टी-स्कोर की अवधारणा स्पष्ट कीजिए ।

टी-स्कोर की अवधारणा स्पष्ट कीजिए ।

उत्तर– टीस्कोर की अवधारणा- ये मानक प्राप्तांक जिनका मध्यमान (M) 50 और प्रमाणिक विचलन (S.D.) 10 हो तथा इनका वितरण भी सामान्य हो T प्राप्तांक कहलाते हैं । T प्राप्तांक की कई उपयोगिताएँ हैं—
(i) T प्राप्तांक के पैमाने का विस्तार 0 से 100 तक होता है। प्रसार अधिक होने के कारण सभी विशेषताओं और योग्यताओं का मापन इस पैमाने के द्वारा अधिक परिशुद्धता के साथ किया जा सकता है।
(ii) T प्राप्तांक का 50 मध्यभाग इस प्रकार का है कि ऋणात्मक T प्राप्तांक होने की सम्भावना कम रहती है।
(iii) इसका प्रामाणिक विचलन 10 होता है, अतः प्रामाणिक विचलन के दसवें भाग तक अन्तर को सरलता से ज्ञात किया जा सकता है।
(iv) T प्राप्तांक सामान्यीकृत होते हैं यदि सम्पूर्ण जाति में कोई विशेषता समान रूप से विद्यमान है फिर भी मापन द्वारा प्राप्त वितरण किसी दोष के कारण विकृत हो गया है तो इस अवस्था में मूल प्राप्तांकों को T प्राप्तांक में परिवर्तित करने पर वितरण की विषमता दूर हो जाती है ।
(v) T प्राप्तांकों की गणना निम्न सूत्र द्वारा की जा सकती है—
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