निम्नलिखित अभिक्रियाएँ क्या हैं ?

निम्नलिखित अभिक्रियाएँ क्या हैं ?

(i) संकलन अभिक्रिया  (ii) प्रतिस्थापन अभिक्रिया  (iii) एस्टरीकरण अभिक्रिया

उत्तर ⇒(i) संकलन अभिक्रिया – निकेल अथवा पैलेडियम जैसे उत्प्रेरकों की उपस्थिति में असंतृप्त हाइड्रोकार्बन, हाइड्रोजन जोड़कर संतृप्त हाइड्रोकार्बन देते हैं। उत्प्ररेक वे पदार्थ होते हैं जिनके कारण अभिक्रिया भिन्न दर से बढ़ती है। निकेल उत्प्रेरक का उपयोग करके साधारणतः वनस्पति तेलों के हाइड्रोजनीकरण में इस अभिक्रिया का उपयोग होता है। वनस्पति तेलों में साधारणतः लंबी असंतृप्त कार्बन श्रृंखलाएँ होती हैं जबकि जंतु वसा से संतृप्त-कार्बन शृंखलाएँ होती हैं।

(ii) प्रतिस्थापन अभिक्रिया – एक अभिक्रियाशील तत्त्व अपेक्षाकृत कम अभिक्रियाशील तत्त्व के लवण से तत्त्व को विस्थापित करता है, इन्हें विस्थापन अभिक्रिया कहा जाता है। जैसे—कॉपर सल्फेट के विलयन में लोहे की कील डालने पर लोहे के कील द्वारा कॉपर सल्फेट विलयन से कॉपर धातु को अलग करता है। लोहे के कील पर Cu जमा होने से यह भूरे रंग का हो जाता है और कॉपर सल्फेट के नीले रंग मलीन हो जाते हैं।

Fe(s) + CuSO4(aq.) → Feso4(aq.) + Cu (s)

(iii) एस्टरीकरण अभिक्रिया – एथेनॉइक अम्ल और एथेनॉल की अभिक्रिया किसी अम्ल उत्प्रेरक की उपस्थिति में करायी जाती है तो एस्टर का निर्माण होता है। इस अभिक्रिया को एस्टरीकरण अभिक्रिया कही जाती है।rasayanik abhikriya avam samikaran kaksha 10

Ajit kumar

Sub Editor-in-Chief at Jaankari Rakho Web Portal

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