जैव विकास क्या है ? लामार्कवाद का वर्णन करें

जैव विकास क्या है ? लामार्कवाद का वर्णन करें

उत्तर ⇒ पृथ्वी पर वर्तमान जटिल प्राणियों का विकास प्रारंभ में पाये जाने वाले सरल प्राणियों से परिस्थिति और वातावरण के अनुसार होने वाले परिवर्तनों के कारण हुआ। सजीव जगत में होनेवाले इस परिवर्तन को जैव विकास (organic evolution) कहते हैं। फ्रांसीसी प्रकृति वैज्ञानिक लामार्क (Jean Baptiste Lamarck, 1744-1829) न सबसे पहले 1809 में जैव विकास के अपने विचारों को अपनी पुस्तक फिलॉसफिक जूलौजिक (Philosophic Zoologique) में प्रकाशित किया । यही लामार्कवाद या उपार्जित लक्षणों का वंशागति सिद्धांत (theory of inheritance of acquired characters) है। लामार्क के अनुसार जीवों की संरचना, कायिकी, उनके व्यवहार पर वातावरण के परिवर्तन का सीधा असर पड़ता है। इसके कारण जीवों के अंगों का उपयोग ज्यादा या कम होता है। जिन अंगों का उपयोग अधिक होता है वे अधिक विकसित हो जाते हैं तथा जिनका उपयोग नहीं होता है, धीरे-धीरे उनका ह्रास हो जाता है। वातावरण के सीधे प्रभाव से या अंगों में कम या अधिक उपयोग के कारण जंतु के शरीर में जो परिवर्तन आते हैं उन्हें उपार्जित लक्षण (acquired character) कहते हैं। यह लक्षण एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में प्रजनन द्वारा चले जाते हैं । ऐसा लगातार होने से कुछ पीढ़ियों के बाद उनकी शारीरिक रचना बदल जाती है तथा एक नई प्रजाति का विकास हो जाता है।

Ajit kumar

Sub Editor-in-Chief at Jaankari Rakho Web Portal

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *