ऊर्जा उत्पादन में बिहार की स्थिति पर प्रकाश डालें।
ऊर्जा उत्पादन में बिहार की स्थिति पर प्रकाश डालें।
उत्तर-उद्योगों को चलाने, विकास की गाड़ी को आगे बढ़ाने में ऊर्जा साधन की आवश्यकता होती है। बिहार के पास 592.1 मेगावाट ताप विद्युत, 47.1 मेगावाट जलविद्युत तथा 5 मेगावाट नवीकरणीय ऊर्जा के रूप में उत्पादन है। परंतु तापविद्युत केंद्र की स्थिति अच्छी नहीं है। मुजफ्फरपुर का ताप विद्युत केंद्र बंद पड़ा है। बरौनी से भी 30 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है और लागत भी अधिक पड़ती है अर्थात् उत्पादन खर्च महँगा है।
वर्तमान में बिहार को 900 मेगावाट बिजली की आवश्यकता है जो कभी-कभी 1.000 मेगावाट तक पहुँच जाती है। केंद्रीय क्षेत्रों से बिजली खरीद कर बिहार अपना काम चलाता है। नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन से 959 मेगावाट, चुखा पनबिजली से 80 मेगावाट तथा माँग बढ़ने पर रंगीत बिजली से 21 मेगावाट बिजली खरीदी जाती है। इस प्रकार राज्य कोष का बहुत धन इसी पर खर्च हो जाता है। वह भी इस स्थिति में जब बिहार में प्रतिव्यक्ति बिजली की खपत बहुत कम मात्र 60 किलोवाट प्रतिवर्ष है। जबकि राष्ट्रीय औसत खपत 354.75 किलोवाट प्रतिवर्ष है।