पाठ्यपुस्तक में लैंगिक समानता लाने के प्रयासों की व्याख्या कीजिए ।
पाठ्यपुस्तक में लैंगिक समानता लाने के प्रयासों की व्याख्या कीजिए ।
उत्तर – पाठ्यपुस्तक में लैंगिक समानता लाने के प्रयास — पाठ्य पुस्तकों एवं उसकी विषय-वस्तु में भी लिंग का प्रभाव पड़ता है। पाठ्य-पुस्तक की विषय-वस्तु का प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष प्रभाव अधिगमकर्त्ता पर पड़ता है एवं उसी के अनुसार आने वाले समाज का सृजन होता है। अतः पाठ्य पुस्तक की विषय-वस्तु में लिंगीय भेदभावों, सामाजिक कुरीतियों, विशेषरूप से स्त्रियों से सम्बन्धित कुरीतियाँ (पर्दाप्रथा, दहेजप्रथा, बाल विवाह) आदि के विषय में अवगत कराकर उसकी समाप्ति के लिए प्रेरित करना चाहिए। पाठ्य पुस्तकों में स्त्रियों के कर्त्तव्यों, विविध क्षेत्रों में उनकी भागीदारी से सम्बन्धित विषय-वस्तु को सम्मिलित करके लैंगिक भेदभावों में न्यूनता लाई जा सकती है।
अतः पाठ्य पुस्तकों एवं उसकी विषय सामग्री की रचना करते समय निम्न बातों पर ध्यान देना चाहिए–
(1) विषय सामग्री – इतिहास में महान स्त्रियों के जीवन प्रसंगों को स्थान दिया जाना चाहिए। स्वतन्त्रता संग्राम का इतिहास प्रस्तुत करते समय पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं की भागीदारी का भी प्रभावशाली होने चाहिए।
( 2 ) चित्र – पाठ्य पुस्तकों में स्त्रियों की सहभागिता को प्रदर्शित करने वाले चित्र भी होने चाहिए।
( 3 ) जागरूकता – पाठ्य पुस्तकों में ऐसी सामग्री का प्रयोग करना चाहिए जो समाज को जागरूक करे एवं लिंग समानता के अवसरों को बढ़ावा मिल सके। पाठ्य पुस्तकों में स्त्रियों के अधिकारों से सम्बन्धित कानूनों, संविधान में लिखी बातों को भी महत्व दिया जाना चाहिए।
( 4 ) उपयुक्त उदाहरण – पाठ्य पुस्तकों एवं उसकी विषय सामग्री में महिलाओं के महत्त्व को प्रदर्शित करने वाले उदाहरण होने चाहिए।
( 5 ) कहानियों को सम्मिलित करना – पाठ्य पुस्तकों में विशेषकर भाषा की पुस्तकों में ऐसी कहानियों को शामिल किया जाना चाहिए जिनमें महिलाओं की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है।
( 6 ) प्रश्नों में महिला पात्र – गणित की पाठ्य पुस्तकों में पुरुषों के साथ-साथ प्रश्नों में महिला पात्र भी लिए जाने चाहिए।
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