डी०एन०ए० प्रतिकृति का प्रजनन में क्या महत्त्व है ?
डी०एन०ए० प्रतिकृति का प्रजनन में क्या महत्त्व है ?
उत्तर⇒जनन कोशिका में डी०एन०ए० की दो प्रतिकृतियाँ बनती हैं तथा उनका एक-दूसरे से अलग होना आवश्यक है। डी०एन०ए० की एक प्रतिकृति का मूल काशिका में रखकर दूसरी प्रतिकंति को उससे बाहर नहीं निकाला जा सकता क्याक दूसरी प्रतिकृति के पास जैव-प्रक्रमों के अनुरक्षण हेतु संगठीय कोशिकीय संरचना नहीं होगी। इसलिए डी०एन०ए० की प्रतिकृति बनने के साथ-साथ दूसरी कोशिकीय सरचनाओं का सृजन भी होता रहता है। इसके बाद डी०एन०ए० की प्रतिकृतियाँ विलग हो जाती हैं। परिणामतः एक कोशिका विभाजित होकर दो कोशिकाएँ बनाती हैं। संतति कोशिकाएँ समान होते हुए भी किसी-न-किसी रूप में एक-दूसरे से भिन्न हाता है। जनन में होनेवाली यह विभिन्न्ताएँ जैव विकास का आधार है एवं प्रजनन में इसका यही महत्त्व है।