मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग – मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993

मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग – मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993

1. मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम में सशस्त्र बल की परिभाषा में निम्नलिखित में से कौन-सा शामिल नहीं है?
(a) नौसेना
(b) राज्य के सशस्त्र बल
(c) थल सेना
(d) वायु सेना
उत्तर – (b) मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 की धारा-2 (1) (क) में सशस्त्र बल की परिभाषा दी गयी है। इस धारा में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि इस अधिनियम में, जब तक कि संदर्भ में अन्यथा अपेक्षित न हो- “सशस्त्र बल” से नौसेना, सेना और वायुसेना अभिप्रेत है और इसके अंतर्गत संघ का कोई अन्य सशस्त्र बल है। अतः इसके अन्तर्गत राज्य के सशस्त्र बल शामिल नहीं है।
2. राज्य आयोग अपना वार्षिक प्रतिवेदन किसके समक्ष प्रस्तुत करता है ?
(a) राज्यपाल
(b) राज्य सरकार
(c) उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश
(d) भारत के मुख्य न्यायाधीश
उत्तर – (b) मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम की धारा-28 के अन्तर्गत राज्य आयोग की वार्षिक और विशेष रिपोर्ट सौंपे जाने का उपबंध है। धारा-28(1) के अनुसार राज्य आयोग, राज्य सरकार को वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा और किसी भी समय ऐसे विषय पर, जो उसकी राय में इतना अत्यावश्यक या महत्वपूर्ण है कि उसको वार्षिक रिपोर्ट के प्रस्तुत किए जाने तक अस्थगित नहीं किया जाना चाहिए, विशेष रिपोर्ट प्रस्तुत कर सकेगा।
3. आयोग, राज्य आयोग का प्रत्येक सदस्य एवं मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम के अधीन कृत्यों का प्रयोग करने के लिए आयोग या राज्य आयोग द्वारा नियुक्त या प्राधिकृत प्रत्येक अधिकारी समझा जाता है
(a) लोक अधिकारी
(b) लोक सवेक
(c) आयोग का अधिकारी
(d) उपयुक्त में से कोई नहीं
उत्तर – (b) अधिनियम की धारा-39 में सदस्यों और अधिकारियों का लोक सेवक होने के बाबत उपबंध करती है। धारा-39 कहती है कि आयोग या राज्य आयोग का प्रत्येक सदस्य और इस अधिनियम के अधीन कृत्यों का प्रयोग करने के लिए आयोग या राज्य आयोग द्वारा नियुक्त या प्राधिकृत प्रत्येक अधिकारी, भारतीय दंड संहिता की धारा 21 के अर्थ में लोक सेवक समझा जाएगा।
4. राज्य मानव अधिकार आयोग में सदस्य के रूप में उच्च न्यायालय का कोई आसीन न्यायाधीश या कोई आसीन जिला न्यायाधीश किसके परामर्श के पश्चात् नियुक्त किया जा सकता है ?
(a) राज्यपाल
(b) सम्बन्धित राज्य के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश
(c) भारतीय उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश
(d) राष्ट्रपति
उत्तर – (b) इस अधिनियम की धारा 22 राज्य आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति (1) राज्यपाल अपने हस्ताक्षर और मुद्रा सहित अधिपत्र द्वारा अध्यक्ष और सदस्यों को नियुक्त करेगा: परन्तु इस उपधारा के अधीन प्रत्येक नियुक्ति, ऐसी समिति की सिफारिशें प्राप्त होने के पश्चात् की जाएगी, जो निम्नलिखित से मिलकर बनेगी, अर्थात्
(क) मुख्य मंत्री – अध्यक्ष
(ख) विधान सभा का अध्यक्ष – सदस्य
(ग) उस राज्य के गृह विभाग का भारसाधक मंत्री सदस्य
(घ) विधान सभा में विपक्ष का नेता – सदस्य
परन्तु यह और कि जहाँ किसी राज्य में विधान परिषद् है वहाँ उस परिषद् का सभापति और उस परिषद् में विपक्ष का नेता भी समिति के सदस्य होंगे : परन्तु यह और भी उच्च न्यायालय का कोई आसीन न्यायाधीश या कोई आसीन जिया न्यायाधीश, सम्बन्धित राज्य के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति से परामर्श करने के पश्चात् ही नियुक्त किया जाएगा अन्यथा नहीं। (2) राज्य आयोग के अध्यक्ष या किसी सदस्य की कोई नियुक्ति, केवल इस कारण अविधिमान्य नहीं होगी कि उपधारा (1) में निर्दिष्ट समिति में कोई रिक्ति है।
5. राज्य आयोग के अध्यक्ष के पद पर हुई रिक्ति की दशा में किसी एक सदस्य को अध्यक्ष के रूप में कार्य करने के लिए प्राधिकृत करने की शक्ति किसे है ? 
(a) उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश
(b) राष्ट्रपति
(c) राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष
(d) राज्यपाल
उत्तर – (d) अध्यक्ष की मृत्यु, पदत्याग या अन्य कारण से उसके पद में हुई रिक्ति की दशा में, राज्यपाल, अधिसूचना द्वारा, सदस्यों में से किसी एक सदस्य को अध्यक्ष के रूप में तब तक कार्य करने के लिए प्राधिकृत कर सकेगा, जब तक ऐसी रिक्ति को भरने के लिए नए अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं हो जाती।
6. भारतीय दण्ड संहिता की धारा 175, धारा 178, धारा-179, धारा-180 या धारा-228 में वर्णित अपराध के संदर्भ में मानव अधिकार आयोग को समझा जाता है
(a) आपराधिक न्यायालय
(b) सिविल न्यायालय
(c) रेवेन्यु न्यायालय
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर – (b) मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम की धारा- 13 (4) के अनुसार आयोग को सिविल न्यायालय समझा जाएगा और जब कोई ऐसा अपराध, जो भारतीय दण्ड संहित की धारा 175, धारा – 178, धारा-179 धारा-180 या धारा-228 में वर्णित हैआयोग की दृष्टिगोचरता में या उपस्थिति में किया जाता है तब आयोग, अपराध गठित करने वाले तथ्यों तथा अभियुक्त के कथन को अभिलिखित करने के पश्चात्. जैसा कि दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 में उपबंधित है, उस मामले को ऐसे मजिस्ट्रेट को भेज सकेगा जिसे उसका विचारण करने की अधिकारिता है और वह मजिस्ट्रेट जिसे कोई ऐसा मामला भेजा जाता है, अभियुक्त के विरुद्ध शिकायत सुनने के लिए इस प्रकार अग्रसर होगा, मानो वह मामला दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 346 के अधीन उसको भेजा गया हो।
7. कौन राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग का पदेन सदस्य नहीं है ?  
(a) राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग का अध्यक्ष
(b) भारतीय विधि आयोग का अध्यक्ष
(c) राष्ट्रीय अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति आयोग का अध्यक्ष
(d) राष्ट्रीय महिला आयोग का अध्यक्ष
उत्तर – (b) आयोग निम्नलिखित से मिलकर बनेगा, अर्थात्
(क) एक अध्यक्ष, जो उच्चतम न्यायालय का मुख्य न्यायमूर्ति रहा है;
(ख) एक सदस्य, जो उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश है या रहा है;
(ग) एक सदस्य , जो किसी उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायमूर्ति है या रहा है;
(घ) दो सदस्य, जो ऐसे व्यक्तियों में से नियुक्त किए जाएँगे, जिन्हें मानव अधिकारों से संबंधित विषयों का ज्ञान या व्यावहारिक अनुभव है। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग) और राष्ट्रीय महिला आयोग के अध्यक्ष धारा-12 के खंड (ख) से खंड (ञ) में विनिर्दिष्ट कृत्यों के निर्वहन के लिए आयोग के सदस्य समझे जाएँगे। अतः भारतीय विधि आयोग का अध्यक्ष इसका सदस्य नहीं है।
8. सशस्त्र बलों के सदस्यों द्वारा मानव अधिकारों के अतिक्रमण की शिकायतों के बारे में आयोग स्वप्रेरणा से या किसी अर्जी की प्राप्ति पर –
(a) स्वयं जाँच करेगा
(b) जाँच करने हेतु सम्बन्धित पुलिस अधिकारी को निर्देशित कर सकेगा
(c) केन्द्रीय सरकार से रिपोर्ट माँग सकेगा
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर – (c) मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 की धारा-19 में सशस्त्र बलों के बाबत प्रक्रिया दी गयी है। जिसके अनुसार –
1. इस अधिनियम में किसी बात के रहते हुए भी, आयोग, सशस्त्र बलों के सदस्यों द्वारा मानव अधिकारों के अतिक्रमण की शिकायतों के बारे में कार्रवाई करते समय, निम्नलिखित प्रक्रिया अपनाएगा, अर्थात्:
(क) आयोग स्वप्रेरणा से या किसी अर्जी की प्राप्ति पर केन्द्रीय सरकार से रिपोर्ट माँग सकेगा;
(ख) रिपोर्ट की प्राप्ति के पश्चात्, आयोग, यथास्थिति, शिकायत के बारे में कोई कार्यवाही नहीं करेगा या उस सरकार को अपनी सिफारिशें कर सकेगा।
2. केन्द्रीय सरकार, सिफारिशों पर की गई कार्रवाई के बारे में आयोग को तीन मास के भीतर या ऐसे और समय के भीतर जो आयोग अनुज्ञात करे, सूचित करेगा।
3. आयोग, केन्द्रीय सरकार को की गई अपनी सिफारिशों तथा ऐसी सिफारिशों पर उस सरकार द्वारा की गई कार्रवाई सहित अपनी रिपोर्ट प्रकाशित करेगा।
4. आयोग, उपधारा (3) के अधीन प्रकाशित रिपोर्ट की प्रति, अर्जीदार या उसके प्रतिनिधि को उपलब्ध कराएगा।
9. सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955 का विस्तार है
(a) सम्पूर्ण भारत पर
(b) जम्मू और कश्मीर राज्य को छोड़ सम्पूर्ण भारत पर
(c) केन्द्रशासित प्रदेशों पर
(d) केवल जम्मू और कश्मीर राज्य पर
उत्तर – (a) सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम 1955 की धारा 1 में संक्षिप्त नाम, विस्तार और प्रारंभ का उल्लेख किया गया है। धारा- 1 ( 2 ) में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि इसका विस्तार संपूर्ण भारत पर है अर्थात् यह अधिनियम जम्मू-कश्मीर सहित संपूर्ण भारत में लागू है।
10. राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के सदस्यों की पदावधि पदग्रहण तारीख से होती है ? 
(a) पाँच वर्ष तक या 65 वर्ष की आयु प्राप्त कर लेने तक
(b) पाँच वर्ष तक या 70 वर्ष की आयु प्राप्त कर लेने तक
(c) छ: वर्ष तक या 65 वर्ष की आयु प्राप्त कर लेने तक
(d) छ: वर्ष तक या 70 वर्ष की आयु प्राप्त कर लेने तक
उत्तर – (b) मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम की धारा 6 आयोग के अध्यक्ष/सदस्यों की पदावधि का उपबंध करती है, जो इस प्रकार है
1. अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया कोई व्यक्ति अपने पद ग्रहण की तारीख से पाँच वर्ष की अवधि तक या सत्तर वर्ष की आयु प्राप्त कर लेने तक, इनमें से जो भी पहले हो, अपना पद धारण करेगा।
2. सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया कोई व्यक्ति अपने पद ग्रहण की तारीख से पाँच वर्ष की अवधि तक अपना पद धारण करेगा तथा पाँच वर्ष की और अवधि के लिए पुनर्नियुक्ति का पात्र होगा: परन्तु कोई भी सदस्य सत्तर वर्ष की आयु प्राप्त कर लेने के पश्चात् अपना पद धारण नहीं करेगा।
3. अध्यक्ष या कोई सदस्य, अपने पद पर न रह जाने पर, भारत सराकर के अधीन या किसी राज्य सरकार के अधीन किसी भी और नियोजन का पात्र नहीं होगा।
11. मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम के सम्बन्ध में कौन-सा कथन सही है ?
(a) यह अधिनियम 23 सितम्बर, 1993 को प्रवृत्त हुआ।
(b) यह अधिनियम 28 सितम्बर, 1993 को प्रवृत्त हुआ।
(c) यह अधिनियम 23 सितम्बर, 1995 को प्रवृत्त हुआ।
(d) यह अधिनियम 28 सितम्बर, 1995 को प्रवृत्त हुआ।
उत्तर – (b) मानव अधिकारों के हनन को रोकने तथा उनके संरक्षण के लिए भारत सरकार ने ‘मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993’ बनाया। इस अधिनियम की धारा-1 (3) में स्पष्ट रूप से कहा गया कि यह 28 सितंबर, 1993 को प्रयोज्य (लागू) हुआ समझा जाएगा।
12. सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955 की निम्नलिखित में से किस धारा के अन्तर्गत ‘कम्पनियों द्वारा अपराध’ का उपबन्ध किया गया है ? 
(a) धारा-10
(b) धारा 12
(c) धारा 14
(d) धारा-16
उत्तर – (c) सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम 1955 की धारा-14 कंपनियों द्वार अपराध से संबंधित है। धारा-14 (1) कहती है कि यदि इस अधिनियम के अधीन अपराध करने वाला व्यक्ति कम्पनी हो तो हर ऐसा व्यक्ति जो अपराध किए जाने के समय उस कम्पनी के कारोबार के संचालन के लिए उस कम्पनी का भारसाधक और उस कम्पनी के प्रति उत्तरदायी था, उस अपराध का दोषी समझा जाएगा और तद्नुसार अपने विरुद्ध कार्यवाही किए जाने और दण्डित किए जाने का भागी होगा।
13. सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम 1955 की निम्नलिखित में से किस धारा के अन्तर्गत ‘सद्भावनापूर्वक की गई कार्यवाही के लिए संरक्षण’ का उपबन्ध किया गया है ? 
(a) धारा-16 क
(b) धारा-15 क
(c) धारा-16 ख
(d) धारा-14 क
उत्तर – (d) सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम, 195 की धारा-14क के अन्तर्गत ‘सद्भावना पूर्वक की गई कार्यवाही के लिए संरक्षण’ का उपबन्ध किया गया है।
सद्भावपूर्वक कार्यवाही संरक्षण
1. कोई भी वाद, अभियोजन या अन्य विधिक कार्यवाही किसी भी ऐसी बात के बारे में जो इस अधिनियम के अधीन सद्भावपूर्वक की गई हो या की जाने के लिए आशायित हो, केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार के विरुद्ध न होगी।
2. कोई भी वाद या अन्य विधिक कार्यवाही किसी भी ऐसे नुकसान के बारे में, जो इस अधिनियम के अधीन सद्भावपूर्वक की गई या की जाने के लिए आशायित किसी बात के कारण हुआ हो, केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार या राज्य सरकार के विरुद्ध न होगी।
14. सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955 की निम्नलिखित में से किस धारा के अन्तर्गत ‘सामूहिक जुर्माना आधिरोपित करने की राज्य सरकार की शक्ति’ का उपबन्ध किया गया है ?
(a) धारा- 10
(b) धारा- 10क
(c) धारा 14
(d) धारा 14क
उत्तर – (b) सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955 की धारा-10क के अन्तर्गत ‘सामूहिक जुर्माना अधिरोपित करने की राज्य सरकार की शक्ति’ का उपबन्ध किया गया है। अधिनियम की धारा 10क सामूहिक जुर्माना अधिरोपित करने की शक्ति राज्य सरकार को देती है। धारा-10क (1) के अनुसार, यदि विहित रीति से जाँच करने के पश्चात्, राज्य सरकार का यह समाधान हो जाता है किसी क्षेत्र के निवासी इस अधिनियम के अधीन दण्डनीय किसी अपराध के किए जाने से सम्बन्धित है या उसका दुष्प्रेरण कर रहे हैं या ऐसे अपराध के किए जाने से सम्बन्धित व्यक्तियों को संश्रय दे रहे हैं. या अपराधियों का पता लगाने या पकड़वाने में अपनी शक्ति के अनुसार सभी प्रकार की सहायता नहीं दे रहे हैं, या ऐसे अपराध के किए जाने के महत्वपूर्ण साक्ष्य को दबा रहे हैं, तो सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा ऐसे निवासियों पर सामूहिक जुर्माना अधिरोपित कर सकेगी और जुर्माने का ऐसे निवासियों के बीच प्रभाजन कर सकेंगी, जो सामूहिक रूप से ऐसा जुर्माना देने के लिए दायी है और यह कार्य राज्य सरकार वहाँ के निवासियों की व्यक्तिगत क्षमता के सम्बन्ध में अपने निर्णय के अनुसार करेगी और ऐसा प्रभाजन करने में राज्य सरकार यह भी तय का सकेगी कि एक हिन्दू अविभक्त कुटुम्ब ऐसे जुर्माने के कितने भाग का संदाय करेगा।
15. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष का कार्यकाल होता है- 
(a) 3 वर्ष
(b) 4 वर्ष
(c) 5 वर्ष
(d) 6 वर्ष
उत्तर – (c) राष्ट्रीय मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 के तहत राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली एक उच्च अधिकार समिति की सिफारिश पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति करता है। इस आयोग के अध्यक्ष का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है। वर्तमान में सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एच.एल. दत्त को 23 फरवरी, 2016 को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का अध्यक्ष चुना गया।
16. मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 की किस धारा में ‘लोक सेवक’ की परिभाषा दी गई है ? 
(a) धारा-2
(b) धारा-3
(c) धारा-2 (H)
(d) धारा-2 (M)
उत्तर – (d) मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 की धारा-2 (M) में ‘लोक सेवक’ की परिभाषा दी गई है। धारा-2(M) के अनुसार ‘लोक सेवक’ का अभिप्राय वह होगा, जो भारतीय दण्ड संहिता (1860 का 45 ) की धारा 21 में उसे दिया गया है, जबकि धारा-2 (H) में अल्प संख्यकों के लिए राष्ट्रीय आयोग की परिभाषा दी गई है। इसी तरह धारा-3 राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के गठन से सम्बन्धित है ।
17. मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 का क्या उद्देश्य था ? 
(a) मानव अधिकारों को बेहतर संरक्षण
(b) मानव अधिकार सुरक्षा आयोग का गठन
(c) राज्य में मानव अधिकार सुरक्षा आयोग का गठन
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर – (d) मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 का उद्देश्य है-मानव अधिकारों को बेहतर संरक्षण, मानव अधिकार सुरक्षा आयोग का गठन, राज्य में मानव अधिकार न्यायालयों का गठन करने तथा उससे संबंधित या आनुवांशिक विषय को समाविष्ट करना। मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम भारत गणतंत्र के चवालीसवें वर्ष में संसद द्वारा अधिनियमित किया गया।
18. मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 किस तिथि को लागू किया गया ?
(a) 28 सितम्बर, 1993
(b) 25 अक्टूबर, 1993
(c) 17 नवंबर, 1993
(d) 31 दिसंबर 1993
उत्तर – (a) मानव अधिकारों के हनन को रोकने तथा उनके संरक्षण के लिए भारत सरकार ने मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 बनाया। अधिनियम की धारा-1 (3) के अनुसार यह अधिनियम 28 सितम्बर, 1993 को प्रवृत्त हुआ समझा जाएगा। इसका विस्तार क्षेत्र सम्पूर्ण भारत है, किन्तु जम्मू-कश्मीर राज्य में यह कुछ सीमाओं के साथ लागू है।
19. राष्ट्रपति द्वारा 1993 में मानवाधिकार संरक्षण अध्यादेश संविधान के किस अनुच्छेद के अंतर्गत जारी किया गया था ? 
(a) अनुच्छेद-123
(b) अनुच्छेद 124
(c) अनुच्छेद-125
(d) अनुच्छेद- 127
उत्तर – (a) भारतीय संविधान के अनुच्छेद- 123 में राष्ट्रपति को अध्यादेश जारी करने की शक्ति प्राप्त हैं इसी के तहत राष्ट्रपति द्वारा 1993 में मानवाधिकार संरक्षण अध्यादेश जारी किया गया – था। अनुच्छेद 123 के अनुसार जब संसद का सत्र न चल रहा हो और किसी विधान की तुरन्त ही आवश्यकता हो, तो राष्ट्रपति अध्यादेश जारी कर सकता है। ऐसे अध्यादेशों का वहीं प्रभाव होता है, जो कि संसदीय अधिनियम का होता है।
20. आई.सी.सी.पी. आर. के अनुच्छेद द्वारा बाल अधिकार को सुरक्षित किया गया है ?
(a) 35
(b) 24
(c) 21
(d) 23
उत्तर – (b) आई.सी.सी.पी. आर. के अनुच्छेद 24 द्वारा बाल अधिकार को सुरक्षित किया गया है। आई.सी.सी.पी.आर. का पूरा नाम “इन्टरनेशनल कोबेनेक्ट ऑन सिविल एण्ड पोलिटिकल राइट्स है। ” इसे संयुक्त राष्ट्र सामान्य महासभा ने 18 दिसम्बर, 1966 को स्वीकार किया था।
21. ‘यूनिवर्सल डिक्लेरेशन ऑफ ह्यूमन राईट में कुल कितने अनुच्छेद हैं ? 
(a) 29
(b) 28
(c) 30
(d) 32
उत्तर – (c) यूनिवर्सल डिक्लेरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स (मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा) 10 दिसम्बर, 1948 को संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा की गई। इस घोषणा पत्र में कुल 30 अनुच्छेद हैं।
22. ‘मानवाधिकार दिवस’ मनाया जाता है ?
(a) 10, दिसम्बर को
(b) 9, दिसम्बर को
(c) 10, नवम्बर को
(d) 10, अक्टूबर को
उत्तर – (a) संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग द्वारा मानवाधिकारों की सार्वजनिक घोषणा की गई, जिसकी पुष्टि 10 दिसम्बर, 1948 को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा की गई। तत्पश्चात् सन् 1950 में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 10 दिसम्बर को मानव अधिकार दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया। तब से प्रतिवर्ष 10 दिसम्बर को अंतर्राष्ट्रीय मानव अधिकार दिवस के रूप में मनाया जाता है।
23. सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम का विस्तार है
(a) सम्पूर्ण भारत पर
(b) अनुसूचित क्षेत्रों के सिवाय सम्पूर्ण भारत पर
(c) जम्मू-कश्मीर राज्य के सिवाय सम्पूर्ण भारत पर
(d) संघ राज्यक्षेत्र गोवा, दमन तथा दीव के सिवाय सम्पूर्ण भारत पर
उत्तर – (a) सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955 को भारत गणराज्य के छठे वर्ष जिसका में संसद द्वारा अधिनियमित किया गया, विस्तार सम्पूर्ण भारत पर है। धारा-1 (2)
24. सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955 के अधीन सभी दण्डनीय अपराध है – 
(a) संज्ञेय तथा अजमानतीय
(b) संज्ञेय तथा अशमनीय
(c) असंज्ञेय तथा जमानतीय
(d) असंज्ञेय तथा शमनीय
उत्तर – (a) सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम 1955 के अधीन सभी दण्डनीय अपराध संज्ञेय तथा अजमानतीय (Cognizable and bailable) हैं। इस अधिनियम की धारा-15 में कहा गया है कि इस अधिनियम के अधीन दण्डनीय हर अपराध संज्ञेय होगा।
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Ajit kumar

Sub Editor-in-Chief at Jaankari Rakho Web Portal

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