मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग – अनुसूचित जाति एवं जनजाति (अत्याचार निवारण अधिनियम), 1989 एवं सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1995

मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग – अनुसूचित जाति एवं जनजाति (अत्याचार निवारण अधिनियम), 1989 एवं सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1995

1. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के अन्तर्गत कोई भी व्यक्ति, जो अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति का सदस्य नहीं है, जादू टोना करने या डायन होने के अधिकथन पर अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के सदस्य को शारीरिक हानि पहुँचायेगा या मानसिक यंत्रणा देगा, वह किस अवधि के कारावास से दण्डित होगा ? 
(a) जिसकी अवधि छः माह से कम की नहीं होगी, किन्तु जो पाँच वर्ष तक की हो सकेगी और जुर्माने से
(b) जिसकी अवधि छः माह से कम की नहीं होगी और जुर्माने से
(c) जिसकी अवधि एक वर्ष की होगी और जुर्माने से
(d) जिसकी अवधि पाँच वर्ष की होगी और जुर्माने से
उत्तर – (a) अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के अन्तर्गत कोई भी व्यक्ति जो अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति का सदस्य नहीं है, जादू-टोना करने या डाइन होने के अभिकथन पर अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के सदस्य को शारीरिक हानि पहुँचाएगा या मानसिक यंत्रणा देगा: या अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी व्यक्ति या कुटुंब या उसके किसी समूह का सामाजिक या आर्थिक बहिष्कार करेगा या उसकी धमकी देगा, वह कारावास से जिसकी अवधि छह मास से कम की नहीं होंगी, किन्तु जो पाँच वर्ष तक की हो सकेगी और जुर्माने से, दंडनीय होगा।
2. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 में कुल कितनी धाराएँ है ?
(a) 18
(b) 22
(c) 23
(d) 27
उत्तर – (c) अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 में कुल 23 धाराएँ हैं तथा 5 अध्याय हैं। इस अधिनियम का संख्यांक 33 है।
3. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण), अधिनियम, 1989 की निम्नलिखित में से किस धारा में ‘अग्रिम जमानत’ प्रतिबंधित है ? 
(a) धारा 22
(b) धारा 20
(c) धारा- 18
(d) धारा 16
उत्तर – (c) अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अधिनियम 1989 की धारा-18 में अग्रिम जमानत प्रतिबंधित है। इस धारा के अनुसार संहिता की धारा-438 की कोई बात इस अधिनियम के अधिन कोई अपराध करने के अभियोग पर किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी के किसी मामले के संबंध में लागू नहीं होगा।
4. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति नियम, 1995 की निम्नलिखित में से किस धारा के अन्तर्गत ‘वार्षिक रिपोर्ट के लिए सामग्री का उपबन्ध किया गया है ? 
(a) धारा 18
(b) धारा 20
(c) धारा 22
(d) धारा 27
उत्तर – (a) अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति नियम 1995 की धारा-18 के अन्तर्गत ‘वार्षिक रिपोर्ट के लिए सामग्री का उपबन्ध किया गया है? इसके अनुसार राज्य सरकार, प्रत्येक वर्ष 31 मार्च से पहले केन्द्रीय सरकार को अधिनियम के उपबंधों के कार्यान्वयन के लिए किए गए उपायों और इसके द्वारा पिछले कैलेंडर वर्ष के दौरान तैयार की गई विभिन्न स्कीमों / योजनाओं के बारे में रिपोर्ट अग्रेषित करेगी। (नोट- इस प्रश्न को आयोग ने निरस्त किया है।)
5. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति ( अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के अन्तर्गत किस धारा में ‘आर्थिक बहिष्कार को परिभाषित किया गया है ? 
(a) धारा-2 (ख)
(b) धारा-2 (ख ग)
(c) धारा-2 (ख च)
(d) धारा-2 (ख छ)
उत्तर – (b) अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के अन्तर्गत धारा 2 ( ख ग ) में ‘आर्थिक बहिष्कार’ को परिभाषित किया गया है। ‘आर्थिक बहिष्कार” से निम्नलिखित अभिप्रेत है –
1. अन्य व्यक्ति से भोड़े पर कार्य से संबंधित संव्यवहार करने या कारबार करने से इंकार करना; या
2. अवसरों का प्रत्याख्यान करना जिनमें सेवाओं तक पहुँच या प्रतिफल के लिए सेवा प्रदान करने हेतु संविदाजन्य अवसर सम्मिलित है; या
3. ऐसे निबंधनों पर कोई बात करने से इंकार करना जिन पर काई बात, कारबार के सामान्य अनुक्रम में सामान्यतया की जाएगी; या
4. ऐसे वृत्तिक या कारबार संबंधों से प्रतिविरत रहना, जो किसी अन्य व्यक्ति से रखे जाएँ;
6. अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति ( अत्याचार निरोधक) अधिनियम, 1989 के अंतर्गत किए गए अपराधों के लिए जाँच अधिकारी कितने दिनों में अपनी रिपोर्ट सौंपेगा ?  
(a) 15
(b) 20
(c) 25
(d) 30
उत्तर – (d) अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 के अंतर्गत किए गए अपराधों के लिए जाँच अधिकारी को 30 दिनों में अपनी रिपोर्ट सौंपगा।
7. अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति ( अत्याचार निरोधक) अधिनियम, 1989 के अंतर्गत किस धारा में विशेष न्यायालय का व्यवस्था की प्रावधान है ? 
(a) 14
(b) 17
(c) 21 (1)
(d) 21 (3)
उत्तर – (a) अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 की धारा-14 के अनुसार राज्य सरकार शीघ्र विचारण का उपबंध करने के प्रयोजन के लिए | उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति की सहमति से, राजपत्र अधिसूचना द्वारा इस अधिनियम के अधिन अपराधों का विचारण करने के लिए प्रत्येक जिले के लिए एक सेशन न्यायालय को विशेष न्यायालय के रूप में विनिर्दिष्ट करेगी अर्थात् इस अधिनियम की धारा-14 में विशेष न्यायालय की व्यवस्था का प्रावधान है।
8. अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अधिनियम, 1989 की निम्नलिखित में से किस धारा में अग्रिम जमानत प्रतिबंधित है ?
(a) धारा 16
(b) धारा 17
(c) धारा-18
(d) धारा-19
उत्तर – (c) अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अधिनियम 1989 की धारा-18 अग्रित जमानत प्रतिबंधित है। इस धारा के अनुसार संहिता की धारा-438 की कोई बात इस अधिनियम के अधीन कोई अपराध करने के अभियोग पर किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी के किसी मामले के संबंध लागू नहीं होगी।
9. अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 के उद्देश्यों को क्रियान्वित करने के लिए नियम बनाने की शक्तियाँ किसे किन्हें प्राप्त हैं ? 
(a) राज्य सरकार
(b) केन्द्र सरकार
(c) दोनों (a) और (b)
(d) सर्वोच्च न्यायालय
उत्तर – (b) अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के उद्देश्यों को क्रियांवित करने के लिए नियम बनाने की शक्तियाँ इसी अधिनियम की धारा -23 में केन्द्र सरकार को सौंपी गई है। धारा -23 (1) के अनुसार केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, इस अधिनियम के प्रयोजनों को कार्यान्वित करने के लिए नियम बना सकेगी।
10. अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अधिनियम, 1989 की निम्नलिखित में से किस धारा में भारतीय दंड संहिता के कतिपय उपबंधों का लागू होना उपबंधित है ? 
(a) धारा 12
(b) धारा 10
(c) धारा 6
(d) धारा 8
उत्तर – (c) अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अधिनियम, 1989 की धारा-6 भारतीय दंड संहिता के कतिपय उपबंधों का लागू होना उपबंधित है, जबकि अधिनियम की धारा-8 में अपराधों के बारे में उपधारणा, धारा-10 में ऐसे व्यक्ति को हटाया जाना, जिसके द्वारा अपराध किए जाने की संभावना है तथा धारा-12 में ऐसे व्यक्तियों के जिनके विरुद्ध धारा-10 के अधीन आदेश किया गया है, माप और फोटो आदि लेना से संबंधित उपबंध है।
11. अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति नियम, 1995 की निम्नलिखित में से किस धारा के अंतर्गत जिला स्तरीय सतर्कता और मॉनीटीरी समिति’ के गठन का उपबंध किया गया है ? 
(a) धारा- 18
(b) धारा-19
(c) धारा 17
(d) धारा-16
उत्तर – (c) अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति नियम, 1995 की धारा-17 के अनुसार राज्य के अंतर्गत प्रत्येक जिले में जिला मजिस्ट्रेट अधिनियम के विभिन्न उपबंधों के कार्यान्वयन पीड़ित व्यक्तियों को दी गई राहत और पुनर्वास सुविधाएँ तथा उससे सम्बद्ध अन्य मामलों, अधिनियम के अधीन मामालों का अभियोजन, अधिनियम के उपबंधों के कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार विभिन्न अधिकारियों/अभिकरणों की भूमिका तथा जिला प्रशासन द्वारा प्राप्त विभिन्न रिपोर्टों के पुनर्विलोकन के लिए अपने जिले में सतर्कता और मॉनीटरी समिति की स्थापना करेगा।
12. वर्ष 1990 में अनुसूचित जाति एवं जनजाति राष्ट्रीय आयोग की रिपोर्ट के अनुसार अनुसूचित जाति एवं जनजाति के अत्याचार का कारण नहीं है ?
(a) भूमि निर्वसन
(b) बंधुआ मजदूरी
(c) ऋणग्रस्तता
(d) धार्मिक कारण
उत्तर – (c) वर्ष 1990 में अनुसूचित जाति एवं जनजाति राष्ट्रीय आयोग की रिपोर्ट में अनुसूचित जाति एवं जनजाति के अत्याचार के कारणों में भूमि निर्वसन, बंधुआ मजदूरी धार्मिक कारण को माना है अर्थात् ऋणग्रस्तता को आयोग ने उक्त जातियों के अत्याचार का कारण नहीं माना है।
13. अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति को किस अनुच्छेद के अंतर्गत मौलिक, सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक तथा सांस्कृतिक अधिकार दिया गया?
(a) अनुच्छेद-20
(b) अनुच्छेद 19
(c) अनुच्छेद – 18
(d) अनुच्छेद 17
उत्तर – (d) सामाजिक समता को बढ़ावा देने हेतु संविधान के अनुच्छेद-17 के तहत अस्पृश्यता का उन्मूलन किया गया है एवं किसी भी रूप में इसके आचरण का निषेध किया गया है। इसके परिपालन में अस्पृश्यता की समाप्ति के लिए संसद द्वारा अस्पृश्यता (अपराध) अधिनियम 1955 पारित किया गया । वास्तव में अनुच्छेद-17 में अन्तर्निहित भावना यही है कि अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति को मौलिक, सामाजिक-आर्थिक, राजनीतिक तथा सांस्कृतिक अधिकार प्राप्त हो सके और यह तभी संभव है, जब सामाजिक भेदभानव विशेषकर छूआछूत जैसे सामाजिक कलंक को निषिद्ध किया जाए।
14. अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के किस अधिनियम के अंतर्गत अत्याचार निवारण कानून लाग किया गया? 
(a) अधिनियम 1990
(b) अधिनियम 1989
(c) अधिनियम 1992
(d) अधिनियम 1991
उत्तर – (b) अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के सदस्यों पर अत्याचार का अपराध करने के निवारण करने के लिए ऐसे अपराधों के विचारण के लिए विशेष न्यायालय का तथा ऐसे अपराध से पीड़ित व्यक्तियों को राहत देने का और उनके पुनर्वास का तथा उससे संबंधित या उनके आनुवंशिक विषय का उपबंध करने के लिए 1989 में संसद द्वारा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम पारित किया। यह अधिनियम 11 सितम्बर, 1989 का अनुमति मिलने के बाद 30 जनवरी, 1990 से लागू हुआ।
15. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति ( अत्या निवारण) अधिनियम 1989 के अधीन किये गये अपराध का अन्वेषण ऐसे पुलिस अधिकारी द्वारा किया जायेगा जो रैंक से कम का न हो। 
(a) उप-निरीक्षक
(b) निरीक्षक
(c) उप अधीक्षक
(d) अधीक्षक
उत्तर – (c) अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 के अधीन किये गये अपराध का अन्वेषण ऐसे पुलिस अधिकारी द्वारा किया जायेगा, जो उप अधीक्षक रैंक से कम का न हो अर्थात इस अधिनियम के तहत किये गए अपराधों की जाँच उप अधीक्षक रैंक का अधिकारी या उससे ऊपर रैंक का अधिकारी ही कर सकता है।
16. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति ( अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 के अधीन अपराध अभियोजन में, न्यायालय निम्न में से क्या उपधारित कर सकता है ? 
(a) दुष्प्रेरण
(b) सामान्य आशय
(c) सामान्य उद्देश्य
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर – (d) अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 के अधीन अपराध अभियोजन के संबंध में अधिनियम की धारा 8 (क) तथा ‘ख’ में अपराधों के बारे में उपधारणा का उपबंध किया गया है। धारा-8 (क) के अनुसार अभियुक्त द्वारा इस अध्याय के अधीन अपराध करने पर विशेष न्यायालय जब तक कि तत्प्रतिकूल साबित न किया जाए, यह उपधारणा करेगा कि ऐसे व्यक्ति ने उस अपराध का ‘दुष्प्रेरण’ किया धारा-8 (ख) में सामान्य आशय या सामान्य उद्देश्य के संबंध में उपधारणा किए जाने का प्रावधान है।
17. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति ( अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 अधीन अपराधों का विचारण करने के राज्य सरकार ……… की सहमति से न्यायालय को विशेष न्यायालय विनिर्दिष्ट सकती है। 
(a) राज्यपाल
(b) उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश
(c) संबंधित जिले के सत्र न्यायाधीश
(d) विधि मंत्रालय
उत्तर – (b) अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 की धारा-14 (1) में यह उपबंध किया गया है कि शीघ्र विचारण का उपबंध करने के प्रयोजन के लिए राज्य सरकार उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति की सहमति से राजपत्र अधिसूचना द्वारा एक या अधिक जिलों के लिए एक अनन्य विशेष न्यायालय स्थापित करेगी। परन्तु ऐसे जिलों में जहाँ अधिनियम के अधीन कम मामले अभिलिखित किए गए हैं, वहाँ राज्य सरकार उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति को सहमति से राजपत्र में अधिसूचना द्वारा ऐसे जिलों के लिए सेशन न्यायालयों को इस अधिनियम के अधीन अपराधों का विचारण करने के लिए विशेष न्यायालय होना विनिर्दिष्ट करेगी।
18. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के अधीन अपराध के लिए अभियोजन में अभियुक्त अपने बचाव में अभिभावक नहीं ले सकता है कि – 
(a) कार्य निजी प्रतिरक्षा के अधिकार के प्रयोग में किया गया था
(b) वह भी पीड़ित की ही जाति का है
(c) कार्य से इतनी थोड़ी अपहानि हुई है, जो शिकायत का विषय नहीं हो सकता है
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर – (*) अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के अधीन अपराध के लिए अभियोजन में अभियुक्त अपने बचाव में विकल्पों में दिये गए कथनों में, से यह कथन कि कार्य से इतनी थोड़ी अपहानि हुई है, जो शिकायत का विषय नहीं हो सकता है, को अभिभाक् नहीं ले सकता, जबकि विकल्प ‘ए’ तथा ‘बी’ के कथन को अभियुक्त अपने बचाव में अभिवाक् के तौर पर ले सकता है। दिये गये विकल्प असपष्ट होने से आयोग द्वारा बोनस अंक दिया गया है।
19. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के अधीन विशेष न्यायालय निम्न में से कौन-सी शक्ति का प्रयोग नहीं कर सकता ? 
(a) व्यक्ति को हटाया जाना
(b) सम्पत्ति का समयहरण
(c) व्यक्ति का माप लिया जाना
(d) सामूहिक जुर्माना आरोपित करना
उत्तर – (d) अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के अधीन विशेष न्यायालय अपनी शक्ति का प्रयोग व्यक्ति को हटाने, सम्पत्ति का समपहरण और व्यक्ति का माप लिए जाने में तो कर सकता है, लेकिन उसे सामूहिक जुर्माना आरोपित करने की शक्ति नहीं है। शक्ति इस अधिनियम की धारा-16 के अनुसार राज्य सरकार को है।
20. न्यायालय उपधारित कर सकता है कि अपराध गठित करने वाला कोई कृत्य ‘अस्पृश्यता’ के आधार पर किया गया था, यदि ऐसा अपराध…. के संबंध में किया गया है ? 
(a) अनुसूचित जाति के सदस्य
(b) अनुसूचित जनजाति के सदस्य
(c) किसी भी समुदाय के सदस्य
(d) उपरोक्त में से काई नहीं
उत्तर – (a) सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम 1955 की धारा-12 में स्पष्ट प्रावधान है कि जहाँ कि इस अधिनियम के अधीन अपराध गठित करने वाला कोई कार्य अनुसूचित जाति (एस.सी.) के सदस्य के संबंध में किया जाए वहाँ, जब तक कि प्रतिकूल साबित न किया जाए, न्यायालय यह उपधारणा करेगा कि वह कार्य “अस्पृश्यता ” के आधार पर किया गया है।
21. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति ( अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के अधीन निम्न में से क्या पूर्णतः निषिद्ध है ? 
(a) गिरफ्तारी पूर्व जमानत
(b) गिरफ्तारी पश्चात् जमानत
(c) परिवीक्षा का लाभ
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर – (a) अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की धारा-18 में स्पष्ट प्रावधान किया गया है कि भारतीय दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा-438 की कोई बात इस अधिनियम के अधीन काई अपराध के करने के अभियोग पर किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी के किसी मामले के संबंध में लागू नहीं होगी अर्थात् एससी/एसटी एक्ट में गिरफ्तारी से पूर्व जमानत को पूर्णतः निषिद्ध किया गया है।
22. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति ( अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 प्रवृत्त हुआ है 
(a) 1 जुलाई, 1989
(b) 30 जनवरी, 1990
(c) 30 जुलाई, 1989
(d) 1 जनवरी, 1990
उत्तर – (b) भारतीय संसद द्वारा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 : को 11 सितम्बर, 1989 को पारित किया गया। इस अधिनियम की धारा एक के अनुसार जम्मू-कश्मीर को छोड़कर यह अधिनियम सम्पूर्ण भारत में दिनांक 30 जनवरी, 1990 से लागू हुआ है।
23. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति ( अत्याचार निवारण) अधिनियम के अधीन अपराधों का विचारण करने के लिए सेशन न्यायालय को विशेष न्यायालय के रूप में विनिर्दिष्ट करने का प्रयोजन है : 
(a) शीघ्र विचारण
(b) समयबद्ध विचारण
(c) पीड़ितों के लिए विशेष सुरक्षा
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर – (a) अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की धारा 14 के अनुसार राज्य सरकार शीघ्र विचारण का उपबंध करने के प्रयोजन के लिए उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति की सहमति से, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा इस अधिनियम के अधीन अपराधों का विचारण करने के लिए प्रत्येक जिले के लिए एक सेशन न्यायालय को विशेष न्यायालय के रूप में विनिर्दिष्ट करेगी।
24. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति ( अत्याचार निवारण) अधिनियम अनुसूचित जनजाति की उन्नति के लिए एक प्रावधान है, जो निम्न में से किस एक सिद्धान्त पर आधारित है ?
(a) पृथक्करणीयता का सिद्धान्त
(b) अधिमानी स्थिति का सिद्धान्त
(c) संरक्षा विभेद का सिद्धान्त
(d) सामंजस्यपूर्ण अर्थान्वयन का सिद्धान्त
उत्तर – (c) अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की उन्नति के लिए एक प्रावधान है, जो कि संरक्षा विभेद का सिद्धांत (Doctrine of Protective discrimination) पर आधारित है।
25. निम्न शक्तियों में कौन-सी एक अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के अधीन विनिर्दिष्ट विशेष न्यायालय को नहीं दी गयी है ?
(a) किसी अपराध के दोषसिद्ध अभियुक्त की सम्पत्ति का समपहरण
(b) पुलिस से भिन्न किसी व्यक्ति को अतिरिक्त अन्वेषण करने के लिए अधिकृत करना
(c) ऐसे व्यक्ति को किसी क्षेत्र से हटाना जिसके द्वारा अपराध किये जाने की संभावना है
(d) ऐसे व्यक्ति का माप और फोटोग्राफ लेना जिसके द्वारा अपराध किये जाने की संभावना है
उत्तर – (b) अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 के अधीन विनिर्दिष्ट विशेष न्यायालय को पुलिस से भिन्न किसी व्यक्ति को अतिरिक्त अन्वेषण करने के लिए अधिकृत करने की शक्ति नहीं दी गयी है, जबकि अन्य शक्तियाँ विशेष न्यायालय को दी गयी है।
26. ‘अस्पृश्यता’ से उद्भूत अपराध गठित नहीं होगा, जबकि – 
(a) अभियुक्त का कार्य जनसाधारण के किसी अनुभाग के व्यक्तियों के फायदे के लिए सृष्ट एक पूर्त न्यास के अधीन फायदे के उपभोग करने के सम्बन्ध
(b) अभियुक्त का कार्य अलंकारो के उपयोग करने के सम्बन्ध में है
(c) अभियुक्त के अपराध कारित करने में सक्षम होने नहीं होने नहीं होने से है
(d) अभियुक्त और परिवादी पीड़ित समान सामाजिक समूह से है
उत्तर – (d) “अस्पृश्यता” से उद्भूत अपराध गठित नहीं होगा, जबकि अभियुक्त और परिवादी पीड़ित समान सामाजिक समूह से है।
27. “अनुसूचित जनजातियों और अन्य परंपरागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम 2006” के अंतर्गत किस तारीख से पूर्व के अधिकारों को मान्यता दी गई है
(a) 13 दिसंबर, 1976
(b) 13 दिसंबर, 2006
(c) 13 दिसंबर, 2007
(d) 13 दिसंबर, 2005
उत्तर – (d) 1 जनवरी, 2008 को अनुसूचित जातियों व अन्य परम्परागत वनवासियों को वन संपत्ति में अधिकार दिलाने के लिए संसद द्वारा 2006 में पारित The Scheduled Tribes and Other Traditional Forest Dwellers (Recognition to Forest Rights) Act. 2006 अधिसूचित कर दिया गया।
28. इनमें से कौन-सा कथन सही नहीं है ?
(a) अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों की सूचियां प्रत्येक राज्य के लिए उस राज्य के राज्यपाल से परामर्श के पश्चात् राष्ट्रपति द्वारा 1950 ई. में जारी आदेश द्वारा बनाई गई हैं।
(b) इस सूची में संशोधन केवल संसद अधिनियम बनाकर कर सकती है,
(c) अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों की सूचियां सम्बन्धित राज्य सरकारों द्वारा बनाई और संशोधित की जाती हैं
(d) कोई जनजाति, राज्य के केवल एक भाग के लिए, अनुसूचित जनजाति घोषित की जा सकती है
उत्तर – (c) राज्य सरकारों को अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति की नई सूचियों को बनाने और उनमें संशोधन का अधिकार नहीं दिया गया। संविधान के अनुच्छेद-341 के अंतर्गत अनुसूचित जातियों तथा अनुच्छेद- 342 के अंतर्गत अनुसूचित जनजातियों के सम्बन्ध में राष्ट्रपति द्वारा सम्बन्धित राज्य के राज्यपाल से परामर्श करने के बाद 1950 ई. में जारी आदेश द्वारा इन जातियों की सूचियां बनाई गई है। अनुच्छेद 341 (2) तथा 342 (2) के अंतर्गत संसद क्रमश: अनुसूचित जाति एवं जनजाति की सूचियों को विधि द्वारा संशोधित कर सकती है। किसी विशेष क्षेत्र के लिए भी अनुसूचित जनजाति घोषित किया जा सकता है।
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Ajit kumar

Sub Editor-in-Chief at Jaankari Rakho Web Portal

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