आपदा प्रबन्धन का वर्णन कीजिए।
आपदा प्रबन्धन का वर्णन कीजिए।
उत्तर— आपदा प्रबन्ध (Disaster Management) –मानव प्रकृति का एक महत्त्वपूर्ण भाग है तथा पृथ्वी के सबसे विकसित व शक्तिशाली जीवों में से एक है, किन्तु यह अभी भी आपदा एवं उसके प्रभाव को समाप्त करने में सक्षम नहीं हो पाया है। प्राकृतिक घटनाओं एवं आपदाओं को हम वर्तमान तकनीकी जानकारी के आधार पर भी पूर्ण रूप से रोक पाने में सक्षम नहीं हो पाये हैं, किन्तु आज के विकसित मनुष्य ने इतनी क्षमता अवश्य विकसित कर ली है कि उसके सामूहिक प्रयासों से इन आपदाओं के दुष्परिणामों का प्रभाव मानव एवं जीवधारियों पर कम से कम पड़ रहा है।
आपदा प्रबन्धन में अनेक सरकारी तथा गैर-सरकारी संगठन इस आपदा एवं विनाश का सामना करने की तैयारी करते हैं। ये इसकी मार कम करने और योजनाबद्ध ढंग से आपदा पूर्व स्थिति में लाकर लोगों का कष्ट घटाने और उन्हें सामान्य स्थिति में लाकर काम-धन्धों में लगाने का प्रयास करते हैं। इन्हीं तीन कार्यों को यदि हम सामूहिक रूप से करें तो यही प्रयास आपदा प्रबन्धन कहलाता है।
आपदा प्रबन्धन के उद्देश्य एवं लक्ष्य – आपदा प्रबन्धन अर्थात् सुरक्षा प्रबन्धन करना होता है। संकट की परिस्थितियों में सुरक्षा के प्रबन्धन ही आपदा प्रबन्धन का मुख्य उद्देश्य होता है। इसके प्रमुख लक्ष्य निम्नलिखित होते हैं—
(i) आपदा का अभिज्ञान अथवा उसकी पहचान करना।
(ii) आपदा पर काबू किस तरह किया जाये ।
(iii) आपदा आने पर उसके प्रबन्धन की तैयारी करना ।
(iv) आपदा के फलस्वरूप उत्पन्न परिणामों एवं नुकसान का मूल्यांकन करना या जानना ।
सामान्य अर्थ में आपदा प्रबन्धन का तात्पर्य आपदा सम्भावित एवं आपदा प्रभावित क्षेत्रों में आपदा के प्रभावों को व्यवस्थित व योजनाबद्ध तरीके से कम करना है। प्राकृतिक एवं मानवजनित आपदा के कारण जन-धन की भारी हानि होने के साथ-साथ सामान्य जन-जीवन अस्तव्यस्त हो जाता है। ऐसी स्थिति में केन्द्र व राज्य सरकारें, गैर-सरकारी संगठन, व्यक्तियों के समूहों द्वारा जरूरतमंद व्यक्तियों तक राहत एवं पुनर्वास कार्यक्रम द्वारा दैनिक जीवन को व्यवस्थित करके सामाजिक भय एवं तनाव दूर किया जाता है। इसी अव्यवस्थित जीवन को व्यवस्थित करने का चरणबद्ध प्रयास व कार्य ही आपदा प्रबन्धन कहलाता है। निक कार्टर के अनुसार ” आपदा प्रबन्धन एक व्यावहारिक वैज्ञानिक विधा है जो आपदाओं के क्रमबद्ध निरीक्षण एवं विश्लेषण के आधार पर आपदाओं की रोकथाम, न्यूनीकरण, पूर्व- तैयारी, आपातकालीन जवाब एवं पुनः प्राप्ति के लिए समर्पित हो । “
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