कुछ पौधों को उगाने के लिए कायिक प्रवर्धन का उपयोग क्यों किया जाता है ?

कुछ पौधों को उगाने के लिए कायिक प्रवर्धन का उपयोग क्यों किया जाता है ?

उत्तर⇒पौधों के कुछ भाग जैसे जड़, तना तथा पत्तियाँ उपयुक्त परिस्थितियों म विकसित होकर नया पौधा उत्पन्न करते हैं। अधिकतर जंतुओं के विपरीत, एकल पौधे इस क्षमता का उपयोग जनन की विधि के रूप में करते हैं। परन्तु, कलम अथवा रोपण जैसी कायिक प्रवर्धन की तकनीक का उपयोग कृषि में भी किया जाता है। गन्ना, गुलाब अथवा अंगूर इसके कुछ उदाहरण हैं। कायिक प्रवर्धन द्वारा उगाये गये पौधों में बीज द्वारा उगाये गये पौधों की अपेक्षा पुष्प एवं फल कम समय में लगने लगते हैं। यह पद्धति केला, संतरा, गुलाब एवं चमेली जैसे पौधों को उगाने के लिए उपयोगी है जो बीज उत्पन्न करने की क्षमता खो चुके हैं। कायिक प्रवर्धन का दूसरा लाभ यह भी है कि इस प्रकार उत्पन्न सभी पौधे आनुवंशिक रूप से जनक पौधे के समान होते हैं, क्योंकि इनमें लैंगिक जनन की आवश्यकता नहीं होती है जिसके चलते विभिन्नता पैदा नहीं होती है। इसी प्रकार ब्रायोफाइलम की पत्तियों की कोर पर कुछ कलिकाएँ विकसित होकर मृदा में गिर जाती है तथा नए पौधे के रूप में विकसित हो जाती हैं।

कलिकाओं के साथ ब्रायोफाइलम की पत्ती

Ajit kumar

Sub Editor-in-Chief at Jaankari Rakho Web Portal

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