निम्न बिन्दुओं पर विस्तारपूर्वक नोट लिखिए—
निम्न बिन्दुओं पर विस्तारपूर्वक नोट लिखिए—
(i) विद्यार्थी का पृष्ठपोषण
(ii) अभिभावक का पृष्ठपोषण
(iii) अध्यापक का पृष्ठपोषण
अथवा
अधिगम में पृष्ठपोषण का क्या महत्त्व है ? विद्यार्थियों, अभिभावकों व साथियों को पृष्ठपोषण की क्या आवश्यकता है ? समझाइये ।
उत्तर — अधिगम में पृष्ठपोषण का महत्त्व–पृष्ठपोषण के बिना आंकलन की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकती है। आंकलन में पृष्ठपोषण के लाभ का अध्ययन निम्नलिखित दो सन्दर्भों में किया गया है—
(1) छात्र के लिए लाभ एवं
(2) शिक्षक के लिए लाभ।
( 1 ) छात्रों के लिए लाभ (Benefits for Students)–छात्रों के लिए लाभ निम्नलिखित हैं—
(i) इसके माध्यम से छात्रों का विकास एवं उसके अधिगम को उचित दिशा प्रदान की जा सकती है।
(ii) यह छात्रों में आत्मविश्वास, प्रेरणा एवं आत्म-सम्मान को बढ़ाने में सहायक होता है।
(iii) यह छात्रों को यथार्थवादी तरीके से अपने नैदानिक अभ्यास को मूल्यांकित करने में सहायता प्रदान करता है।
(iv) इसके माध्यम से छात्र अपने अधिगम के प्रगति की तुलना अन्य छात्रों से कर सकता है।
(v) इसके माध्यम से छात्र अपने वर्तमान अभ्यास के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
(2) शिक्षकों के लिए लाभ (Benefits for Teachers) शिक्षकों के लिए लाभ निम्नलिखित हैं—
(i) पृष्ठपोषण के माध्यम से शिक्षक आसानी से अधिगम लक्ष्यों को प्राप्त कर सकता है।
(ii) यह शिक्षकों में व्यक्तिगत एवं व्यावसायिक (प्रोफेशनल) वृद्धि एवं विकास को बढ़ावा देता है।
(iii) शिक्षक पृष्ठपोषण के माध्यम से अपने सम्प्रेषण एवं अन्तर्वैयक्तिक कौशलों में वृद्धि कर सकते हैं।
(iv) शिक्षक छात्रों द्वारा प्राप्त पृष्ठपोषण के माध्यम से अपने प्रदर्शन में सुधार कर सकते हैं।
(v) छात्रों की भाँति यह शिक्षकों को प्रभावशाली तरीके से शिक्षण करने के लिए प्रेरित करता है।
(1) विद्यार्थियों का पृष्ठपोषण (Feedback of Students)– पृष्ठपोषण छात्रों को प्रदान की जाने वाली वह जानकारी/सूचना है जिसकी सहायता से छात्र अपने कार्य को वर्तमान स्थिति एवं जहाँ उन्हें होना चाहिए के मध्य अन्तर को समाप्त कर सकते हैं। पृष्ठपोषण प्रदान करने का लक्ष्य है छात्रों में अन्तर्दृष्टि का विकास करना ताकि वे अपने प्रदर्शन में सुधार कर सकें। छात्रों को प्रभावशाली पृष्ठपोषण प्रदान करने हेतु शिक्षकों को निम्नलिखित दो चरणों को अपनाना चाहिए—
(1) छात्रों को उनके प्रदर्शन के वर्तमान स्तर के बारे में बताना।
( 2 ) उन्हें यह बताना कि वे अपने प्रदर्शन में सुधार हेतु क्या कर सकते हैं।
छात्रों का सहायता प्रदान करने के लिए निम्नलिखित चार तरीकों से पृष्ठपोषण का प्रयोग किया जा सकता है–
( 1 ) दृढ़तापूर्वक अपनी बात कहना (Confidently keep his point) – शिक्षकों को इस बात का निर्धारण छात्रों पर छोड़ देना चाहिए कि उन्होंने क्या सही किया और क्या गलत। यह सभी छात्रों जो अधिगम हेतु संघर्ष कर रहे हैं और दूसरे वो जो अधिगम में अच्छे हैं के लिए सही रहता है। इसके माध्यम से सभी छात्रों को अपने सही एवं गलत कार्यों को जानने का समान अवसर प्रदान होता है। हालाँकि, अभिपुष्टि (Affirmation) प्रशंसा करने से भिन्न होती है। व्यक्तिगत प्रशंसा, जैसे—’अच्छा’, ‘अच्छा किया’, ‘आप बहुत स्मार्ट हैं’, ‘मुझे तुम पर गर्व है’ आदि पृष्ठपोषण नहीं है क्योंकि इसे व्यक्ति अपने कार्य पर ध्यान केन्द्रत नहीं कर पाता है। जबकि पृष्ठपोषण के आधारभूत स्तर के अनुसार सकारात्मक पृष्ठपोषण छात्रों को यह बताता है कि उन्होंने जो किया वह सही है। अतएव शिक्षक जब भी छात्रों की कक्षा में या गृह कार्य में कोई समस्या का अभ्यास दे तो उन्हें छात्रों के कार्यों को चिह्नित करते रहना चाहि ताकि यह ज्ञात किया जा सके कि छात्र सही पथ पर आगे बढ़ रहे है अथवा नहीं।
( 2 ) संशोधन एवं निर्देशन (Correct and Direct) – छात्र हमेशा सही ढंग से काम नहीं करता है उससे कभी-कभी गलतियाँ हो जाती हैं और ये गलतियाँ होना स्वाभाविक भी हैं। गलतियाँ अधिगम का हिस्सा होती हैं क्योंकि बालक जब गलती करेगा तभी सीखेगा। छात्र जब गलती करते हैं तो वे इस बात को जानते हैं कि वे गलत कर रहे हैं और इसे वह जल्दी समझ जाते हैं। विशेष रूप से छात्र गलतियाँ तब करते हैं जब वे जो कुछ भी सीख रहे है उससे अंशतः या पूर्णतः अपरिचित होते हैं या शिक्षक उन्हें जो विषय पढ़ा रहा है उसमें उन्हें किसी प्रकार की कठिनाई हो रही हो। इस स्थिति में शिक्षक को उसकी गलतियों को सुधारना चाहिए। शिक्षक छात्रों को उचित रूप से निर्देशन एवं परामर्श प्रदान करना चाहिए। छात्रों को यह बताना चाहिए कि वे गलत हैं। इसके साथ ही शिक्षकों को छात्रों को सही उत्तर प्राप्त करने हेतु निर्देशित भी करना चाहिए अर्थात् पहले सही उत्तर प्रदान करें फिर निर्देशित करें, जैसे- यदि छात्र ने कोई वर्तनी सम्बन्धी त्रुटि की है तो उसकी गलती को चिह्नित करके उसके स्थान पर सही वर्तनी लिखना या गलत प्रश्न को चिह्नित करके उसका सही उत्तर उपलब्ध कराना चाहिए।
( 3 ) प्रक्रिया को समझाना (Point out the Process )— छात्रों को पृष्ठपोषण देने के लिए “शुद्धता एवं निर्देशन” एक अच्छा उपागम है। यह उपागम केवल कुछ विशेष कार्यों, जैसे- शब्द, गणित से सम्बन्धित समस्याएँ या दत्त कार्य में ही सहायता प्रदान करता है। यदि शिक्षक अपने अनुदेशन में किसी भी विषय की प्रक्रियागत तथ्यों को समझ ले तो वह छात्रों को किसी भी विषय में अच्छा प्रदर्शन करने में सहायता प्रदान कर सकता है।
इस उपागम का सार यह है कि इसका प्रयोग छात्रों ने परिणाम प्राप्त करने के लिए क्या किया तथा उन्हें अच्छे परिणाम प्राप्त करने के लिए क्या करना चाहिए के मध्य सम्बन्ध दिखाने के लिए किया जाता है। इसमें छात्रों को उन्होंने जो गलतियाँ की हैं उन गलतियों को नमूने के रूप में उन्हें दिखाकर उसका समाधान प्रदान किया जाता है। यह प्रक्रिया उतनी ही सरल है जितनी एक गणित की समस्या क्योंकि इसमें विभिन्न चरणों में समस्या का समाधान किया जाता है। शिक्षक को छात्रों द्वारा श्यामपट्ट या अपनी अभ्यास पुस्तिका में समस्या का समाधान करते समय इस बात का मूल्यांकन करते रहना चाहिए कि वे क्या गलतियाँ कर रहे हैं ? उसके बाद पुनः शिक्षण करते समय उन गलतियों को छात्रों को बता देना चाहिए।
(4) छात्रों को स्वयं पृष्ठपोषण देने हेतु प्रशिक्षण (Coach the Students to Give Feedback to Themselves ) – प्रश्नों का प्रयोग करके स्वयं तथा छात्रों की सहायता करने की कला है । इसका प्रयोग तब किया जाता है जब शिक्षार्थी बहुत अनुभवी या उच्च क्षमता वाला हो। हालांकि, प्रशिक्षण तब प्रभावी नहीं होता जब शिक्षार्थी को जो करने को कहा गया है उसमें वह पहले से अनुभव प्राप्त है अर्थात् वह पहले ही उस कार्य को कर चुका है या वे शिक्षार्थी जिन्हें विषय से सम्बन्धित कोई समस्या हो । प्रशिक्षण उस समय प्रभावशाली होता है जब यह छात्रों की संज्ञानात्मक रणनीति; जैसे—अपने स्वयं के प्रदर्शन की . निगरानी करना, लक्ष्य तक पहुँचने हेतु कैसे प्रयास किया गया इसका अवलोकन करना और छात्र द्वारा ज़िन रणनीतियों का चयन पूर्व में किया गया है उसमें समायोजन करने में सहायता प्रदान करता है। उदाहरणार्थयदि छात्रों को पैराग्राफ संरचना करना सिखा रहे है तो प्रारम्भ में छात्रों को शुद्धता तथा निर्देशन उपागम के माध्यम से पृष्ठपोषण प्रदान करना चाहिए । फिर जैसे यह थोड़ा निपुण हो जाए तब उन्हें लेखन के अन्य पहलुओं को बताना चाहिए। छात्र जब पैराग्राफ लिखना सीख जाते है उसके पश्चात् भी जब उनका ध्यान थोड़ा सा भी अधिगम से विचलित होता है, तो वे गलतियाँ करने लगते हैं। इस परिस्थिति में शिक्षक को प्रशिक्षण का प्रयोग करना चाहिए अर्थात् प्रशिक्षण देने का यह उत्तम अवसर है ।
(ii) अभिभावक का पृष्ठपोषण (Feedback of Parents)— निबन्धात्मक प्रश्न संख्या 1 (i) का उत्तर देखें।
(III) साथी समूह का पृष्ठपोषण (Feedback of Peer) – सहकर्मी / साथी-समूह द्वारा पृष्ठपोषण से तात्पर्य उस सम्प्रेषण प्रक्रिया से है जिसमें एक अधिगमकर्त्ता अपने साथ के साथी को उसके प्रदर्शन हेतु पृष्ठपोषण प्रदान करता है। सहकर्मी पृष्ठपोषण सहयोगात्मक अधिगम (Collaborative learning) का एक रूप है। इसे सहकर्मी प्रतिक्रिया (Peer response) या सहकर्मी समीक्षा (Peer, review) भी कहते हैं।
प्रायः छात्रों को उनके लेखन या अन्य कार्यों हेतु पृष्ठपोषण शिक्षक द्वारा ही प्रदान किया जाता है। किन्तु सहकर्मी पृष्ठपोषण से तात्पर्य अपने सहयोगी छात्रों से प्राप्त पृष्ठपोषण से होता है। यदि दो छात्र एक ही प्रोजेक्ट या किसी एक ही मुद्दे पर कार्य कर रहे हैं तो यहाँ सहकर्मी पृष्ठपोषण से तात्पर्य एक दूसरे को उनके किए गए कार्य पर टिप्पणी प्रदान करने से होता है सहकर्मी पृष्ठपोषण छात्रों में विषयों एवं उनके क्षेत्रों में उक्त गुणवत्ता वाली क्षमता की समझ विकसित करने में उनको सहायता प्रदान करता है साथ ही साथ उन्हें अपने अधिगम के प्रबन्धन में सक्रिय भूमिका का निर्वहन करने में भी सक्षम बनाता है। सहकर्मी पृष्ठपोषण शिक्षक व छात्रों दोनों के लिए उपयोगी है।
सहकर्मी पृष्ठपोषण के लाभ (Avantages of Peer Feedback)– सहकर्मी पृष्ठपोषण के लाभ निम्नांकित हैं—
(1) छात्रों में आत्मविश्वास की भावना का विकास होता है।
(2) यह त्रुटियों की आवृत्ति को कम कर देता है।
(3) छात्र अधिगम में सक्रिय रूप से संलग्न रहते हैं तथा विषय-वस्तु को समझने का प्रयत्न करते हैं ।
(4) भाषा अधिगम रणनीति लागू करने के लिए छात्रों को प्रशिक्षित किया जा सकता है।
(5) छात्रों में सामाजिक कौशलों का विकास होता है।
(6) छात्रों में लेखन क्षमता का विकास होता हैं।
(7) यह छात्रों को अपनी बात कहने एवं दूसरे की बात सुनने का अवसर प्रदान करता है।
(8) छात्रों को अपने साथियों को और बेहतर तरीके से समझने का अवसर प्राप्त होता है।
(9) छात्र अपने कार्यों में नवीनता लाने का प्रयत्न करते हैं अर्थात् उनमें सृजनात्मकता का विकास होता है।
(10) इसके माध्यम से पृष्ठपोषण तीव्रगति से बहुतायत मात्रा में प्राप्त की जा सकती है।
सहकर्मी पृष्ठपोषण की सीमाएँ (Disadvantages of Peer Feedback)–सहकर्मी पृष्ठपोषण के दोष निम्नलिखित हैं—
(1) इस प्रक्रिया में समय अधिक लगता है।
(2) छात्र अपने मित्रों को पृष्ठपोषण प्रदान करने में पक्षपात भी कर सकते हैं जिससे प्राप्त पृष्ठपोषण विश्वसनीय एवं वैध बहुत कम होते हैं ।
(3) इस विधि द्वारा प्रदान पृष्ठपोषण में पृष्ठपोषण प्रदाता का ध्यान लेखन की प्रक्रिया से ज्यादा उसके उत्पाद पर केन्द्रित होता है।
(4) प्रशिक्षण के अभाव में कभी-कभी प्रदान किए गए पृष्ठपोषण व्यर्थ होता है।
(5) छात्रों में आपस में प्रतिस्पर्धा की भावना विकसित होने लगती है जिस कारण वे अन्य छात्रों की सहायता नहीं करते हैं।
उपर्युक्त दोषों के होते हुए भी यह शिक्षक एवं छात्र दोनों के लिए उपयोगी है। सहकर्मी पृष्ठपोषण के माध्यम से छात्रों एवं शिक्षकों को कक्षा-कक्ष एवं कक्षा-कक्ष के बाहर दोनों स्थान पर व्यस्त रखने के कई अवसर प्राप्त होते हैं अर्थात् इसके माध्यम से दोनों को अधिगम में संलग्न रखा जा सकता है ।
सहकर्मी पृष्ठपोषण का महत्त्व (Importance of Peer Feedback)—सहकर्मी पृष्ठपोषण का महत्त्व निम्नलिखित है—
(1) सहकर्मी पृष्ठपोषण छात्रों एवं शिक्षक दोनों को और अधिक अधिगम हेतु प्रेरित करता है ।
(2) छात्रों एवं शिक्षकों के वैज्ञानिक ज्ञान में सुधार करता है।
(3) यह अन्य तरीकों से दिए गए पृष्ठपोषण की अपेक्षा अधिक समय तक प्रभावी रहता है।
(4) यह अत्यधिक विश्वसनीय होता है ।
(5) छात्रों को आंकलन के बारे में और अधिक जानने का अवसर प्राप्त होता है।
(6) छात्रों/शिक्षकों को दूसरे की सफलताओं एवं असफलताओं से सीखने का अवसर प्राप्त होता है।
हमसे जुड़ें, हमें फॉलो करे ..
- Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
- Facebook पर फॉलो करे – Click Here
- Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
- Google News ज्वाइन करे – Click Here