भारत की विधायिकाओं में महिलाओं के प्रतिनिधित्व की स्थिति क्या है?

भारत की विधायिकाओं में महिलाओं के प्रतिनिधित्व की स्थिति क्या है?

उत्तर :- यद्यपि मनुष्य जाति की आबादी में महिलाओं की संख्या आधी है, पर सार्वजनिक जीवन में खासकर राजनीति में उनकी भूमिका नगण्य है। पहले सिर्फ पुरुष वर्ग को ही सार्वजनिक मामलों में भागीदारी करने, वोट देने या सार्वजनिक पदों के लिए चुनाव लड़ने की अनुमति थी। सार्वजनिक जीवन में हिस्सेदारी हेतु महिलाओं को काफी मेहनत करनी पड़ी। महिलाओं के प्रति समाज के घटिया सोच के कारण ही महिला आन्दोलन की शुरुआत हुई। महिला आंदोलन की मुख्य माँगों में सत्ता में भागीदारी की माँग सर्वोपरि रही है। औरतों ने सोचना शुरू कर दिया कि जब तक औरतों का सत्ता पर नियंत्रण नहीं होगा तब तक इस समस्या का निपटारा नहीं होगा। फलतः राजनीतिक गलियारों में इस बात पर बहस छिड़ गयी कि इस लक्ष्य को प्राप्त करने का उत्तम तरीका यह होगा कि चुने हुए प्रतिनिधि की हिस्सेदारी बढ़ायी जाए। यद्यपि भारत के लोकसभा में महिला प्रतिनिधियों की संख्या 65 हो गई। फिर भी इसका प्रतिशत 11 के नीचे ही हैं। आज भी आम परिवार की महिलाओं को सांसद या विधायक बनने का अवसर क्षीण है। महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाना लोकतंत्र के लिए शुभ होगा। भारत में हाल में महिलाओं को विधायिका में 33 प्रतिशत आरक्षण देने की बात संसद में पास हो चुकी है।

Ajit kumar

Sub Editor-in-Chief at Jaankari Rakho Web Portal

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