियों तथा अच्छाइयों (weaknesses and strengths) का भी ज्ञान हो जाता है और इसी को ध्यान में रखते हुए हम भविष्य में उचित सुधार लाने तथा उन्हें ज्यों का त्यों चलाये जाने की बात सोचते हैं। संक्षेप में इस प्रकार के मापन एवं मूल्यांकन से हमें निम्न बातों की जानकारी मिल सकती है—
(1) बालकों को शारीरिक शिक्षा और प्रशिक्षण से सम्बन्धित बातों की सैद्धान्तिक जानकारी प्रदान की गई थी, उससे उनमें कितनी सूझ-बूझ विकसित हुई, किन बातों का ज्ञान और समझ उनमें आ सकी, उनकी रुचियों, आदतों तथा दृष्टिकोण में क्या परिवर्तन आ सका, इत्यादि बातों की. जानकारी हमें मापन एवं मूल्यांकन द्वारा ही प्राप्त होती है । उदाहरण के लिए एक बालक विभिन्न खेलों के बारे में जानता है, उन्हें कैसे खेला जाता है, खेलने के क्या नियम हैं, खेलने में क्या सावधानी रखनी चाहिए इत्यादि बातों के जानने के मापदंड पर बालक कितना खरा उतरता है यह जानना ही मापन एवं मूल्यांकन का उद्देश्य होता है।
(2) बालक शारीरिक शिक्षा और प्रशिक्षण सम्बन्धी विभिन्न
क्रियाओं को वैयक्तिक तथा सामूहिक रूप से किस प्रकार
संपादित करते हैं। इस बात की जानकारी मापन एवं मूल्यांकन द्वारा ही संभव होती है। कौन बालक क्रियाओं तथा खेल सम्बन्धी विभिन्न कुशलताओं के अर्जन में किस स्तर तक पहुँच रहा है, इस बात का निदान उचित मापन एवं मूल्यांकन द्वारा ही सम्भव है। किसने कितनी ऊँची कूद कूदी, किसने कितनी दूर गोला या भाला फेंका ? किस कुशलता से जिम्नास्टिक की कसरतें कीं, योग क्रियाओं का प्रदर्शन किया आदि विभिन्न बातों का परिचय मापन एवं मूल्यांकन सम्बन्धी विभिन्न तकनीकों से ही चलता है।
(3) मापन एवं मूल्यांकन द्वारा हमें किसी विद्यालय की कार्य प्रणाली, अध्यापकों की कार्य कुशलता तथा उनके द्वारा शारीरिक शिक्षा और प्रशिक्षण हेतु किये जाने वाले प्रयत्नों के मूल्यांकन में भी मदद मिलती है। मूल्यांकन तथा परीक्षणों के परिणाम विद्यार्थियों की जानकारी, कुशलता, रुचि तथा दृष्टिकोण आदि का मूल्यांकन करने के साथ-साथ विद्यालय और अध्यापक द्वारा प्रदत्त उपयुक्त वातावरण और शैक्षिक तथा प्रशिक्षण के उचित एवं अनुचित ढंगों पर भी पर्याप्त प्रकाश डाल सकते हैं। किस खेल के बालक कितने सही ढंग से, नियमों पर चलकर खेल रहे हैं, इस बात से बालकों के अतिरिक्त उन्हें जिस ढंग से प्रशिक्षण दिया गया है, उनका अनुभव भी अच्छी तरह से हो जाता है।
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