अनुकूलक उपकरणों के उपयोग को स्पष्ट कीजिए।
अनुकूलक उपकरणों के उपयोग को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर— अनुकूलक उपकरणों का उपयोग—असमर्थी या बाधित बालकों को अपनी दिनचर्या सम्बन्धी तथा दूसरी शारीरिक क्रियाओं को बाधा रहित करने में अनुकूलंक उपकरणों का प्रयोग किया जाता है। स्वास्थ्य सम्बन्धी गम्भीर समस्याएँ मानसिक मन्दिता के प्रचण्ड स्तर के बालक तथा तीव्र प्रमस्तिष्कीय पक्षाघात के कुछ ही बालकों को छोड़कर शेष प्राय: सभी असमर्थी बालक सामान्य शिक्षा पद्धति से लाभान्वित हो सकते हैं, यदि उनकी आवश्यकतानुसार पाठ्य सामग्री संशोधित की जाए तथ उन्हें उपकरण या सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाएँ। इसलिए मातापिता शिक्षण संस्थानों तथा विशेष रूप से सरकार को चाहिए कि वह असमर्थी बालकों को अपनी शारीरिक क्रियाओं को सुविधाजनक बनाने में अनुकूली उपकरणों को उपलब्ध कराए तथा विद्यालय के भौतिक स्तर में परिवर्तन व संशोधन करके सम्पूर्ण वातावरण बाधा रहित बनाएँ जिससे इन बालकों के शारीरिक गत्यात्मक स्थिति में कम से कम बाधाएँ उपस्थित हों तथा वे अन्य सामान्य बालकों की तरह शिक्षा अवसरों से लाभ उठा सकें। इस प्रकार कुछ अनुकूलक उपकरणों का प्रयोग असमर्थी बालकों की सुविधा के लिए निम्न प्रकार से करना चाहिए—
(1) दृष्टिहीन बालकों को दिशा स्थान उन्मुखता तथा चलने फिरने में सहायता के लिए लेजर छड़ी का उपयोग कराकर अनुकूल सुविधा प्रदान की जा सकती है।
(2) कक्षा-कक्ष एवं प्रयोगशाला तथा फर्श पर फिसलने वाले खाली स्थान पर रबड़ की चटाई का उपयोग हो ताकि पहिया-कुर्सी या बैसाखियों से चलने वाले बालक फिसलने से बचे रहें ।
(3) असमर्थी या बाधित बालकों की आवश्यक क्रिया करने में उपयोग के लिए वाटर कूलर, शौचालय तथा कक्षा में ब्लैक बोर्ड के पास एक छड़ी की व्यवस्था करना ।
(4) असमर्थी बालकों की आवश्यकताओं के अनुसार वे सभी अनुकूली उपकरण उपलब्ध कराए जाए जिससे विद्यालय के सम्पूर्ण वातावरण को अवरोध रहित तथा अधिकांश रूप से मैत्रीपूर्ण बनाकर इन बालकों के सामान्य शिक्षा प्रणाली द्वारा शिक्षा प्राप्त करने के सपनों को पूरा किया जा सके।
(5) कक्षा-कक्ष में प्रयोग किए जाने वाले फर्नीचर को इस प्रकार संशोधित करना चाहिए कि बाधित बालकों को उपयोग करने में कोई कठिनाई न हो।
(6) बैसाखी वाले बालकों को चलने तथा मुड़ने के लिए कक्षाकक्ष में सुविधापूर्ण तथा उनमें अनुकूल डेस्कों का उपयोग हो।
(7) असमर्थी बालकों को सामान्य बालकों के साथ सामान्य शिक्षा पद्धति में समायोजित करने के लिए यह आवश्यक हो जाता है कि विद्यालय व्यवस्थापक इन बालकों की विशिष्ट आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए विद्यालय भवन, कक्षा-कक्ष, पुस्तकालय, प्रयोगशालाओं तथा प्रयोग के अन्य स्थानों में यथोचित परिवर्तन कराएँ जिससे असमर्थी छात्र विद्यालय में दूसरे सामान्य बालकों की तरह स्वच्छंद रूप से गतिविधियाँ कर सके।
(8) अस्थिबाधित बालकों को अनुकूल सुविधा देने के लिए बैसाखियाँ ट्राईसाइकिल तथा पहिया कुर्सी आदि का उपयोग होता है।
(9) प्रमस्तिष्कीय पक्षाघात के बालकों के सहायतार्थ बैसाखियाँ, के-वाकर, केस्टर वाली कुर्सी आदि उपयोगी होती है।
(10) विद्यालय भवन के प्रवेश द्वार पर सीढ़ियों की अपेक्षा बाधित बालकों की सुविधा के लिए साथ में एक छोटा रैम्प हो जिससे उन्हें स्कूल के अन्दर प्रवेश करने में कठिनाइयों का सामना न करना पड़े।
(11) विद्यालय भवन, कक्षा-कक्ष, पुस्तकालय, प्रयोगशालाओं तथा असेम्बली हाल के अवरोधों को हटाया जाए या उनमें अनुकूल परिवर्तन कर असमर्थी बालकों की सुविधा के अनुसार उपयोगी बनाया जाए। उदाहरणस्वरूप विद्यालय के बरामदे तथा अन्य उपयोगी स्थानों के पास के किनारों को उकेरा जाए जो दृष्टिहीन बालकों की सुविधा एवं सुरक्षा के लिए उपयोगी होगा।
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