उच्चावच-प्रदर्शन की प्रमुख विधियों का उल्लेख कीजिए ।

उच्चावच-प्रदर्शन की प्रमुख विधियों का उल्लेख कीजिए ।

उत्तर—प्राचीन समय से ही मानचित्रों पर उच्चावच प्रदर्शित करने के लिए अनेक विधियों का उपयोग किया जाता रहा है, जो निम्न हैं-

(i) हैश्वर विधि या रेखा चिन्ह विधि — इस विधि का विकास आस्ट्रिया के एक सैन्य अधिकारी लेहमान द्वारा किया गया था। इस विधि से स्थलाकृति का साधारण ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। इस विधि द्वारा ऊँचाई का सही-सही पता नहीं लगाया जा सकता है।

(ii) पर्वतीय छायांकन विधि- इस विधि द्वारा उच्चावच का प्रदर्शन प्रकाश और छाया की सहायता से किया जाता है। इस विधि द्वारा भी स्थलाकृति
का साधारण ज्ञान प्राप्त किया जाता है।

(iii) तल चिन्ह विधि – इस विधि में उच्चावच का निरूपण समुद्र तल से ऊँचाई के आधार पर किया जाता है।

(iv) स्थानिक ऊँचाई- इस विधि में भी उच्चावच का निरूपण करने के लिए स्पष्ट बिन्दु के समीप अंक लिए जाते हैं, जो समुद्र तल से ऊँचाई को प्रदर्शित करती है।

(v) त्रिकोणमितीय स्टेशन- उच्चावच का प्रदर्शन करने के लिए विभिन्न स्थानों का चुनाव करते हैं और उस स्थानों पर त्रिभुज बनाकर उच्चावच का प्रदर्शन करते हैं।

(vi) स्तर रंजन- इस विधि में उच्चावच प्रदर्शन करने के क्रम में विभिन्न रंगों का प्रयोग किया जाता है। इस विधि से भी वास्तविक ढाल का ज्ञान प्राप्त नहीं किया जा सकता है।

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