नाभिकीय संलयन क्या है ? इससे उत्पन्न ऊर्जा की विवेचना करें।

नाभिकीय संलयन क्या है ? इससे उत्पन्न ऊर्जा की विवेचना करें।

उत्तर ⇒आजकल के सभी व्यापारिक नाभिकीय रिएक्टर नाभिकीय विखंडन पर आधारित हैं। परंतु एक अन्य अपेक्षाकृत सुरक्षित प्रक्रिया जिसे नाभिकीय संलयन कहते हैं, द्वारा भी नाभिकीय ऊर्जा उत्पन्न करने की संभावना व्यक्त की जा रही है। संलयन का अर्थ है दो हल्के नाभिकों को जोड़कर एक भारी नाभिक बनाना जिससे सामान्यतः हाइड्रोजन अथवा हाइड्रोजन समस्थानिकों से हीलियम उत्पन्न की जाती है।

2H + 2H →  3He(+n)

इसमें भी आइंस्टीन समीकरण के अनुसार विशाल परिणाम की ऊर्जा निकलती है। ऊर्जा निकलने का कारण यह है कि अभिक्रिया में उत्पन्न उत्पाद का द्रव्यमान, अभिक्रिया में भाग लेनेवाले मूल नाभिकों के व्यक्तिगत द्रव्यमानों के योग से कुछ कम होता है।

इस प्रकार की नाभिकीय संलयन अभिक्रियाएँ सूर्य तथा अन्य तारों की विशाल ऊर्जा के स्रोत हैं। नाभिकीय संलयन अभिक्रियओं में नाभिकों को परस्पर संलयित होने को बाध्य करने के लिए अत्यधिक ऊजो चाहिए। नाभिकीय संलयन प्रक्रिया के होने के लिए आवश्यक शर्ते चरम कोटि की हैं—मिलियन कोटि केल्विन ताप तथा मिलियन कोटि पास्कल दाब।

हाइड्रोजन बम “ताप नाभिकीय अभिक्रिया” पर आधारित होता है। हाइड्रोजन बम के क्रोड में यूरेनियम अथवा प्लूटोनियम के विखंडन पर आधारित किसी नाभिकीय बम को रख देते हैं। यह नाभिकीय बम ऐसे पदार्थं में अन्तःस्थापित किया जाता है जिनमें ड्यूटीरियम तथा लिथियम होते हैं। जब इस नाभिकीय बम (जो विखंडन पर आधारित है) को अधिविस्फोटित करते हैं तो इस पदार्थ का ताप कुछ ही माइक्रोसेकेण्ड में 10 K तक बढ़ जाता है। यह अति उच्च ताप हल्के नाभिकों को संलयित होने के लिए पर्याप्त ऊर्जा उत्पन्न कर देता है जिसके फलस्वरूप अति विशाल परिमाण की ऊर्जा मुक्त होती है।

Ajit kumar

Sub Editor-in-Chief at Jaankari Rakho Web Portal

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