समावेशी शिक्षा में बहु-अनुशासनात्मक उपागम की आवश्यकता बताइए।
समावेशी शिक्षा में बहु-अनुशासनात्मक उपागम की आवश्यकता बताइए।
उत्तर— समावेशी शिक्षा में बहु – अनुशासनात्मक उपागम की आवश्यकता — पाठ्यक्रम को समावेशी बनाना व विकसित करना आज के इस आधुनिक युग की माँग है जिससे सभी छात्र अधिगम शिक्षण से अधिक से अधिक लाभ उठा सकें। सभी छात्रों का सीखने का अपनाअपना ढंग होता है, इसलिए सभी छात्रों का एक ही विधि से मूल्यांकन करना हानिकारक होता है, अतः अध्यापक को कक्षा में छात्रों की सीखने की प्रक्रिया में अत्यधिक लचीलापन लाना चाहिए जिससे ज्यादा से ज्यादा छात्र अध्यापक द्वारा सिखाई जाने वाली क्रियाओं को सीख सकें । अध्यापक को किसी भी विषय को आसान तरीके से बच्चों तक पहुँचाना चाहिए। कक्षा में हर स्तर के छात्र होते हैं जिनमें से कई विलम्बता से ज्ञान प्राप्त करने वाले व कई अधिक बौद्धिक योग्यता वाले होते हैं । परन्तु अध्यापक उन सबके लिए एक समान गृहकार्य प्रदान करता है। सभी छात्र उसे अपने-अपने बौद्धिक स्तरानुसार पूरा करके दिखाते हैं। सभी बच्चे उस प्रोजेक्ट में शामिल होते हैं जो अध्यापक ने कक्षा में करवाया हो परन्तु प्रत्येक छात्र अपने विभिन्न कौशलों के विकास के आधार पर उस गृहकार्य को पूरा करता है जिससे उनकी योग्यता व अधिगम स्तर का ज्ञान अध्यापक को प्राप्त होता है। अध्यापक विभिन्न तरह के प्रश्न पूछकर जान लेते हैं कि वे कक्षा में अपने शिक्षण में और लचीलापन कैसे लाएँ जिससे वह क्रिया प्रत्येक छात्र की मानसिक योग्यता के आधार पर कराई जा सके ताकि सभी छात्रों को सरलता से समझ आ जाए। इस बहु – अनुशासनात्मक उपागम को छात्रों तक पहुँचाने के लिए बहुबुद्धिमत्ता के प्रत्यय का प्रयोग किया जा सकता है । यह संप्रत्यय समावेशी शिक्षा में निर्देशन के दौरान मदद प्रदान करने में बहुत ही महत्त्वपूर्ण हो सकता है ।
- Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
- Facebook पर फॉलो करे – Click Here
- Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
- Google News ज्वाइन करे – Click Here