सेवाकालीन अध्यापक शिक्षण से क्या अभिप्राय है? समावेशी शिक्षा के लिए अध्यापक शिक्षा के विभिन्न कार्यक्रम बताइये ।
सेवाकालीन अध्यापक शिक्षण से क्या अभिप्राय है? समावेशी शिक्षा के लिए अध्यापक शिक्षा के विभिन्न कार्यक्रम बताइये ।
उत्तर— सेवाकालीन अध्यापक शिक्षण – अध्यापक शिक्षा एक सतत् प्रक्रिया है। पूर्व सेवाकालीन शिक्षा एवं सेवाकालीन शिक्षा एकदूसरे से अलग नहीं किये जा सकते। सेवाकालीन अध्यापक शिक्षा द्वारा पूर्व विद्यालयीन शिक्षा में जो कुछ सीखा गया है, उसको स्थिरता प्रदान करने एवं अभियोग्यता बढ़ाने के बेहतरीन तरीका है।
अध्यापकों का उद्यमगत विकास सेवा पूर्वकालीन अध्यापक शिक्षा से प्रारम्भ होता है, उसका नवीनीकरण सेवाकालीन कार्यक्रमों द्वारा पूरा होता है।
राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद् (N.C.T.E.) के अनुसार Inservice अध्यापकों की उत्तर- जीवितागत दक्षताओं बढ़ाने के लिए आवश्यक है। ज्ञान में लगातार विस्फोट होने से रो बनाने में मूल्यांकन एवं शैक्षिक तकनीक का ज्ञान प्रतिभागिता के द्वारा क सम्भव है। अध्ययन अध्यापक की परिस्थितियों के बारे में सेवाकालीन अध्यापक शिक्षा द्वारा ही सम्भव है।
वे सभी क्रियाकलाप जो अन्तर्दृष्टि का विकास कर सके, शिक्षण में उन्नयनमूलक परिवर्तन कर सकें, शैक्षिक समाधान खोजने में सहायक सिद्ध हो सकें, पाठ्यक्रम निर्माण में उपयोगी सिद्ध हो सकें, अध्यापक कार्यक्रम के अन्तर्गत आते हैं।
सेवाकालीन अध्यापक शिक्षण के कार्य—
(1) नवीन ज्ञान एवं अनुभव प्राप्त करने में प्रगति होना।
(2) सामाजिक परिवर्तनों को देखते हुए कक्षा में होने वाली अन्त:क्रियाओं में परिवर्तन कराने की योग्यता।
(3) सम्प्रेषण कुशलता का विकास।
(4) सेवा पूर्वकालीन शिक्षण डिग्री प्राप्त करने के बाद सभी कौशल अध्यापक नहीं सीख पाता है (क्योंकि प्रशिक्षण काल कम रहता है)। इस कमी को दूर करने हेतु भी tuservice Teacher Education से लाभ होता है।
(5) पूर्व में जा प्राप्त हुए हैं, उन्हें आगे तक service Teacher मजबूती से आगे बढ़ाने की मा Education द्वारा प्राप्त होती है।
(6) अधिगम सामग्री निर्माण में कुशलता प्रगतिमूलक व्यक्तित्व हेतु भी In-service Teacher Education आवश्यक है।
(7) नवीन शैक्षिक पद्धतियों का निर्माण ।
(8) आधुनिक परिवर्तन के लिए जागरूकता।
समावेशी शिक्षा के लिए अध्यापक शिक्षा के विभिन्न कार्यक्रम – समावेशी शिक्षा प्रदान करने के लिए अध्यापकों को विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन कराया जाता है, जिससे वे अपने कौशलों का विकास कर सकें।
(1) कार्यगोष्ठी–कार्यगोष्ठियों का आयोजन शिक्षा के किसी भी रूप में सम्बन्धित अनेक शैक्षिक समस्याओं पर किया जाता है जिसमें सर्वप्रथम एक कार्यपत्र तैयार किया जाता है, फिर इसमें भाग लेने वाले सदस्यों को भेजा जाता है। फिर इसे खुली अधिवेशन में पढ़ा जाता है। इसमें समस्या के विभिन्न पक्षों पर विचार प्रकट करने के लिए कमेटियाँ बना दी जाती हैं। कमेटियों की रिपोर्ट आम सभा में पढ़ी जाती है व सुधार के लिए सुझाव प्रस्तुत किये जाते हैं।
(2) व्यावसायिक लेखन का अध्ययन–अध्यापकों द्वारा नवीन बोध उपलब्धियों की जानकारी प्राप्त करने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा अनुसंधान व प्रशिक्षण परिषद् (NCERT) के तथा विश्वविद्यालयों के प्रसारण सेवा विभागों के प्रकाशनों का अध्ययन कर सकते हैं।
(3) सम्मेलन–पाठ्यक्रम के संशोधन, पाठ्य पुस्तकों का चुनाव, सफल शैक्षिक परीक्षणों के परिणाम, पिछड़े बालकों एवं विशिष्ट बालकों का निर्देशन व दैनिक शिक्षण से प्रत्यक्ष रूप से सम्बन्धित समस्याओं पर विचार के लिए सम्मेलन किये जाते हैं। ये सम्मेलन प्रान्त, जिला व क्षेत्र स्तर पर भी आयोजित किये जाते हैं।
(4) कार्यशालाएँ – कार्यशालाओं के अन्तर्गत क्रियात्मक कार्य पर जोर दिया जाता है जिसके अन्तर्गत सभी भाग लेने वाले सक्रिय रूप से भाग लेते हैं व अपना-अपना महत्त्वपूर्ण योगदान प्रदान करते हैं। कार्यशालाओं का आयोजन कक्षा भवन शिक्षण की क्रियात्मक समस्याओं पर गहन विचार करने के लिए किया जाता है। इसमें भाग लेने वाले अपने अनुभवों से उठने वाली समस्याओं का गहन अध्ययन किया जाता है।
कार्यशालाओं का निर्माण पाठ योजना, पाठ्यक्रम के निर्माण व परीक्षणों के निर्माण आदि पर किया जाता है। इसमें प्रत्येक भाग लेने वाले को कुछ कार्य करने के लिए किया जाता है। इसकी प्रमुख उपयोगिता एक या दो पाठ्यक्रम बनाने या स्कूल के विषय में उपलब्धि परीक्षण बनाने में प्रत्याशित है।
(5) रिफ्रेशर कोर्स – रिफ्रेशर कोर्स का उद्देश्य अपने अध्यापकों को अपने विषय व शिक्षा के सिद्धान्तों पर प्रयोग में नये परीक्षणों के साथ-साथ चलने योग्य बनाना है। रिफ्रेशर कोर्स का आयोजन नयी शिक्षण प्रणाली व स्कूल विषयों के सन्दर्भ में किया जा सकता है। विशेषज्ञों द्वारा अध्यापकों के लाभ के लिए अपनी सेवाएँ अर्पित की जाती हैं।
इस कार्यक्रम में भाग लेने से अध्यापकों की कार्य क्षमता बढ़ती है जिससे वे अपने विषयों में तथा शिक्षण विधियों में हुए सुधारों से अनभिज्ञ नहीं रहते हैं ।
(6) अध्ययन समूह – अध्ययन समूह के अन्तर्गत विभिन्न विषयों के अध्यापक अपना एक अध्ययन समूह बना सकते हैं, जिसमें बैठक एक सप्ताह व दो सप्ताह में एक बार होती है। इसमें विचार-विमर्श के लिए सामान्य विषय लिये जाते हैं। इस अध्ययन समूह के अध्यापकों की व्यावहारिक आवश्यकताओं तथा व्यक्तिगत अनुभवों के आधार पर किया जाए। यह अध्ययन समूह शैक्षिक योजनाओं के बनाने में सहायता कर सकते हैं।
(7) स्कूल प्रोग्राम – इसके अन्तर्गत क्लब मीटिंग, अध्ययन मण्डल, विद्यालयों में प्रदर्शनी, प्रयोगात्मक प्रोजेक्ट फिल्म शो, प्रदर्शन, पाठ, प्रसार भाषण व पुस्तकालय सेवाएँ भी अध्यापकों को सेवाकालीन शिक्षा प्रदान करते हैं ।
(8) विविध कार्यक्रम – अध्यापकों के लिए विभिन्न व्यावसायिक विकास के लिए शैक्षिक भ्रमण शैक्षिक महत्त्व के स्थानों को देखना, अध्यापक विनिमय कार्यक्रम आदि का संगठन किया जा सकता है ।
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