अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक विनिमय के तीन प्रवाहों का उल्लेख करें। भारत से संबद्ध तीनों प्रवाहों का उदाहरण दें।

अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक विनिमय के तीन प्रवाहों का उल्लेख करें। भारत से संबद्ध तीनों प्रवाहों का उदाहरण दें।

उत्तर ⇒19वीं शताब्दी से नई विश्व अर्थव्यवस्था का विकास हुआ। इसमें आर्थिक विनिमयों की प्रमुख भूमिका थी। अर्थशास्त्रियों के अनुसार आर्थिक विनिमय तीन प्रकार के प्रवाहों पर आधारित है। ये हैं – (i) व्यापार, (ii) श्रम तथा (iii) पूँजी। 19 वीं सदी से अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का तेजी से विकास हुआ। परंतु यह व्यापार मुख्यतः कपड़ा और गेहूँ जैसे खाद्यान्नों तक ही सीमित थे। दूसरा प्रवाह श्रम का भार इसके अंतर्गत रोजगार की तलाश में बड़ी संख्या में लोग एक स्थान या देश से दूसरे स्थान और देश को जाने लगे। इसी प्रकार कम अथवा अधिक अवधि के लिए दूर-दूर के क्षेत्रों में पूँजी निवेश किया गया। विनिमय के ये तीनों प्रवाह के एक-दूसरे से जुड़े हुए थे, यद्यपि कभी-कभी ये संबंध टूटते भी थे। इसके बावजूद अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक विनिमय में इन तीनों प्रवाहों की महत्त्वपूर्ण भूमिका थी। भारत से संबंधित तीनों प्रवाह का उदाहरण इस प्रकार हैं –

(i) भारत से श्रम का प्रवाह – अंतर्राष्ट्रीय बाजार की माँग के अनुरूप उत्पादन बढ़ाने के लिए 19 वीं शताब्दी से श्रम का प्रवाह भारत से दूसरे देशों की ओर हुआ।

(ii) वैश्विक बाजार में भारतीय पूँजीपति- विश्व बाजार के लिए बड़े स्तर पर कृषि उत्पादों के लिए पूँजी की आवश्यकता थी। इससे महाजनी और साहूकारी का व्यवसाय चल निकला।

(iii) भारतीय व्यापार- कृषि के विकास होने से ब्रिटेन में कपास का उत्पादन बढ़ गया। साथ ही सरकार ने भारतीय सूती वस्त्र पर इंगलैंड में भारी आयात शुल्क लगा दिया। इसका असर भारतीय निर्यात पर पड़ा। सूती वस्त्र एवं कपास का निर्यात घट गया दूसरी ओर मैनचेस्टर में बने वस्त्र का आयात भारत में बढ गया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *