जस्ता के अयस्क से जस्ता निष्कर्षण करने के सिद्धांत का उल्लेख करें।

जस्ता के अयस्क से जस्ता निष्कर्षण करने के सिद्धांत का उल्लेख करें।

उत्तर ⇒ आयरन, जिंक, लेड, कॉपर आदि सक्रियता श्रेणी के मध्य में पाए जाने वाले धातु हैं। प्रकृति में यह प्रायः सल्फाइड या कार्बोनेट के रूप में पायी जाती है। सल्फाइड या कार्बोनेट की तुलना में धातु को उसके ऑक्साइड के रूप में प्राप्त करना आसान है। अतः अपचयन से पहले धातु के सल्फाइड एवं कार्बोनेट को धातु के ऑक्साइड में परिणत करना जरूरी है। सल्फाइड अयस्क को वायु की उपस्थिति में अधिक ताप पर गर्म करने पर यह ऑक्साइड में बदल जाता है। इस प्रक्रिया को भंजन कहते हैं। कार्बोनेट अयस्क को सीमित वायु में अधिक ताप पर गर्म करने पर यह ऑक्साइड में बदल जाता है। इस प्रक्रिया को निस्तापन कहा जाता है। जिंक के अयस्कों के भंजन एवं निस्तापन के समय निम्नांकित अभिक्रियाएँ होती हैं –BHANJAN

इसके बाद इन ऑक्साइडों को कार्बन द्वारा अपचयित कर धातु की प्राप्ति कर ली जाती है।

TAPAN

इस प्रकार धातु का निष्कर्षण हो जाता है।

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