अयस्क क्या है ? अयस्क सांद्रण की सामान्य विधियों का परिचय दीजिए।

अयस्क क्या है ? अयस्क सांद्रण की सामान्य विधियों का परिचय दीजिए।

उत्तर ⇒ अयस्क – वैसे खनिज जिनसे कम खर्च में धातु का निष्कर्षण किया जाय उसे अयस्क कहते हैं।

अयस्क सांद्रण की सामान्य विधियाँ – अयस्क या खनिज पृथ्वी से निकाले जाते हैं जिनके साथ अनेक प्रकार के व्यर्थ पदार्थ होते हैं जिन्हें गैंग कहते हैं। निष्कर्षण की प्रक्रिया से पहले उन्हें हटाना आवश्यक होता है। इस प्रकार गैंग का साथ हटाने से अयस्क में धातु की मात्रा, अधिक हो जाती है जिसे सांद्रण कहते हैं।अयस्क सांद्रण की सामान्य विधियाँ

 

अतः किसी अयस्क को अगले प्रक्रमों के लिए तैयार करने के लिए अयस्क का सांद्रण करना होता है । अयस्क से गैंग हटाने की विधि अयस्क के तथा गैंग के भीतर या रासायनिक गुणों के अंतर पर आधारित होती है।

सांद्रण की भौतिक विधियाँ –
(i)चंबकीय विधि – यह विधि आयरन, कोबाल्ट, निकिल ; जैसे-चुंबकीय पदार्थों की अशुद्धियों को अलग करने के लिए स्वीकार की जाती है। जो खनिज चुंबकीय प्रकृति के होते हैं वे चुंबकीय क्षेत्र की ओर आकर्षित होते हैं जबकि गैंग आदि आकर्षित नहीं होते । क्रोमाइट तथा पाइरोल्युसाइट के अयस्क इसी विधि द्वारा सांद्रित किए जाते हैं। इस विधि में पीसे हुए अयस्क को एक कन्वेयर बैल्ट के ऊपर रखते हैं। कन्वेयर बैल्ट दो रोलरों के ऊपर से गुजरती है जिनमें से एक चुंबकीय होता है। जब अयस्क चुंबकीय किनारे पर से नीचे आता है, तो चुंबकीय और अचुंबकीय पदार्थ दो अलग-अलग ढेरों में एकत्रित हो जाते हैं। लोहे के अयस्क मैग्नेटाइट का सांद्रण इसी विधि द्वारा किया जाता है।

(ii)द्रवचालित धोना – इस विधि में बारीक पिसे हुए अयस्क को पानी की तेज धार में धोया जाता है। इस तेज धार में हल्के गैंग कण बह जाते हैं जबकि भारी खनिज कण तली में बैठ जाते हैं। टिन और लैड के अयस्क इसी विधि द्वारा सांद्रित किए जाते हैं।

(iii)फेन-प्लावन विधि – इस विधि में बारीक पिसे हुए अयस्क को जल एवं किसी उपयुक्त तेल के साथ एक बड़े टैंक में मिलाया जाता है। खनिज कण पहले ही तेल से भीग जाते हैं जबकि गैंग के कण पानी से भीग जाते हैं। अब इस मिश्रण में से बुलबुलों के रूप में वायु प्रवाहित की जाती है जिससे खनिज कण युक्त तेल के झाग या फेन बन जाते हैं जो जल की सतह पर तैरने लगती है जिन्हें बड़ी सरलता से जल के ऊपर से निकाला जा सकता है। ताँबा, सीसा तथा जिंक के सल्फाइड का सांद्रण करने के लिए इस विधि का प्रयोग किया जाता है।

(iv) रासायनिक विधियाँ – रासायनिक पृथक्करण में खनिज तथा गैंग के मध्य रासायनिक गुणों के अंतर का उपयोग किया जाता है। इसकी एक मुख्य विधि है—बेयर की विधि, जिसके द्वारा बॉक्साइट से ऐलुमिनियम ऑक्साइड प्राप्त किया जाता है।

बेयर विधि द्वारा ऐलुमिनियम अयस्क का सांद्रण -:

इस विधि में बॉक्साइट को गर्म साडियम हाइड्रोक्साइड के साथ अपचयित किया जाता है जिसे NaAlO2 जो जल में घलनशील हैं, गैंग को छानकर अलग कर दिया जाता है। NaAlO2 का हाइडोक्लोरिक अम्ल से अभिक्रिया करवाई जाती है जिससे ऐलुमिनियम हाइड्रोक्साइड प्राप्त होता है । जिसके बाद ऐलुमिनियम हाइड्रोक्साइड को गर्म करके शुद्ध एलुमिनियम ऑक्साइड प्राप्त होता है। विभिन्न अभिक्रियाएँ निम्नलिखित प्रकार से है –बेयर विधि द्वारा ऐलुमिनियम अयस्क का सांद्रण

 

 

 

 

 

Ajit kumar

Sub Editor-in-Chief at Jaankari Rakho Web Portal

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